भारतीय अर्थव्यवस्था
साउथ एशिया इकोनाॅमिक फोकस: विश्व बैंक
- 16 Apr 2022
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प्रिलिम्स के लिये:विश्व बैंक,साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस, जीडीपी, जीवीए, उच्च तेल और खाद्य मूल्य। मेन्स के लिये:महिलाओं से संबंधित मुद्दे, साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस, दक्षिण एशिया में जीडीपी विकास को प्रभावित करने वाले कारक। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस (द्वि-वार्षिक) में भारत और पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिये अपने आर्थिक विकास के पूर्वानुमान में कटौती की।
साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस वर्तमान के आर्थिक विकास का वर्णन, यूक्रेन में युद्ध के दक्षिण एशिया पर आर्थिक प्रभाव का विश्लेषण, विकास के पूर्वानुमान के साथ-साथ ज़ोखिम परिदृश्य प्रदान करता है और इसने यह निष्कर्ष निकाला है कि अर्थव्यवस्थाओं को फिर से आकार देने के लिये मानदंडों को पुनः आकार देने की आवश्यकता है।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुमान:
- चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिये भारत की विकास दर को 8.7% के पिछले अनुमान से घटाकर 8% कर दिया जाए।
- अफगानिस्तान को छोड़कर 1% की कटौती दक्षिण एशिया के लिये विकास दृष्टिकोण को 6.6% तक इंगित करती है।
- जून में समाप्त होने वाले चालू वर्ष के लिये इस क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पाकिस्तान हेतु अपने विकास पूर्वानुमान को 3.4% से बढ़ाकर 4.3% कर दिया और अगले वर्ष के विकास दृष्टिकोण को 4% पर अपरिवर्तित रखा है।
कम जीडीपी अनुमान के लिये ज़िम्मेदार कारक:
- बिगड़ती आपूर्ति शृंखला और यूक्रेन संकट के कारण बढ़ता मुद्रास्फीति ज़ोखिम।
- भारत में महामारी और मुद्रास्फीति के दबाव तथा श्रम बाज़ार की रिकवरी से घरेलू खपत बाधित होगी।
- यूक्रेन में युद्ध के कारण तेल और खाद्य पदार्थों की ऊँची कीमतों का लोगों की वास्तविक आय पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- ऊर्जा आयात पर क्षेत्र की निर्भरता का मतलब है कि कच्चे तेल की उच्च कीमतों ने अर्थव्यवस्थाओं को मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने के लिये मjबूर किया है, न कि लगभग दो वर्षों की महामारी के दौरान प्रतिबंधों के बाद आर्थिक विकास को पुनर्जीवित करने के लिये।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP):
- यह किसी देश की आर्थिक गतिविधि का एक उपाय है। यह किसी देश की वस्तुओं और सेवाओं के वार्षिक उत्पादन का कुल मूल्य है।
- जीडीपी = निजी खपत + सकल निवेश + सरकारी निवेश + सरकारी खर्च + निर्यात-आयात।
सकल मूल्यवर्द्धित (GVA) और जीडीपी (GDP) में अंतर:
- GVA अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन और आय का एक उपाय है। यह उन वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में इनपुट और कच्चे माल की लागत में की गई कटौती के बाद अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की संख्या के लिये मौद्रिक मूल्य प्रदान करता है।
- यह किसी विशिष्ट क्षेत्र, उद्योग या अर्थव्यवस्था की विशिष्ट तस्वीर भी प्रदान करता है।
- मैक्रो स्तर पर राष्ट्रीय लेखा परिप्रेक्ष्य से GVA किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद और अर्थव्यवस्था में सब्सिडी एवं करों का योग है।
- सकल मूल्यवर्द्धन = GDP + उत्पादों पर सब्सिडी - उत्पादों पर कर।
महिलाओं से संबंधित निष्कर्ष:
- पारंपरिक दृष्टिकोण: लिंग के प्रति पारंपरिक दृष्टिकोण और गहरी जड़ें सामाजिक मानदंड निर्मित करते रहे हैं या समय के साथ अधिक रूढ़िवादी हो गए हैं।
- वे लैंगिक समानता, बच्चों के कल्याण के साथ-साथ व्यापक आर्थिक विकास की दिशा में एक प्रमुख बाधा हो सकते हैं।
- महिलाओं द्वारा नुकसान का सामना: दशकों के आर्थिक विकास, बढ़ती शिक्षा और घटती प्रजनन क्षमता के बावजूद महिलाओं को इस क्षेत्र में आर्थिक अवसरों तक पहुंँचने में भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
- श्रम बल में भागीदारी: कई दक्षिण एशियाई देश महिला श्रम शक्ति भागीदारी के साथ-साथ अन्य प्रकार की लैंगिक असमानताओं जैसे- आंदोलन की स्वतंत्रता, सामाजिक संपर्क, संपत्ति के स्वामित्व और बेटे को वरीयता के मामले में वैश्विक स्तर पर सबसे निम्न स्तर पर हैं।
- कम आर्थिक गतिविधि: दुनिया भर में विकास के उच्च स्तर पर महिलाएंँ घर के कामों में कम समय और भुगतान वाले रोज़गार में अधिक समय व्यतीत करती हैं। हालांँकि अधिकांश दक्षिण एशियाई देशों में महिलाओं का आर्थिक गतिविधियों में जुड़ाव अपेक्षा से कम है जो इस क्षेत्र के विकास के स्तर को देखते हुए अपेक्षित होगा।
- रूढ़िवादी विश्वास: कुछ अपवादों के साथ दक्षिण एशियाई देशों में घरेलू श्रम विभाजन संबंधी रूढ़िवादी विश्वास महिलाओं के आर्थिक जुड़ाव में इन बड़े अंतरालों हेतु ज़िम्मेदार है।
प्रमुख सुझाव:
- योजनागत नीतियांँ: सरकारों को बाहरी झटकों का मुकाबला करने और कमज़ोर लोगों की सुरक्षा हेतु मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों की सावधानीपूर्वक योजना बनाने की आवश्यकता है।.
- महिलाओं के लिये हस्तक्षेप: देशों को उन हस्तक्षेपों को लागू करने की आवश्यकता है जो महिलाओं की आर्थिक भागीदारी में बाधाओं को कम करते हैं, जिसमें महिलाओं के खिलाफ पूर्वाग्रह वाले मानदंड भी शामिल हैं।
- लो कार्बन डेवलपमेंट: देशों को भी कम कार्बन विकास पथ पर तीव्रता के साथ कार्य करना चाहिये और ईंधन आयात पर निर्भरता को कम करने हेतु एक हरित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना चाहिये।
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