भारत में मानसिक स्वास्थ्य का मौन संकट | 14 Nov 2024
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, मानसिक विकार, WHO, दिव्यांगता-समायोजित जीवन वर्ष (DALYs), संयुक्त राष्ट्र दिव्यांगजन अधिकार सम्मेलन (UNCRPD), मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017, NIMHANS मेन्स के लिये:भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या 2021, मानसिक विकार, भारत में पुरुषों का मानसिक स्वास्थ्य। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या 2021 नामक रिपोर्ट में भारत में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बढ़ती चिंता पर प्रकाश डाला गया है। सार्वजनिक स्वास्थ्य में प्रमुख निहितार्थों के बावजूद इस मुद्दे पर काफी कम ध्यान दिया गया है।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य संकट:
- चिंताजनक आँकड़े:
- आत्महत्या दर: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आत्महत्या करने वालो में 72.5% पुरुष हैं, जिससे एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट का संकेत मिलता है।
- वर्ष 2021 में महिलाओं की तुलना में 73,900 से अधिक पुरुषों ने आत्महत्या की, जबकि शोध से पता चलता है कि महिलाओं में चिंता और अवसाद की दर अधिक है।
- आयु समूहों में असमानता: 18-59 आयु वर्ग के पुरुषों में आत्महत्याओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, वर्ष 2014 से 2021 तक दैनिक वेतन भोगियों के बीच आत्महत्याओं में 170.7% की वृद्धि हुई है।
- आत्महत्या दर: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आत्महत्या करने वालो में 72.5% पुरुष हैं, जिससे एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट का संकेत मिलता है।
- सामाजिक मानदंडों का प्रभाव:
- सांस्कृतिक अपेक्षाएँ: सांस्कृतिक मानदंडों के कारण अक्सर पुरुषों के भावनात्मक संघर्षों की उपेक्षा होने के साथ इनसे धैर्य और साहस की अपेक्षा की जाती है।
- इसके कारण मानसिक बीमारी की स्थिति में इन्हें कम सहायता मिल पाने से भारतीय पुरुषों के बीच मानसिक स्वास्थ्य संकट और भी बदतर हो जाता है।
- समाधान के तरीके: पुरुष भावनात्मक समर्थन प्राप्त करने के बजाय आक्रामकता या मादक द्रव्यों के सेवन के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करते हैं।
- महिलाएँ आमतौर पर प्रियजनों से भावनात्मक समर्थन चाहती हैं जबकि पुरुष अक्सर अपनी भावनाओं से दूरी बनाते हुए समस्या-केंद्रित रणनीति अपनाते हैं।
- मानसिक विकारों में अंतराल: जहाँ पुरुषों में आत्महत्या की दर अधिक है वहीं महिलाओं में चिंता और अवसाद जैसे मानसिक विकार अधिक पाए जाते हैं।
- सांस्कृतिक अपेक्षाएँ: सांस्कृतिक मानदंडों के कारण अक्सर पुरुषों के भावनात्मक संघर्षों की उपेक्षा होने के साथ इनसे धैर्य और साहस की अपेक्षा की जाती है।
- शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कारक:
- तनाव प्रतिक्रियाएँ: शोध से पता चलता है कि पुरुष आमतौर पर तनाव के प्रति "लड़ो या भागो" प्रतिक्रिया के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे नोरपाइनफ्राइन और कॉर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन निकलते हैं।
- सामना करने की रणनीतियों में अंतर: ऑक्सीटोसिन स्राव से प्रभावित महिलाओं की "प्रवृत्त और मित्रवत" प्रतिक्रिया, अक्सर उन्हें सामाजिक समर्थन प्राप्त करने के लिये प्रेरित करती है, जो पुरुषों की अपनी भावनाओं से दूरी बनाने की प्रवृत्ति के विपरीत है।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति क्या है?
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार, भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्या प्रति 100 00 जनसंख्या पर 2443 दिव्यांगता-समायोजित जीवन वर्ष (Disability-Adjusted Life Years- DALY) है, तथा प्रति 100,000 जनसंख्या पर आयु-समायोजित आत्महत्या दर 21.1 है।
- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान के आँकड़ों के अनुसार, भारत में 80% से अधिक लोगों की मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच नहीं है।
- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Mental Health Survey- NMHS) 2015-16 के अनुसार, भारत में 10.6% वयस्क मानसिक विकारों से पीड़ित हैं, जबकि विभिन्न विकारों के लिये उपचार अंतराल 70% से 92% के बीच है।
नोट:
- दिव्यांगता-समायोजित जीवन वर्ष (DALYs) असामयिक मृत्यु के कारण खोए गए जीवन के वर्षों की संख्या और किसी बीमारी या चोट के कारण दिव्यांगता के साथ जीए गए वर्षों का भारित माप है। भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 द्वारा रोग भार पर नज़र रखने के लिये DALY के उपयोग की अनुशंसा की गई है।
- मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम, 2017 मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों के अधिकारों की रक्षा, संवर्धन और पूर्ति के लिये सेवाएँ प्रदान करने हेतु कानूनी ढाँचा प्रदान करता है। ये दिव्यांग लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Convention on the Rights of People with Disabilities- UNCRPD) के अनुरूप हैं।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से निपटने हेतु सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं?
- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP): मानसिक विकारों के भारी बोझ और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग्य पेशेवरों की कमी को दूर करने के लिये, सरकार वर्ष 1982 से NMHP को क्रियान्वित कर रही है।
- कार्यक्रम को वर्ष 2003 में पुनः रणनीतिबद्ध किया गया, जिसमें दो योजनाएँ- राज्य मानसिक अस्पतालों का आधुनिकीकरण और मेडिकल कॉलेजों/सामान्य अस्पतालों के मनोचिकित्सा विंग का उन्नयन शामिल की गई।
- मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017: यह प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को सरकार द्वारा संचालित या वित्तपोषित सेवाओं से मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और उपचार तक पहुँच की गारंटी देता है।
- इसने BNS की धारा 224 के प्रयोग के दायरे को काफी कम कर दिया है तथा आत्महत्या के प्रयास को केवल अपवाद के रूप में दंडनीय बना दिया है।
- इस धारा के अनुसार, किसी लोक सेवक को उसके कर्तव्यों से विवश करने या रोकने के लिये आत्महत्या का प्रयास करने पर एक वर्ष तक का साधारण कारावास, ज़ुर्माना, दोनों या सामुदायिक सेवा का दंड दिया जा सकता है।
- किरण हेल्पलाइन: वर्ष 2020 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने चिंता, तनाव, अवसाद, आत्महत्या के विचार और अन्य मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं का सामना कर रहे लोगों को सहायता प्रदान करने के लिये 24/7 टोल-फ्री हेल्पलाइन 'किरण' शुरू की।
- मानस मोबाइल ऐप: विभिन्न आयु समूहों में मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये, भारत सरकार ने वर्ष 2021 में मानस (मानसिक स्वास्थ्य और सामान्य स्थिति वृद्धि प्रणाली) लॉन्च किया।
मानसिक स्वास्थ्य में तकनीकी नवाचार क्या हैं?
- मानसिक स्वास्थ्य सहायता में AI: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पुरुषों की मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के लिये नए अवसर प्रस्तुत करती है, विशेष रूप से उन लोगों के लिये जो पारंपरिक सहायता लेने में अनिच्छुक हैं।
- AI-संचालित उपकरण: फोर्टिस हेल्थकेयर के अदायु माइंडफुलनेस ऐप (Fortis Healthcare’s Adayu Mindfulness app) और मनोदयम जैसे प्लेटफॉर्म पहले से ही व्यक्तिगत मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जानकारी तथा मिश्रित उपचार विकल्प प्रदान करने के लिये AI का उपयोग कर रहे हैं।
- नवीन एल्गोरिदम: यह विधि भाषा और व्यवहार प्रारूप की पहचान करने में मदद करती है जो अवसाद या चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रारंभिक लक्षणों का संकेत दे सकती है।
- अनुकूलित उपचार रणनीतियाँ: AI व्यक्तिगत चिकित्सा प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण कर सर्वोत्तम उपचार विकल्पों का सुझाव दे सकता है, जिससे परिणामों में सुधार हो सकता है।
- ब्रेन स्टिमुलेशन:
- ट्रांसक्रेनियल डायरेक्ट करंट स्टिमुलेशन (TDCS): यह एक गैर-आक्रामक उपचार है, जिसमें विशिष्ट मस्तिष्क क्षेत्रों को लक्षित करने के लिये चुंबकीय स्पंदनों का उपयोग किया जाता है, जो गंभीर अवसाद के लिये आशाजनक है, जिस पर मानक दवाओं का कोई असर नहीं होता।
- क्लोज्ड-लूप न्यूरोस्टिम्यूलेशन: यह मस्तिष्क की गतिविधि पर निगरानी के लिये सेंसर का उपयोग करता है तथा वास्तविक समय में पता लगाई गई मस्तिष्क तरंगों के आधार पर स्टिमुलेशन सेटिंग्स को स्वचालित रूप से समायोजित करता है।
संकट से निपटने के लिये क्या सिफारिशें हैं?
- मानसिक स्वास्थ्य साक्षरता में वृद्धि: इस संकट को कम करने के लिये पुरुषों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता और समझ बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है।
- नवीन दृष्टिकोण: AI और अन्य तकनीकी समाधानों का लाभ उठाकर मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों तक पहुँच को सुगम बनाया जा सकता है।
- प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण और मशीन लर्निंग का उपयोग करते हुए AI-संचालित चैटबॉट और वर्चुअल असिस्टेंट, वास्तविक समय में सुलभ एवं व्यक्तिगत मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान कर सकते हैं।
- अनुकूल वातावरण: सामाजिक बाधाओं को समाप्त कर तथा मानसिक स्वास्थ्य के बारे में संवाद को बढ़ावा देकर लोगों को सहायता एवं समर्थन लेने हेतु प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- भविष्य की परिकल्पना: ऐसे भविष्य की कल्पना करें जहाँ मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए, तथा पुरुष बिना किसी संकट के सहायता लेने में सक्षम महसूस करें।
- समुचित कार्यबल सुनिश्चित करना: भारत में प्रति 100,000 व्यक्तियों पर मात्र 0.3 मनोचिकित्सक, 0.07 मनोवैज्ञानिक और 0.07 सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं।
- विकसित देशों में मनोचिकित्सकों की तुलना में यह 100,000 पर 6.6 है तथा वैश्विक स्तर पर मानसिक अस्पतालों की औसत संख्या 100,000 पर 0.04 है, जबकि भारत में यह केवल 0.004 है।
निष्कर्ष:
भारत में मानसिक स्वास्थ्य के मूक संकट के लिये बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य साक्षरता को बढ़ाना, नवीन तकनीकी समाधानों को बढ़ावा देना और भावनात्मक भेद्यता से जुड़े सामाजिक संकट को समाप्त करना शामिल है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न: भारत में पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य संकट हेतु उत्तरदायी सामाजिक-सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक एवं प्रणालीगत कारकों का परीक्षण करते हुए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच और जागरूकता बढ़ाने हेतु उपाय बताइये। |
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2022
मेन्सQ. "जब तक हम अपने भीतर शांति प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक हम बाहरी दुनिया में शांति प्राप्त नहीं कर सकते। (2021) |