भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत की पेटेंट वृद्धि में स्थिरता
- 24 Feb 2025
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प्रिलिम्स के लिये:बौद्धिक संपदा अधिकार, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन, उद्यम पूंजी मेन्स के लिये:भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR), डिजिटल पेटेंट फाइलिंग एवं IPR संरक्षण में AI |
स्रोत: बिज़नेसलाइन
चर्चा में क्यों?
पिछले एक दशक में भारत के बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) पारिस्थितिकी तंत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। हालांकि, वर्ष 2024 में पेटेंट आवेदनों में स्थिरता आई है जिससे इस चिंता पर प्रकाश पड़ा है कि अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निजी क्षेत्र के निवेश में कमी आने से नवाचार सीमित हो रहा है।
भारत के IPR पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित प्रमुख प्रवृत्तियाँ क्या हैं?
- पेटेंट में वृद्धि: पेटेंट आवेदनों के मामले में भारत अब विश्व स्तर पर छठे स्थान (वर्ष 2023 में 64,480 पेटेंट का आवेदन किया गया) पर है।
- पेटेंट आवेदन 42,951 (वर्ष 2013-14) से बढ़कर 92,168 (वर्ष 2023-24) हो गए, तथा बैकलॉग निपटान के कारण अनुदान में भी वृद्धि हुई है।
- वर्ष 2013-14 में 25.5% पेटेंट आवेदन भारतीय निवासियों ने किये थे, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 56% हो गए।
- इससे पहले पेटेंट का आवेदन करने में विदेशी बहुराष्ट्रीय निगमों का वर्चस्व था लेकिन अब भारतीय, अधिक संख्या में पेटेंट के लिये आवेदन कर रहे हैं।
- हालाँकि, वर्ष 2024-25 में 78,264 पेटेंट आवेदन तथा 26,083 ग्रांट से इस क्षेत्र की स्थिरता पर प्रकाश पड़ता है।
- ट्रेडमार्क: विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) की वर्ष 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेडमार्क फाइलिंग में अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है।
- भारत में ट्रेडमार्क आवेदनों में उल्लेखनीय वृद्धि (वर्ष 2016-17 के लगभग 2 लाख से बढ़कर वर्ष 2023-24 में लगभग 4.8 लाख) हुई है। हालाँकि, वृद्धि की दर धीमी बनी हुई है।
- औद्योगिक डिज़ाइन: औद्योगिक डिज़ाइन आवेदनों में 36.4% की वृद्धि वस्त्र, उपकरण एवं मशीनों और स्वास्थ्य क्षेत्र द्वारा प्रेरित है।
- जनशक्ति: पेटेंट कार्यालय का कार्यबल वर्ष 2014-15 में 272 था जो वर्तमान में बढ़कर 956 हो गया है लेकिन अभी भी यह चीन (13,704) और अमेरिका (8,132) से कम है।
भारत के पेटेंट इकोसिस्टम के समक्ष कौन-सी चुनौतियाँ हैं?
