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भारतीय अर्थव्यवस्था

लॉटरी, जुआ और सट्टेबाज़ी पर कर संबंधी नियम

  • 05 Dec 2020
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में स्वीकार किया है कि लॉटरी, जुआ और सट्टेबाज़ी केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (GST) अधिनियम, 2017 के तहत कर योग्य हैं।

प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि
    • सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न लॉटरी डीलरों द्वारा दायर की गई याचिकाओं के संबंध में आदेश पारित किया है, जिसमें तर्क दिया गया है कि केंद्र सरकार ने अनुचित तरीके से लॉटरी को ‘वस्तु’ (Goods) के रूप में वर्गीकृत किया है।
    • केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 2 (52) और लॉटरी पर कर अधिरोपित करने संबंधी अधिसूचना को चुनौती देते हुए याचिकाकर्त्ताओं ने तर्क दिया कि यह कानून संविधान के तहत दिये गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और सूर्योदय एसोसिएट्स बनाम दिल्ली सरकार वाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए निर्णय के भी विपरीत है, जिसमें यह माना गया था कि लॉटरी केवल एक प्रकार का ‘एक्शनेबल क्लेम’ है और इसे ‘वस्तु’ के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
    • सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि लॉटरी, जुआ और सट्टेबाज़ी ‘एक्शनेबल क्लेम’ हैं और केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 2 (52) के तहत ‘वस्तु’ की परिभाषा के दायरे में आते हैं।
    • न्यायालय ने कहा कि लॉटरी, जुआ और सट्टेबाज़ी पर लगने वाला GST किसी भी प्रकार से भेदभावपूर्ण नहीं है तथा यह संविधान के तहत प्रदान किये गए समानता के अधिकार का उल्लंघन भी नहीं करता है।
      • केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की अनुसूची III के मुताबिक लॉटरी, जुआ और सट्टेबाज़ी के अलावा अन्य किसी भी ‘एक्शनेबल क्लेम’ को न तो वस्तु और न ही सेवाओं की आपूर्ति के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। 
      • इस तरह अधिनियम में कुछ चुनिंदा ‘एक्शनेबल क्लेम’ (लॉटरी, जुआ और सट्टेबाज़ी) ही GST के दायरे में लाए गए हैं।
    • लॉटरी, जुआ और सट्टेबाज़ी जैसे ‘एक्शनेबल क्लेम’ को GST के तहत शामिल करने के लिये संसद के पास अधिनियम के तहत ‘वस्तु’ की समावेशी परिभाषा निर्धारित करने का पूर्ण अधिकार है।
      • संविधान का अनुच्छेद 246A संसद को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के संबंध में कानून बनाने का अधिकार देता है, इसलिये अधिनियम की धारा 2 (52) के तहत निर्धारित ‘वस्तु’ (Goods) की परिभाषा को संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत नहीं माना जा सकता है।

क्या होते हैं ‘एक्शनेबल क्लेम’?

  • संपत्ति स्थानांतरण अधिनियम, 1882 के मुताबिक, ‘एक्शनेबल क्लेम’ का अभिप्राय अचल संपत्ति को बंधक रखकर अथवा चल संपत्ति को गिरवी रखकर सुरक्षित किये गए ऋण के अलावा अन्य किसी भी ऋण के दावे से होता है।
  • ध्यातव्य है कि लॉटरी, जुआ और सट्टेबाज़ी से संबंधित गतिविधियों को ही GST के आधीन रखा गया है और इन तीनों के अतिरिक्त अन्य कोई भी ‘एक्शनेबल क्लेम’ वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में नहीं आता है।
  • ‘एक्शनेबल क्लेम’ के कुछ उदाहरण 
    • वह बीमा पॉलिसी जिसके लिये बंधक अथवा अन्य किसी माध्यम से सुरक्षा प्रदान नहीं की गई है।
    • किराए के बकाए का दावा भी ‘एक्शनेबल क्लेम’ है, क्योंकि इसे किसी भी चल अथवा अचल संपत्ति के माध्यम से सुरक्षा प्रदान नहीं की गई है।
    • भविष्य निधि का दावा। 
    • असुरक्षित ऋण का दावा।

लॉटरी, जुआ और सट्टेबाज़ी से संबंधित केंद्रीय कानून

  • लॉटरी (विनियमन) अधिनियम, 1998
    • इस अधिनियम के तहत भारत में लॉटरी को कानूनी रूप से मान्यता प्रदान की गई है। लॉटरी का आयोजन राज्य सरकार द्वारा किया जाना चाहिये और लॉटरी के ड्रॉ का स्थान भी उस राज्य विशेष में ही होना चाहिये।
  • पुरस्‍कार प्रतियोगिता अधिनियम, 1955
    • यह अधिनियम किसी भी प्रतियोगिता में पुरस्कार को परिभाषित करता है।
  • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999
    • इस अधिनियम के तहत लॉटरी के माध्यम से अर्जित आय के प्रेषण को प्रतिबंधित किया जाता है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2011
    • इन नियमों के तहत कोई भी इंटरनेट सेवा प्रदाता, नेटवर्क सेवा प्रदाता या कोई भी सर्च इंजन ऐसा कोई भी कंटेंट प्रदान नहीं करेगा, जो प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से जुए (Gambling) का समर्थन करता है।
  • आयकर अधिनियम, 1961
    • इस अधिनियम के तहत भारत में वर्तमान कराधान नीति प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सभी प्रकार के जुआ उद्योग को कवर करती है।

स्रोत: द हिंदू

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