जैव विविधता और पर्यावरण
पारा प्रदूषण
- 23 Mar 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:पारा के लिये मिनामाता सम्मेलन , पारा और इसकी विशेषताएँ। मेन्स के लिये:पारा प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट से संबंधित चिंताएँ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इंडोनेशिया ने एक वैश्विक घोषणा की जिसमें पारा/मर्करी पर मिनामाता कन्वेंशन के पक्षकारों से पारे के अवैध व्यापार से निपटने का आह्वन किया गया है।
- यह घोषणा नुसा दुआ, बाली में की गई, जहाँ इंडोनेशिया द्वारा मिनामाता कन्वेंशन के पक्षकारों के चौथे सम्मेलन (COP4) की मेज़बानी की जा रही है।
- यह सम्मेलन 21 से 25 मार्च, 2022 तक आयोजित किया जा रहा है।
घोषणा के उद्देश्य:
- पारा के व्यापार की निगरानी और प्रबंधन के लिये अधिसूचना तथा सूचना-साझाकरण प्रणाली विकसित करना।
- पारा के अवैध व्यापार से निपटने के लिये अनुभवों और पद्धति का आदान-प्रदान करना जिसमें कारीगर एवं छोटे पैमाने पर सोने के खनन में पारे के उपयोग को कम करना शामिल है।
- राष्ट्रीय कानून के उदाहरण साझा कर व्यापार से संबंधित डेटा तथा जानकारी को साझा करना।
पारा पर मिनामाता कन्वेंशन:
- पारा पर मिनामाता कन्वेंशन मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को पारे तथा इसके यौगिकों के प्रतिकूल प्रभावों से बचाने के लिये एक वैश्विक संधि है।
- वर्ष 2013 में जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में अंतर-सरकारी वार्ता समिति के पाँचवें सत्र में इस पर सहमति प्रदान की गई थी।
- अपने पूरे जीवनचक्र में पारे के दुष्प्रभावो को नियंत्रित करना कन्वेंशन के प्रमुख दायित्वों में से एक है।
- कन्वेंशन पारा के अंतरिम भंडारण तथा इसके अपशिष्ट के निपटान व दूषित स्थलों के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को भी संबोधित करता है।
- कन्वेंशन में पारा के जीवन चक्र के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, जो उत्पादों, प्रक्रियाओं और उद्योगों की शृंखला में पारा को नियंत्रित व इसमें कमी करता है। इसमें निम्नलिखित पर नियंत्रण शामिल है:
- पारा खनन
- पारा और पारा से संबंधित उत्पादों का निर्माण और व्यापार
- पारायुक्त कचरे का निपटान
- उद्योगो में पारे का उत्सर्जन।
- जिन देशों ने कन्वेंशन की पुष्टि की है, उन्हें इन नियंत्रणों को लागू करना अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत बाध्यकरी है।
- भारत ने भी कन्वेंशन की पुष्टि की है।
पारा के बारे में:
- परिचय:
- पारा प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक तत्व है जो हवा, पानी और मिट्टी में पाया जाता है।
- पारा के संपर्क में (यहाँ तक कि थोड़ी मात्रा में) आने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं तथा यह गर्भाशय में स्थित शिशु के विकास को भी प्रभावित कर सकता है।
- यह तंत्रिका तंत्र, पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली, फेफड़ों, गुर्दे, त्वचा तथा आँखों पर विषाक्त प्रभाव डाल सकता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मरकरी/पारा को प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के शीर्ष 10 रसायनों या रसायनों के समूहों में से एक माना जाता है।
- समान्यतः लोग प्रायः तब ‘मिथाइलमरकरी’ (एक कार्बनिक यौगिक) के संपर्क में आते हैं, जब वे मछली और शैलफिश का सेवन करते हैं और इस प्रकार मिनामाता रोग के प्रति अधिक सुभेद्य हो जाते हैं।
- मिनामाता रोग: यह मिथाइलमरकरी विषाक्तता के कारण होने वाला एक विकार है, जिसे पहली बार जापान के मिनामाता खाड़ी के निवासियों में पाया गया था, जो कि मरकरी/पारा से संबंधित औद्योगिक कचरे से दूषित मछली खाने के कारण पूरे क्षेत्र में फैल गया था।
- इस रोग में संवेदी हानि और श्रवण एवं दृश्य हानि जैसे प्रभाव शामिल हैं।
- मिथाइलमरकरी, एथिलमरकरी से काफी अलग है। एथिलमरकरी का उपयोग कुछ टीकों में एक संरक्षक के रूप में किया जाता है और इससे स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं होता है।
- मिनामाता रोग: यह मिथाइलमरकरी विषाक्तता के कारण होने वाला एक विकार है, जिसे पहली बार जापान के मिनामाता खाड़ी के निवासियों में पाया गया था, जो कि मरकरी/पारा से संबंधित औद्योगिक कचरे से दूषित मछली खाने के कारण पूरे क्षेत्र में फैल गया था।
- स्रोतों के प्रकार:
- प्राकृतिक स्रोत: ज्वालामुखी विस्फोट और समुद्र से उत्सर्जन।
- मानवजनित उत्सर्जन: इसमें वह पारा/मरकरी शामिल होता है, जो ईंधन या कच्चे माल या उत्पादों या औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग के कारण उत्सर्जित होता है।
- कारीगर और छोटे पैमाने पर सोने का खनन (ASGM): यह मानवजनित पारा उत्सर्जन (37.7%) का सबसे बड़ा स्रोत है, जिसके बाद कोयले के स्थिर दहन (21%) का स्थान है।
- उत्सर्जन के अन्य बड़े स्रोत हैं- ‘अलौह धातु उत्पादन’ (15%) और ‘सीमेंट उत्पादन’ (11%)।
- विश्व स्तर पर ASGM क्षेत्र में 10-20 मिलियन लोग काम करते हैं और उनमें से कई दैनिक आधार पर पारे का उपयोग करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. इस्तेमाल किये गए फ्लोरोसेंट इलेक्ट्रिक लैंप के विवेकहीन निपटान से पर्यावरण में पारा प्रदूषण होता है। इन लैंपों के निर्माण में पारे का उपयोग क्यों किया जाता है? (2010) (a) लैंप के अंदर की गई पारे की कोटिंग प्रकाश को चमकदार सफेद बनाती है। उत्तर: (b) |