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जैव विविधता और पर्यावरण

मिनामाता अभिसमय की छठी वर्षगाँठ

  • 21 Aug 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मिनामाता रोग, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, विश्व स्वास्थ्य संगठन, ग्लोबल एन्वायरनमेंट फैसिलिटी, प्लैनेटगोल्ड कार्यक्रम, मिथाइलमरकरी

मेन्स के लिये:

पारा प्रदूषण के स्रोत, मिनामाता अभिसमय 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में पारे पर मिनामाता अभिसमय की छठी वर्षगाँठ मनाई गई, यह पारे के ज़हरीले प्रभावों से निपटने में वैश्विक प्रयासों का प्रतीक है।

  • इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) छोटे पैमाने पर सोने के खनन में पारे के उपयोग को खत्म करने के लिये चल रहे अभियान पर विचार करता है।
  • यह प्रथा अपने आर्थिक महत्त्व के बावजूद पारे के खतरनाक गुणों के कारण खनिकों और पर्यावरण दोनों के लिये गंभीर खतरा पैदा करती है।

मिनामाता अभिसमय:

  • पारा पर मिनामाता अभिसमय मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को पारे तथा इसके यौगिकों के प्रतिकूल प्रभावों से बचाने के लिये एक वैश्विक संधि है।
    • इसे वर्ष 2013 में जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में अंतर-सरकारी वार्ता समिति के पाँचवें सत्र में सहमति प्रदान की गई थी।
  • पारे के मानवजनित उत्सर्जन को नियंत्रित करना इस अभिसमय के प्रमुख दायित्वों में से एक है।

पारा प्रदूषण:

  • पारा: 
    • पारा पृथ्वी की भू-पर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक तत्त्व है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले शीर्ष दस रसायनों समूहों में से एक माना है।

पारा के प्रमुख अनुप्रयोग: 

  • थर्मामीटर और बैरोमीटर:
    • पारे के तापीय विस्तार का उच्च गुणांक और देखने में सरलता इसे पारंपरिक थर्मामीटर तथा बैरोमीटर में उपयोग के लिये उपयुक्त बनाती है।
  • रासायनिक और खनन प्रक्रियाएँ:
    • पारे का उपयोग क्लोरीन के उत्पादन और सोने के खनन सहित विभिन्न रासायनिक व खनन प्रक्रियाओं में किया जाता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल स्विच:
    • इसका उपयोग विभिन्न विद्युत अनुप्रयोगों में किया जाता है क्योंकि चालकता तथा कम प्रतिरोध के कारण पारा अच्छा विद्युत कनेक्शन प्रदान करने के लिये उपयुक्त है।

पारा प्रदूषण के स्रोत:

  • प्राकृतिक स्रोत:
    • ज्वालामुखी विस्फोटों से कम मात्रा में पारा निकलता है।
    • चट्टानों और मृदा अपरदन का कारण पारा जल निकायों में जा सकता है।
  • मानवजनित स्रोत:
    • कुटीर और लघु पैमाने पर सोने का खनन (ASGM): ASGM पारा प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है, जहाँ पारा का उपयोग अयस्क से सोना निकालने के लिये किया जाता है।
      • पारा का उपयोग अयस्कों से सोने के कणों को निकालने के लिये किया जाता है, जिससे कि मिश्रण (Amalgams) बनता है और इसे बाद में गर्म करके पारा को वाष्पित कर दिया जाता है, जिससे सोना बच जाता है।
      • सोने के खनन कार्य में लगे कारीगर वैश्विक पारा प्रदूषण के 37% के लिये ज़िम्मेदार हैं।
    • औद्योगिक प्रक्रियाएँ: विभिन्न उद्योग जैसे- क्लोरीन उत्पादन, सीमेंट निर्माण और अपशिष्ट भस्मीकरण, पारा उत्सर्जित करते हैं।
      • सीमेंट उद्योग वैश्विक मानवजनित पारा उत्सर्जन के लगभग 11% के लिये ज़िम्मेदार है।
    • अपशिष्ट निपटान: पारा युक्त ई-अपशिष्ट उत्पादों, जैसे कि फ्लोरोसेंट बल्ब और बैटरी आदि के अनुचित निपटान से पारा पर्यावरण में घुल जाता है।
  • संबद्ध प्रभाव: 
    • मिथाइलमरकरी मछली जैसे जलीय जीवों में जमा हो जाता है। लोग मुख्य रूप से मछली (Fish) और शेलफिश (Shellfish) के सेवन से मिथाइलमरकरी के संपर्क में आते हैं।
      • इस यौगिक से मिनामाता रोग (Minamata Disease) होने का खतरा अधिक होता हैयह मूल रूप से संवेदी प्रणाली को प्रभावित करता है तथा इससे श्रवण और दृश्य हानि हो सकती है। 
    • यह बीमारी सबसे पहले जापान के मिनामाता बे (Minamata Bay) के निवासियों में देखी गई थी, जो औद्योगिक अपशिष्ट प्रदूषण के कारण पारा-दूषित मछली का सेवन करते थे।

