भारतीय राजनीति
विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति से संबंधित विधेयक
- 27 Apr 2022
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प्रिलिम्स के लिये:विश्वविद्यालयों में कुलपति पर तमिलनाडु विधेयक, राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति में राज्यपाल की भूमिका। मेन्स के लिये:केंद्र-राज्य संबंधों में राज्यपाल की भूमिका। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में तमिलनाडु विधानसभा ने दो विधेयक पारित किये, जो 13 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों (VC) की नियुक्ति में राज्यपाल की शक्ति को स्थानांतरित करने का प्रावधान करते हैं।
- इससे पहले महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल सरकारों ने राज्यपाल द्वारा विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्ति के संबंध में समान प्रावधान किये हैं।
- कर्नाटक, झारखंड और राजस्थान में राज्य के कानून ‘राज्य और राज्यपाल’ के बीच सहमति की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
- ज़्यादातर मामलों में ‘सहमति’ या ‘परामर्श’ शब्द राज्य के कानून से अनुपस्थित हैं।
विधेयकों की मुख्य विशेषताएँ:
- तमिलनाडु में पारित इन विधेयकों में ज़ोर दिया गया है कि "कुलपति की नियुक्ति सरकार द्वारा ‘खोज एवं चयन समिति’ की अनुशंसा के आधार पर गठित एक तीन सदस्यीय पैनल के माध्यम से की जाएगी"।
- वर्तमान में राज्यपाल, राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति की हैसियत से चयन सूची में से किसी एक को कुलपति के रूप में नियुक्त करने की शक्ति रखता है।
- विधेयकों में राज्य सरकार को आवश्यकता पड़ने पर कुलपतियों को हटाने पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार देने का भी प्रयास किया गया है।
- कुलपतियों को हटाने का निर्णय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या मुख्य सचिव की जाँच के आधार पर की जाएगी।
यूजीसी की भूमिका:
- शिक्षा समवर्ती सूची के अंतर्गत आती है, लेकिन संघ सूची की प्रविष्टि 66- "उच्च शिक्षा या अनुसंधान और वैज्ञानिक एवं तकनीकी संस्थानों में मानकों का समन्वय तथा निर्धारण", केंद्र को उच्च शिक्षा पर पर्याप्त अधिकार देता है।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में नियुक्तियों के मामले में मानक-निर्धारण की भूमिका निभाता है।
- हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने संयुक्त डिग्री, दोहरी डिग्री और जुड़वाँ कार्यक्रम विनियम, 2022 को बढ़ावा देने क लिये भारतीय एवं विदेशी उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच अकादमिक सहयोग की शुरुआत की है।
- इन नियमों के तहत सहयोगी संस्थानों को तीन तरह के कार्यक्रमों को प्रारंभ करने की अनुमति होगी- जुड़वाँ कार्यक्रम, संयुक्त डिग्री और दोहरी डिग्री।
- यूजीसी (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों एवं अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिये न्यूनतम योग्यता व उच्च शिक्षा में मानकों की मान्यता हेतु अन्य उपाय) विनियम, 2018 के अनुसार, "आगंतुक/कुलाधिपति", ज़्यादातर राज्यों में राज्यपाल “सर्च कम सिलेक्शन समितियों” द्वारा अनुशंसित नामों के पैनल में से कुलपति की नियुक्ति करेगा।
- उच्च शिक्षण संस्थानों, विशेष रूप से जिन्हें यूजीसी द्वारा फंड प्राप्त होता है, को यूजीसी के नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
- आमतौर पर केंद्रीय विश्वविद्यालयों के मामले में यूजीसी के नियमों का पालन बिना किसी रुकावट के किया जाता है, लेकिन कभी-कभी राज्य विश्वविद्यालयों के मामले में राज्यों द्वारा इसका विरोध किया जाता है।
न्यायपालिका की राय:
सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों में कहा है कि यूजीसी के नियमों के प्रावधानों के विपरीत कुलपति के रूप में किसी भी नियुक्ति को वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कहा जा सकता है, जो कि अधिकार-पृच्छा रिट की एक गारंटी है।
- राज्य के कानून और केंद्रीय कानून के बीच किसी भी तरह के विरोध की स्थिति में, केंद्रीय कानून मान्य होगा, क्योंकि शिक्षा' को संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची में रखा गया है।
राज्य विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की भूमिका:
- ज़्यादातर मामलों में राज्य का राज्यपाल संबंधित राज्य के विश्वविद्यालयों का पदेन कुलपति होता है।
- राज्यपाल के रूप में वह मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से कार्य करता है लेकिन कुलाधिपति के रूप में वह मंत्रिपरिषद से स्वतंत्र रूप में कार्य करता है और विश्वविद्यालय के सभी मामलों पर निर्णय लेता है।
- केंद्रीय विश्वविद्यालयों के संबंध में:
- केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 (Central Universities Act, 2009) और अन्य विधियों के तहत भारत का राष्ट्रपति केंद्रीय विश्वविद्यालय का कुलाध्यक्ष होगा।
- दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करने तक सीमित भूमिका के साथ ही वह केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुलाधिपति के रूप में नाममात्र का प्रमुख होता है जिसे राष्ट्रपति द्वारा आगंतुक के रूप में नियुक्त किया जाता है।
- कुलपति को भी केंद्र सरकार द्वारा गठित खोज और चयन समितियों (Search and Selection Committees) द्वारा चुने गए नामों के पैनल से विज़िटर द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- अधिनियम में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति को उसे कुलाध्यक्ष के रूप में विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक पहलुओं के निरीक्षण के लिये अधिकृत करने एवं जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होगा।