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स्वच्छ भारत मिशन-शहरी

  • 14 Jul 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी, खुले में शौच, कचरा मुक्त स्टार रेटिंग

मेन्स के लिये:

स्वच्छ भारत मिशन, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs- MoHUA) ने देश भर में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U 2.0) के दूसरे चरण के योजना निर्माण और कार्यान्वयन के मूल्यांकन तथा इसमें तेज़ी लाने के लिये एक समीक्षा-सह-कार्यशाला का आयोजन किया।

  • वर्ष 2022 के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund- UNICEF) द्वारा जल, साफ-सफाई और स्वच्छता पर संयुक्त निगरानी कार्यक्रम (JMP) द्वारा जारी की गई हालिया रिपोर्ट के बाद खुले में शौच का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कुल आबादी के लगभग 17% लोग खुले में शौच करते हैं।

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी: 

  • परिचय:
    • शहरी क्षेत्रों में साफ-सफाई, स्वच्छता और उचित अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिये एक राष्ट्रीय अभियान के रूप में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा 2 अक्तूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) शुरू किया गया था।
  • इसका उद्देश्य पूरे भारत के शहरों और कस्बों को स्वच्छ एवं खुले में शौच से मुक्त बनाना है।
  • स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 1.0:
    • SBM-U का पहला चरण शौचालयों तक पहुँच प्रदान करके और व्यवहार में परिवर्तन को बढ़ावा देकर शहरी भारत को खुले में शौच मुक्त बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने पर केंद्रित था।
    • SBM-U 1.0 अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल रहा और 100% शहरी भारत को ODF घोषित किया गया।
  • स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 (2021-2026):
    • वर्ष 2021-22 के बजट में घोषित SBM-U 2.0, इसी योजना के पहले चरण की निरंतरता है।
    • इसके दूसरे चरण का लक्ष्य ODF के लक्ष्यों के साथ ही ODF+ और ODF++ के लक्ष्य की ओर अग्रसर होना है तथा शहरी भारत को कचरा-मुक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करना है।
    • इसमें स्थायी स्वच्छता प्रथाओं, अपशिष्ट प्रबंधन और एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है।
  • उपलब्धियाँ:
    • खुले में शौच से मुक्त (ODF):
      • शहरी भारत खुले में शौच से मुक्त हो गया है, सभी 4,715 शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Bodies- ULB) पूरी तरह से ODF हो गए हैं।
      • 3,547 शहरी स्थानीय निकाय कार्यात्मक और स्वच्छ सामुदायिक तथा सार्वजनिक शौचालयों की सुविधा के साथ ODF+ की श्रेणी में हैं तथा 1,191ULB मल कीचड़ के संपूर्ण प्रबंधन के साथ अब ODF++ की श्रेणी में आ गए हैं।
  • 14 शहर WATER+ प्रमाणित हैं, जिसका अर्थ है कि यहाँ अपशिष्ट जल का उपचार और इसका इष्टतम पुन: उपयोग किया जाता है।
  • अपशिष्ट प्रसंस्करण:
    • 97% वार्डों में 100% डोर-टू-डोर अपशिष्ट संग्रहण और देश के सभी ULB में 90% से अधिक वार्डों में नागरिकों द्वारा उत्पन्न किये जा रहे कचरे का स्रोत पर पृथक्करण से सहायता मिली है, इस कारण भारत में अपशिष्ट प्रसंस्करण वर्ष 2014 के 17% से 4 गुना बढ़कर वर्ष 2023 में 75% हो गया है।
  • अपशिष्ट मुक्त शहर:
    • जनवरी 2018 में लॉन्च किया गया अपशिष्ट मुक्त शहर (GFC)-स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल पहले वर्ष में केवल 56 शहरों से बढ़कर अब तक 445 शहरों तक पहुँच गया है, अक्तूबर 2024 तक कम-से-कम 1,000 3-स्टार GFC बनाने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है।
      • वर्ष 2023-24 के बजट में सूखे और गीले अपशिष्ट के वैज्ञानिक प्रबंधन पर अधिक ध्यान देकर एक चक्रीय अर्थव्यवस्था के निर्माण की भारत की प्रतिबद्धता को और मज़बूत किया गया है।