नोट: मिथाइलमरकरी और एथिलमरकरी काफी भिन्न हैं, जबकि मिथाइलमरकरी स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी है, एथिलमरकरी का उपयोग कुछ टीकों में परिरक्षक के रूप में किया जाता है तथा यह स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं से नहीं जुड़ी है।

आगे की राह

  • पारा हटाने वाले फिल्टर: औद्योगिक उत्सर्जन, अपशिष्ट जल उपचार और उपभोक्ता उत्पादों के लिये अभिनव पारा हटाने वाले फिल्टर डिज़ाइन करना और उनकी तैनाती करना।
    • ये फिल्टर हवा और जल धाराओं से पारा कणों को चुनिंदा रूप से पकड़ सकते हैं और सोख सकते हैं।
  • फाइटोरेमीडिएशन: फाइटोरेमीडिएशन, पौधों को मिट्टी, पानी या तलछट से पारा को अवशोषित करने और एकत्रित करने  मदद करती है। फिर इन पौधों की कटाई की जा सकती है और उनका सुरक्षित निपटान किया जा सकता है, जिससे पर्यावरण से पारे को प्रभावी ढंग से हटाया जा सकता है।
  • प्लैनेटगोल्ड कार्यक्रम का कार्यान्वयन: यूएनईपी के नेतृत्व में प्लैनेटगोल्ड कार्यक्रम के वैश्विक कार्यान्वयन की आवश्यकता है, जो सोने के लघु खनन कार्य में से पारा की उपयोगिता को खत्म करने और अधिक सुरक्षित कामकाज़ी परिस्तिथियाँ उत्पन्न करने में सहायाक होगा। यह पारा पर मिनामाता अभिसमय के तहत संचालित होता है।
    • वैश्विक पर्यावरण सुविधा द्वारा वित्तपोषित कार्यक्रम पारे की पहुँच से खनिकों को दूर रखने में मदद के लिये वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
    • बुर्किना फासो में प्लैनेटगोल्ड का पारा-मुक्त प्रसंस्करण संयंत्र पारा संक्रमण को रोकने हेतु एक मॉडल के रूप में कार्य करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. इस्तेमाल किये गए फ्लोरोसेंट इलेक्ट्रिक लैंप के विवेकहीन निपटान से पर्यावरण में पारा प्रदूषण होता है। इन लैंपों के निर्माण में पारे का उपयोग क्यों किया जाता है? (2010)

(a) लैंप के अंदर की गई पारे की कोटिंग प्रकाश को चमकदार सफेद बनाती है।
(b) जब लैंप को चालू किया जाता है, तो लैंप में पारा अल्ट्रा-वायलेट विकिरणों के उत्सर्जन का कारण बनता है।
(c) जब लैंप चालू होता है, तो यह पारा पराबैंगनी ऊर्जा को दृश्य प्रकाश में परिवर्तित करता है।
(d) फ्लोरोसेंट लैंप के निर्माण में पारा के उपयोग के बारे में ऊपर दिया गया कोई भी कथन सही नहीं है।

उत्तर: (b)

स्रोत: यू. एन. इ. पी.

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