शासन व्यवस्था
लॉटरी पर कर अधिरोपण: सर्वोच्च न्यायालय
- 26 Mar 2022
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प्रिलिम्स के लिये:ऑनलाइन गेमिंग, जुआ, कर्नाटक पुलिस (संशोधन) अधिनियम, 2021, ‘गेम ऑफ स्किल’, ‘गेम ऑफ चांस’, लॉटरी, सट्टेबाज़ी। मेन्स के लिये:निर्णय और मामले, ऑनलाइन गेमिंग और इसके प्रभाव, जुआ, सट्टेबाज़ी एवं लॉटरी से संबंधित कानून। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा है कि एक राज्य विधायिका को अपने अधिकार क्षेत्र में अन्य राज्यों द्वारा आयोजित लॉटरी पर कर लगाने का अधिकार है।
- इससे पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कर्नाटक पुलिस (संशोधन) अधिनियम, 2021 के प्रमुख हिस्सों को खारिज करते हुए एक निर्णय दिया था, जिसमें ऑनलाइन जुआ और कौशल-आधारित गेमिंग (गेम ऑफ स्किल) प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
- वर्ष 2020 में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि लॉटरी, जुआ और सट्टेबाज़ी ‘वस्तु एवं सेवा कर’ (GST) अधिनियम, 2017 के तहत कर योग्य है।
इस निर्णय की पृष्ठभूमि:
- यह फैसला कर्नाटक और केरल सरकारों द्वारा अपने संबंधित उच्च न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ दायर अपीलों पर दिया गया है, जिसमें केरल एवं कर्नाटक में नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मणिपुर राज्यों द्वारा आयोजित और प्रचारित लॉटरी पर कर लगाने हेतु उनकी विधायिकाओं ने अधिनियमित कानूनों को रद्द कर दिया था।
- उच्च न्यायालयों ने दोनों राज्यों द्वारा बनाए गए कर कानूनों को अमान्य और असंवैधानिक पाया था और यहाँ तक कि केरल एवं कर्नाटक को लॉटरी से कर के रूप में एकत्र किये गए धन को उत्तर-पूर्वी राज्यों को वापस करने का निर्देश दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय:
- न्यायालय ने पाया कि 'लॉटरी' एक ‘जुआ गतिविधि’ है।
- 'सट्टेबाज़ी और जुआ' संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्य सूची का विषय है।
- ऐसे में राज्य सरकार को उन सभी गतिविधियों पर कर अधिरोपित करने की शक्ति प्राप्त है, जो लॉटरी सहित 'सट्टेबाज़ी और जुए' की प्रकृति की हैं।
- सट्टेबाज़ी और जुआ एक प्रकार की व्यापक श्रेणी है जिसमें घुड़दौड़, व्हीलिंग व अन्य स्थानीय सट्टेबाज़ी एवं जुआ से संबंधित गतिविधियाँ शामिल हैं।
- अदालत ने कहा कि चूँकि इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि लॉटरी भारत सरकार या राज्य सरकार या राज्य द्वारा अधिकृत है या राज्य सरकार या केंद्र सरकार की किसी एजेंसी या संस्था या किसी निजी अभिकर्त्ता द्वारा संचालित व आयोजित 'सट्टा और जुआ' है तथा राज्य विधानसभाओं के पास राज्य सूची की प्रविष्टि 62 के तहत लॉटरी पर कर लगाने का अधिकार है।
- उक्त प्रविष्टि के तहत कराधान में सट्टेबाज़ी और जुआ जैसी गतिविधियों को शामिल किया जाता है जिसमें लॉटरी भी शामिल है, भले ही इनका संचालन किसी भी संस्था द्वारा किया जाता हो।
लॉटरी, जुआ और सट्टेबाज़ी से संबंधित केंद्रीय कानून:
- लॉटरी (विनियमन) अधिनियम, 1998:
- इस अधिनियम के तहत भारत में लॉटरी को कानूनी रूप से मान्यता प्रदान की गई है। लॉटरी का आयोजन राज्य सरकार द्वारा किया जाना चाहिये और लॉटरी के ड्रॉ का स्थान भी उस राज्य विशेष में ही होना चाहिये।
- भारतीय दंड संहिता, 1860:
- यदि कोई सार्वजनिक स्थान पर अश्लील कार्य करता है या किसी भी सार्वजनिक स्थान या उसके आस-पास कोई अश्लील गीत गाता है या बोलता है तो संहिता में इससे संबंधित दंड का प्रावधान है।
- यदि सट्टेबाज़ी और जुए की गतिविधियों के विज्ञापन के लिये कोई अश्लील सामग्री का उपयोग करता है तो आईपीसी के प्रावधान लागू हो सकते हैं।
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999:
- इस अधिनियम के तहत लॉटरी, रेसिंग/राइडिंग से अर्जित आय के प्रेषण को प्रतिबंधित किया जाता है।
- सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021:
- इन नियमों के तहत कोई भी इंटरनेट सेवा प्रदाता, नेटवर्क सेवा प्रदाता या कोई भी सर्च इंजन ऐसी किसी भी सामग्री को उपलब्ध नहीं कराएगा जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुए (Gambling) का समर्थन करती हो।
- आयकर अधिनियम, 1961:
- भारत में वर्तमान कराधान नीति प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सभी प्रकार के जुआ उद्योग को शामिल करती है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि सभी प्रकार से विनियमित एवं वैध जुआ भारत के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) द्वारा समर्थित है।
विगत वर्षों के प्रश्नभारतीय संसद को राष्ट्रीय हित में राज्य सूची के किसी विषय या वस्तु पर कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है, उस प्रस्ताव को निम्नलिखित में से किसके द्वारा पारित किया जाता है? (2016) (a) लोकसभा की कुल सदस्यता के साधारण बहुमत द्वारा उत्तर: (d) |