अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह का सामरिक महत्त्व | 17 Apr 2024
प्रिलिम्स के लिये:Andaman and Nicobar Islands, Indo-Pacific region, Malacca Strait, UNCLOS, India's Act East Policy मेन्स के लिये:अंडमान और निकोबार द्वीप से जुड़े सामरिक महत्त्व और चुनौतियाँ, भारत पर भू-राजनीतिक प्रभाव |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (ANI) को विकसित करने पर भारत सरकार का नए सिरे से ध्यान केंद्रित करना, भारत-प्रशांत क्षेत्र में उनके रणनीतिक महत्त्व को रेखांकित करता है, जिससे बुनियादी ढाँचे एवं सुरक्षा को बढ़ाने के प्रयासों को बढ़ावा मिलता है।
- द्वीपों पर नागरिक और सैन्य दोनों तरह के रणनीतिक बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर हालिया फोकस लंबे समय से लंबित है तथा आज़ादी के बाद से रणनीतिक सामुद्रिक दृष्टि की कमी को दर्शाता है।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का सामरिक महत्त्व क्या है?
- भारतीय मुख्य भूमि से 700 समुद्री मील दक्षिण-पूर्व में स्थित, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में 300,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जोड़ता है, जिसमें समुद्र के नीचे हाइड्रोकार्बन एवं खनिज भंडार की संभावना है।
- मलक्का जलडमरूमध्य पर द्वीपों की रणनीतिक स्थिति, उन्हें भारत-प्रशांत क्षेत्र में निगरानी और शक्ति प्रोजेक्ट करने की भारत की क्षमता के लिये एक महत्त्वपूर्ण परिसंपत्ति बनाती है।
- मलक्का जलडमरूमध्य एक महत्त्वपूर्ण समुद्री अवरोध बिंदु है, जहाँ से हर साल 90,000 से अधिक व्यापारिक जहाज़ (merchant ships) दुनिया का लगभग 30% व्यापार योग्य वस्तुओं का आयत-निर्यात होता है।
- ये द्वीप म्याँमार, थाईलैंड, इंडोनेशिया एवं बांग्लादेश के साथ समुद्री सीमाएँ साझा करते हैं, जिससे भारत को विशेष आर्थिक क्षेत्र और महाद्वीपीय शेल्फ के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (United Nations Convention on the Law of the Sea - UNCLOS) के तहत पर्याप्त समुद्री स्थान प्राप्त होता है।
- ये द्वीप विशेषकर भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण, भारत की समुद्री सुरक्षा को कमज़ोर करने के पूर्व के किसी भी प्रयास के विरुद्ध रक्षा के प्रथम स्तर के रूप में कार्य कर सकते हैं, ।
- पोर्ट ब्लेयर आपदा राहत, चिकित्सीय सहायता, समुद्री डकैती से निपटने, खोज और बचाव तथा अन्य समुद्री सुरक्षा पहलों पर सहयोग करने के लिये नौसेनाओं के लिये एक क्षेत्रीय केंद्र बन सकता है।
ANI के विकास में क्या चुनौतियाँ हैं?
- भारत की लुक ईस्ट नीति से मज़बूत एक्ट ईस्ट नीति में बदलाव के साथ-साथ समुद्री शक्ति के महत्त्व और चीनी PLA नौसेना की बढ़ती क्षमताओं ने भारतीय द्वीप क्षेत्रों, विशेषकर अंडमान और निकोबार समूह को विकसित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
- हाल तक राजनीतिक प्राथमिकता का अभाव, द्वीपों के रणनीतिक महत्त्व का एहसास केवल अब हुआ है।
- मुख्य भूमि से दूरी की चुनौतियाँ और बुनियादी ढाँचे के विकास में कठिनाइयाँ।
- वन और जनजातीय संरक्षण पर जटिल पर्यावरण मंज़ूरी प्रक्रियाएँ और नियम।
- कई मंत्रालयों और एजेंसियों की भागीदारी के कारण समन्वय चुनौतियाँ। दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टि और तात्कालिक राजनीतिक लाभ के बीच संघर्ष।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में किस रणनीतिक बुनियादी ढाँचे के विकास की आवश्यकता है?
