कोयला गैसीकरण के माध्यम से उत्पादित यूरिया के लिये सब्सिडी नीति | 23 Apr 2021
चर्चा में क्यों?
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने तालचेर फर्टिलाइज़र्स लिमिटेड (TFL) द्वारा कोयला गैसीकरण के माध्यम से उत्पादित यूरिया के लिये विशेष सब्सिडी नीति को मंज़ूरी दे दी है।
- भारत में उर्वरको में व्यापक रुप से यूरिया का उपयोग किया जाता है। ।
प्रमुख बिंदु:
TFL यूरिया परियोजना के बारे में:
- क्षमता एवं स्थान: TFL 13,277 करोड़ रुपए के अनुमानित निवेश से कोयला गैसीकरण प्रौद्योगिकी पर एक यूरिया आधारित प्लांट ओडिशा में स्थापित करेगा। इस प्लांट की वार्षिक क्षमता 1.27 मिलियन टन है।
- यह संयंत्र केवल कोयला गैसीकरण के माध्यम से नाइट्रोजन युक्त मिट्टी के लिये पोषक तत्त्व (यूरिया) का उत्पादन करेगा।
- तालचेर फर्टिलाइज़र लिमिटेड (TFL) को सार्वजनिक क्षेत्र के चार उपक्रमों- गेल (GAIL), कोल इंडिया लिमिटेड (CIL), राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइज़र्स (RCF) और FCIL के एक संघ के रूप में शुरू किया गया था।
अपेक्षित फायदे:
- इस परियोजना से किसानों के लिये उर्वरक की उपलब्धता में सुधार होगा जिससे पूर्वी क्षेत्र का विकास होगा और देश के पूर्वी हिस्से में यूरिया की आपूर्ति के लिये परिवहन सब्सिडी की बचत होगी।
- इससे यूरिया के आयात को कम करके प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन की दर से विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी।
- इस परियोजना से ‘मेक इन इंडिया’ पहल और आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी बढ़ावा मिलेगा साथ ही बुनियादी ढाँचे जैसे- सड़क, रेल आदि के विकास में सहायता मिलेगी।
- यह परियोजना संबंधित क्षेत्र से जुड़े सहायक उद्योगों को नए व्यापार अवसर भी प्रदान करेगी।
कोयला गैसीकरण:
- कोयला गैसीकरण (Coal Gasification) को संश्लेषण गैस (Synthesis Gas) या सिनगैस भी कहा जाता है, में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है। सिनगैस (Syngas) हाइड्रोजन (H2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का मिश्रण है।
- सिनगैस का उपयोग बिजली के उत्पादन और उर्वरक जैसे रासायनिक उत्पाद के निर्माण सहित विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जा सकता है।
- कोयले से प्राप्त हाइड्रोजन गैसीकरण का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है जैसे कि अमोनिया बनाने से हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी होगी।
- एंज़ाइम यूरीज़ अमोनिया और कार्बन डाइऑक्साइड में यूरिया को विघटित कर देता है।
- कोयले का स्वस्थाने गैसीकरण या अंडरग्राउंड कोल गैसीफिकेशन (UGC) - यह कोयले को गैस में परिवर्तित करने की एक तकनीक है जो खदानों की तली में मौजूद होते है, जिसे कुओं के माध्यम से निकाला जा रहा है।
- इस परियोजना में 20,000 करोड़ रु का निवेश किया जाएगा।भारत ने 2030 तक लक्ष्य निर्धारित किया है कि यह चार प्रमुख परियोजनाओं के तहत 100 मिलियन टन कोयला गैसीकरण का उत्पादन किया जाएगा।
भारत में उर्वरक की खपत:
- FY20 में भारत की उर्वरक खपत लगभग 61 मिलियन टन थी, जिसमें से 55% यूरिया था और अनुमान है कि वित्त वर्ष 2015 में इसमें 5 मिलियन टन की वृद्धि हुई थी।
- चूँकि गैर-यूरिया (MoP, DAP, जटिल) किस्मों की लागत अधिक होती है, कई किसान वास्तव में ज़रूरत से ज़्यादा यूरिया का उपयोग करना पसंद करते हैं
- सरकार ने यूरिया की खपत को कम करने के लिये कई उपाय किये हैं । इसने गैर-कृषि उपयोगों के लिये यूरिया के अवैध प्रयोग को कम करने के लिये नीम कोटेड यूरिया की शुरुआत की । इसने जैविक और शून्य-बजट खेती को बढ़ावा दिया ।
- यूरिया पर सब्सिडी: केंद्र प्रत्येक संयंत्र में उत्पादन की लागत के आधार पर उर्वरक निर्माताओं को यूरिया पर सब्सिडी का भुगतान करता है और सरकार द्वारा निर्धारित अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर उर्वरक बेचने की आवश्यकता होती है।
- गैर-यूरिया उर्वरकों के MRP को कंपनियों द्वारा नियंत्रित या नियत किया जाता है। हालाँकि केंद्र इन पोषक तत्त्वों पर प्रतिटन सब्सिडी का भुगतान यह सुनिश्चित करने के लिये करता है कि उनकी कीमत “उचित स्तर” बनी रहे।
- गैर-यूरिया उर्वरकों के उदाहरण: Di-अमोनियम फॉस्फेट (DAP), पोटैशियम क्लोराइड (MOP)