खुले में शौच से मुक्त भारत की स्थिति: 

  • ODF: किसी क्षेत्र को ODF के रूप में अधिसूचित अथवा घोषित किया जा सकता है यदि दिन के किसी भी समय एक भी व्यक्ति खुले में शौच करते हुए नहीं पाया जाता है।
  • ODF+: यह दर्जा तब प्रदान किया जाता है जब दिन के किसी भी समय, एक भी व्यक्ति खुले में शौच और/या पेशाब करते हुए नहीं पाया जाता है तथा सभी सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालय अच्छी तरह से बनाए गए हों, उनका अच्छा रखरखाव किया जा रहा हो और वे अच्छे से कार्य कर रहे हों।
  • ODF++: यह दर्जा तब दिया जाता है जब कोई क्षेत्र पहले से ही ओडीएफ+ की श्रेणी में आता हो और मल कीचड़/सेप्टेज तथा सीवेज को सुरक्षित रूप से प्रबंधित एवं उपचारित किया जाता है, जिसमें अनुपचारित मल कीचड़ और सीवेज को खुली नालियों, जल निकायों अथवा क्षेत्रों में छोड़ा या डंप नहीं किया जाता हो।

JMP रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ: 

  • खुले में शौच के आँकड़े:
    • रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में 17% ग्रामीण आबादी अभी भी खुले में शौच करती है।
  • बुनियादी स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच:
    • भारत में एक-चौथाई ग्रामीण आबादी की "न्यूनतम बुनियादी" स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच नहीं है।
      • बुनियादी सेवाओं को बेहतर स्वच्छता सुविधाओं के रूप में परिभाषित किया गया है जिन्हें एक परिवार दूसरों के साथ साझा नहीं करते हैं।
  • वर्ष 2015 के बाद हुई प्रगति:
    • यह रिपोर्ट वर्ष 2015 के बाद से प्रगति पर नज़र रखती है जब स्वच्छता के लक्ष्य निर्धारित किये गए थे।
    • वर्ष 2015 में लगभग 41% ग्रामीण आबादी खुले में शौच करती थी, जो वर्ष 2022 में घटकर 17% रह गई।
    • स्वच्छता सुविधाओं के संदर्भ में वर्ष 2015 में 51% घरों में न्यूनतम बुनियादी स्वच्छता थी, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 75% हो गई।
  • खुले में शौच के आँकड़ों में गिरावट की दर: 
    • भारत में खुले में शौच के आँकड़ों में 3.39% की वार्षिक औसत गिरावट दर्ज की गई है।
    • यदि यह गिरावट दर जारी रही, तो खुले में शौच-मुक्त स्थिति हासिल करने में लगभग चार से पाँच वर्ष लगेंगे।
  • सिफारिशें:
    • खुले में शौच के स्थान पर शौचालय के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये व्यवहार परिवर्तन के महत्त्व पर बल देना ।
    • ODF स्थिति का सटीक पता लगाने के लिये शौचालयों के उपयोग के प्रति व्यावहारिक परिवर्तन की दर निर्धारित करना और उसे मापना।
    • इसके उन्मूलन की दिशा में कार्य कर खुले में शौच के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभावों को संबोधित करना।
    • सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने और निरंतर प्रगति सुनिश्चित करने के लिये स्वच्छता प्रथाओं की निरंतर निगरानी और मूल्यांकन करना ।
    • JMP रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर मील के पत्थर के रूप में भारत में ODF का पुनर्मूल्यांकन करना और खुले में शौच को संबोधित करना तथा स्वच्छता सुविधाओं में सुधार के लिये व्यापक उपाय करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. "जल, स्वच्छता और स्वच्छता आवश्यकताओं को संबोधित करने वाली नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये लाभार्थी वर्गों की पहचान को प्रत्याशित परिणामों के साथ समन्वित किया जाना है।" WASH योजना के संदर्भ में कथन का परीक्षण कीजिये। (2017) 

प्रश्न. सामाजिक प्रभाव, स्वच्छ भारत अभियान की सफलता में कैसे योगदान दे सकता है? (2016) 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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