- अनुसंधान एवं विकास निवेश के कमी: भारत का अनुसंधान एवं विकास व्यय सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 0.65% है (अमेरिका (3.6%), चीन (2.4%), सिंगापुर (2.2%) की अपेक्षा)।
- निजी क्षेत्र का अनुसंधान एवं विकास में केवल 36% का योगदान है, जबकि अमेरिका में निजी क्षेत्र का योगदान 79% और चीन में 77% है।
- अनेक भारतीय कंपनियाँ वैश्विक स्तर पर संचालन करती हैं लेकिन अनुसंधान एवं विकास में इनका निवेश कम होता है, जिससे पेटेंट दाखिल करने की संख्या सीमित हो जाती है।
- विदेशी पेटेंट पर उच्च निर्भरता: घरेलू फाइलिंग में वृद्धि के बावजूद, वर्ष 2022 में भारत में स्वीकृत पेटेंटों का एक बड़ा हिस्सा (74.46%) विदेशी संस्थाओं को दिया गया, जो चीन के 12.87% से कहीं अधिक है।
- भारत आयातित प्रौद्योगिकी पर निर्भर बना हुआ है, जिसके कारण व्यापार घाटा बढ़ रहा है और नवाचार में आत्मनिर्भरता कम हो रही है।
- जनशक्ति की कमी: कुशल परीक्षकों के अभाव के कारण पेटेंट की जाँच करने की क्षमता सीमित है। परीक्षकों की सीमित संख्या के कारण अनुमोदन प्रक्रिया में देरी होती है और पेटेंट स्वीकृति दर कम होती है।
- औसतन, भारत में पेटेंट स्वीकृत किया जाने की अवधि 58 माह है, जबकि अमेरिका में यह अवधि केवल 21 माह है।
- पेटेंट आवेदनों की गुणवत्ता: निम्न गुणवत्ता वाले आवेदनों, अनुपयुक्त शोध, साहित्यिक चोरी वाली सामग्री और स्टार्टअप्स में संसाधनों के अभाव के कारण घरेलू पेटेंट आवेदनों को स्वीकृति मिलने में देरी होती है।
- कमज़ोर प्रवर्तन: भारत में पेटेंट उल्लंघन के मामले बढ़ रहे हैं और कमज़ोर प्रवर्तन तथा न्यायिक लंबित मामलों से इसके प्रभावी संरक्षण में बाधा उत्पन्न होती है।
- भारतीय फर्मों में प्रायः वैश्विक बौद्धिक संपदा तंत्र का प्रभावी रूप से संचलन करने की विशेषज्ञता का अभाव होता है। डिजिटल युग में, आसान प्रतिकृति, अनामित उल्लंघनकर्त्ता और सीमा पार से होने वाली चोरी संबद्ध क्षेत्र के प्रवर्तन को और जटिल बना देती है।
आगे की राह
- पेटेंट दाखिल करने में सुगमता: AI-संचालित IP उल्लंघन पहचान प्रणालियों के साथ डिजिटल पेटेंट प्रसंस्करण को सुव्यवस्थित करने से पेटेंट दाखिल करने की संख्या में वृद्धि हो सकती है।
- कॉर्पोरेट अनुसंधान एवं विकास व्यय के लिये कर प्रोत्साहन तथा उद्यम पूंजी वित्तपोषण में वृद्धि से गहन प्रौद्योगिकी प्रगति को बढ़ावा मिल सकता है तथा पेटेंट दाखिल करने में वृद्धि हो सकती है।
- प्रवर्तन और विधिक ढाँचा: पेटेंट विवादों को तेज़ी से निपटाने के लिये विशेष IP न्यायालय स्थापित करना चाहिये। कॉपीराइट अधिनियम 1957 के तहत उल्लंघन को रोकने के लिये कॉपीराइट उल्लंघन के लिये दंड में वृद्धि की जानी चाहिये।
- नवप्रवर्तन के लिये वैश्विक साझेदारियाँ: सीमा पार फाइलिंग को सरल बनाने और भारत के IP पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये रियाद डिज़ाइन कानून संधि जैसी वैश्विक पेटेंट संधियों में भाग लेना।
- IP जागरूकता: IP शिक्षा को पाठ्यक्रम में एकीकृत करना तथा विश्वविद्यालयों और व्यवसायों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना।
- घरेलू पेटेंट दाखिलों की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने के लिये WIPO जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ संयुक्त अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को प्रोत्साहित करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत ने IP फाइलिंग में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई है, फिर भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। भारत के IPR पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. 'राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (c) प्रश्न: वैश्वीकृत दुनिया में बौद्धिक संपदा अधिकार महत्त्व रखते हैं और मुकदमेबाज़ी का एक स्रोत है। कॉपीराइट, पेटेंट तथा ट्रेड सीक्रेट्स के बीच व्यापक रूप से अंतर कीजिये। (2014) |