- समुद्री डोमेन जागरूकता बढ़ाना:
- द्वीपों पर व्यापक समुद्री डोमेन जागरूकता और निगरानी सुनिश्चित करना।
- पूर्व से किसी भी नौसैनिक दुस्साहस के विरुद्ध निवारक क्षमताओं को मज़बूत करना।
- बुनियादी ढाँचे को मज़बूत बनाना:
- भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था को, विशेषकर द्वीपों के दक्षिणी समूह में समर्थन देने के लिये बुनियादी ढाँचे का विकास करना।
- विकास एवं पर्यटन को सुविधाजनक बनाने के लिये परिवहन और कनेक्टिविटी में सुधार करना। ग्रेट निकोबार द्वीप पर गैलाथिया खाड़ी ट्रांँसशिपमेंट बंदरगाह का विकास करना।
- सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) के माध्यम से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को मुख्य भूमि से जोड़ने की योजना को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। इससे सस्ती व बेहतर कनेक्टिविटी और डिजिटल इंडिया के लाभों तक पहुँच मिलेगी।
- आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं के लिये मुख्य भूमि के समर्थन पर द्वीपों की निर्भरता को कम करना।
- विकास एवं पर्यटन के लिये परिवहन और कनेक्टिविटी को बढ़ाना।
- उच्च गति वाली अंतर-द्वीपीय नौका सेवाओं और एक सीप्लेन टर्मिनल की स्थापना करना।
- भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था को, विशेषकर द्वीपों के दक्षिणी समूह में समर्थन देने के लिये बुनियादी ढाँचे का विकास करना।
- सैन्य उपस्थिति बढ़ाना:
- सेना को द्वीप की सुरक्षा बनाए रखने के लिये अंडमान निकोबार कमांड (ANC) में सेना की तैनाती बढ़ानी चाहिये। जिसमें वहाँ निगरानी और लड़ाकू विमानों को तैनात करने के साथ-साथ निरंतर सैन्य टुकड़ियों का संचालन करना भी शामिल है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- विकास पहलों के लिये क्वाड और इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI) के साथ साझेदारी स्थापित करना।
- भारत की उत्तरी सीमाओं पर बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु रियायतों की मांग करना।
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह:
- इतिहास:
- अंडमान एवं निकोबार द्वीप के साथ भारत का जुड़ाव वर्ष 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात् से है, जब अंग्रेज़ों ने भारतीय क्रांतिकारियों के लिये एक दंड कॉलोनी (penal colony) की स्थापना की थी।
- इन द्वीपों पर वर्ष 1942 में जापानियों ने कब्ज़ा कर लिया था और बाद में वर्ष 1943 में ब्रिटिश शासन से मुक्त होने वाला यह भारत का प्रथम भाग बन गया, जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर का दौरा किया।
- वर्ष 1945 में जापानियों के आत्मसमर्पण के बाद अंग्रेज़ों ने द्वीपों पर पुनः कब्ज़ा कर लिया। हालाँकि स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर द्वीप भारत को दे दिये गये।
- स्वतंत्रता से लेकर वर्ष 1962 तक की अवधि में द्वीपों की उनके दूरस्थ स्थान के कारण उपेक्षा देखी गई।
- वर्ष1962 में एक चीनी पनडुब्बी के प्रति चिंता के कारण एक नौसैनिक गैरीसन की स्थापना की गई थी। वर्ष 2001 में कारगिल युद्ध के बाद सुरक्षा समीक्षा के बाद पोर्ट ब्लेयर में अंडमान निकोबार कमांड (ANC) की स्थापना की गई, जो भारत की पहली संयुक्त और एकीकृत परिचालन कमान थी।
- वर्ष 2001 में स्थापित ANC, भारत की पहली संयुक्त या एकीकृत परिचालन कमान है, जो तीनों सेवाओं के साथ ही तटरक्षक बल को एक ही कमांडर-इन-चीफ के अधीन रखती है।
- ANC रणनीतिक अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में व्यापक समुद्री डोमेन जागरूकता तथा निरोध क्षमताओं को बनाए रखने के लिये उत्तरदायी है।
- मुख्य तथ्य:
- 10 डिग्री चैनल एक संकीर्ण जलडमरूमध्य है जो अंडमान द्वीप समूह को निकोबार द्वीप समूह से अलग करता है। यह लगभग 10 डिग्री अक्षांश चिह्न पर स्थित है।
- इंदिरा पॉइंट निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी सिरा है। यह ग्रेट निकोबार द्वीप पर स्थित है और भारत के सबसे दक्षिणी बिंदु को चिह्नित करता है।
- ANI 5 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों का आवास है: ग्रेट अंडमानीज़, जारवा, ओंगेस, शोम्पेन एवं उत्तरी सेंटिनलीज़।
- नवीनतम विकास:
- नीति आयोग ग्रेट निकोबार के लिये एक परियोजना चला रहा है जिसमें एक अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल, एक हवाई अड्डा, एक बिजली संयंत्र के साथ-साथ एक टाउनशिप भी शामिल होगी।
- इसके अतिरिक्त, लिटिल अंडमान के प्रस्ताव में सिंगापुर एवं हांगकांग के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये एक नए ग्रीनफील्ड तटीय शहर के विकास की घोषणा की गई है।
- क्रा नहर, थाईलैंड में एक प्रस्तावित नहर है जो थाईलैंड की खाड़ी को अंडमान सागर से जोड़ेगी। इसका उद्देश्य हिंद महासागर के साथ ही दक्षिण चीन सागर के बीच शिपिंग के लिये एक लघु मार्ग का निर्माण करना है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न. भारत को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऐतिहासिक महत्त्व एवं विशेष रूप से भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की समुद्री महत्वाकांक्षाओं के संबंध में भू-राजनीतिक प्रासंगिकता को ध्यान में रखते हुए विकास और सुरक्षा को किस प्रकार से प्राथमिकता देनी चाहिये? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न.निम्नलिखित द्वीपों के युग्मों में से कौन-सा एक 'दश अंश जलमार्ग' द्वारा आपस में पृथक किया जाता है? (2014) (a) अंडमान एवं निकोबार उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित में से किनमें प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित में से किस स्थान पर शोम्पेन जनजाति पाई जाती है? (2009) (a) नीलगिरि पहाड़ियाँ उत्तर: (b) |