भूगोल
कोयला गैसीकरण प्रोद्योगिकी
- 30 Sep 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में ओडिशा के तालचेर उर्वरक संयंत्र को यूरिया और अमोनिया के उत्पादन के लिये कोयला गैसीकरण इकाई शुरू करने का अनुबंध देने का निर्णय लिया गया। यह भारत का पहला कोयला गैसीकरण आधारित संयंत्र होगा जिससे प्राप्त गैस का उर्वरक उत्पादन में कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाएगा।
पृष्ठभूमि
- यह फर्टिलाइज़र कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (FCIL) और हिंदुस्तान फर्टिलाइज़र कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HFCL) के बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों को पुनर्जीवित करने की सरकार की पहल का हिस्सा है।
- फर्टिलाइज़र कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (FCIL) ने पहली बार वर्ष 1980 में ओडिशा संयंत्र में यूरिया और अमोनिया का उत्पादन शुरू किया था।
- हालाँकि अनियमित बिजली आपूर्ति और बेमेल प्रौद्योगिकी जैसी बाधाओं की वज़ह से संयंत्र का परिचालन बंद करना पड़ा।
- तत्पश्चात् वर्ष 2007 में इस संयंत्र को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया गया और वर्ष 2014 में तालचेर फर्टिलाइज़र लिमिटेड को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों- गेल (GAIL), कोल इंडिया लिमिटेड (CIL), राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (RCF) और FCIL के एक संघ के रूप में शुरू किया गया था।
कोयला गैसीकरण क्या है?
- कोयला गैसीकरण (Coal Gasification) कोयले को संश्लेषण गैस (Synthesis Gas), जिसे सिनगैस भी कहा जाता है, में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है।
- सिनगैस (Syngas) हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का मिश्रण है।
- सिनगैस का उपयोग बिजली के उत्पादन और उर्वरक जैसे रासायनिक उत्पाद के निर्माण सहित विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जा सकता है।
- कोयला गैसीकरण प्रक्रिया अत्यधिक संभावनाओं से युक्त है क्योंकि कोयला दुनिया भर में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध जीवाश्म ईंधन है। इसके अतिरिक्त इसमें निम्न श्रेणी के कोयले का भी उपयोग किया जा सकता है।
लाभ
- कोयला गैसीकरण प्रोद्योगिकी आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने और पेरिस समझौते के तहत प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सहायता करेगी।
- वर्तमान में यूरिया का उत्पादन प्राकृतिक गैस के उपयोग से किया जाता है, जिसमें घरेलू प्राकृतिक गैस और आयातित द्रवित प्राकृतिक गैस (LNG) दोनों शामिल हैं।
- उर्वरक बनाने के लिये स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कोयले के उपयोग से LNG के आयात को कम करने में मदद मिलेगी।
- भारत वर्तमान में हर साल 50 से 70 लाख टन यूरिया का आयात करता है।
- इन इकाइयों के पुनरुद्धार से घरेलू रूप से उत्पादित उर्वरकों की उपलब्धता में वृद्धि होगी और मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा मिलेगा।
- इस परियोजना से लगभग 4,500 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार का सृजन होगा।