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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

सिकल सेल का उन्मूलन

  • 20 Nov 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जनजातीय गौरव दिवस, सिकल सेल उन्मूलन-2047, क्रोनिक एनीमिया, जनजातीय समुदाय, क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स (CRISPR)

मेन्स के लिये:

सिकल सेल उन्मूलन-2047, राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन, राष्ट्रीय सिकल सेल पोर्टल

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जनजातीय गौरव दिवस (15 नवंबर 2024) के अवसर पर मध्य प्रदेश में "सिकल सेल उन्मूलन - 2047" से संबंधित एक स्मारक डाक टिकट का अनावरण किया गया।

  • यह पहल वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया (एक वंशानुगत रक्त विकार) को समाप्त करने की भारत की व्यापक प्रतिबद्धता के अनुरूप है, जिसमें विशेष रूप से जनजातीय समुदायों (जो इससे असमान रूप से प्रभावित हैं) पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

सिकल सेल एनीमिया क्या है?

  • परिचय:
    • सिकल सेल रोग (SCD) एक आनुवंशिक रक्त विकार है जिसमें हीमोग्लोबिन (प्रोटीन जो शरीर में ऑक्सीजन ले जाता है) के असामान्य होने के परिणामस्वरूप लाल रक्त कोशिकाएँ सिकल के आकार की हो जाती हैं। 
      • इससे रक्त प्रवाह अवरुद्ध होने से गंभीर दर्द होता है तथा अंग क्षतिग्रस्त हो जाने से जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है।
    • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) की जनजातीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ समिति ने SCD को जनजातीय समुदायों के बीच दस प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में से एक के रूप में पहचाना है।
  • लक्षण: 
    • क्रोनिक एनीमिया (जिसके कारण थकान, कमज़ोरी के साथ शरीर में पीलापन आ जाता है)।
    • हड्डियों, छाती, पीठ, बाँहों और पैरों में अचानक एवं तीव्र दर्द होता है (जिसे सिकल सेल क्राइसिस के नाम से भी जाना जाता है)।
    • शरीर की वृद्धि एवं यौवन में विलंब होता है।

  • उपचार प्रक्रिया:
    • रक्त आधान: इससे एनीमिया से राहत मिलने के साथ दर्द संबंधी जोखिम कम हो सकता है।
    • हाइड्राॅक्सीयूरिया: इससे दर्द की आवृत्ति को कम करने के साथ रोग की कुछ दीर्घकालिक जटिलताओं को रोकने में मदद मिल सकती है।
    • जीन थेरेपी: इसका उपचार अस्थि मज्जा या स्टेम सेल प्रत्यारोपण जैसे क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स (CRISPR) द्वारा भी किया जा सकता है।
  • भारत में SCD से संबंधित चुनौतियाँ:
    • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में जनजातीय जनसंख्या घनत्व 67.8 मिलियन (8.6%) है जो विश्व में सर्वाधिक है।
      • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जनजातीय समुदायों को असमान रूप से प्रभावित करने वाले शीर्ष दस स्वास्थ्य मुद्दों में SCD को भी शामिल किया है।
    • दूरदराज के जनजातीय क्षेत्रों में सीमित निदान और उपचार सुविधाएँ तथा समुदायों में आनुवंशिक परामर्श एवं निवारक उपायों के विषय में ज्ञान की कमी।
    • दवा की लागत, नियमित जाँच और अस्पताल में भर्ती होने के कारण दीर्घकालिक SCD प्रबंधन आर्थिक रूप से कष्टदायक हो सकता है।
      • CRISPR जैसे उपचारों की लागत 2-3 मिलियन अमेरिकी डॉलर होती है और अस्थि मज्जा दाताओं को ढूंढना चुनौतीपूर्ण होता है।

SCD से संबंधित कुछ सरकारी पहल क्या हैं?

  • राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन:
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • सामुदायिक जाँच: सामूहिक जाँच कार्यक्रमों के माध्यम से जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान।
    • आनुवंशिक परामर्श: रोग की आनुवंशिक प्रकृति के विषय में परिवारों को शिक्षित करना।
    • उन्नत निदान: सटीक निदान के लिये हाई परफॉरमेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (HPLC) मशीनों जैसे उपकरणों का उपयोग करना। 
    • गर्भावस्था के दौरान परीक्षण के लिये संकल्प इंडिया जैसे संगठनों के साथ सहयोग।
    • नवजात शिशु की जाँच: प्रारंभिक पहचान के लिये AIIMS भोपाल में विशेष प्रयोगशालाएँ।
    • प्रौद्योगिकी एकीकरण: ट्रैकिंग और डेटा रिपोर्टिंग के लिये एक मोबाइल ऐप और राष्ट्रीय सिकल सेल पोर्टल का विकास
  • उद्देश्य:
    • वहनीय और सुलभ देखभाल: सभी SCD रोगियों को देखभाल प्रदान करना। 
    • देखभाल की गुणवत्ता: SCD रोगियों के लिये उच्च-गुणवत्ता वाली देखभाल सुनिश्चित करना। 
    • व्यापकता कम करना: SCD की व्यापकता को कम करना।
  • प्रगति: 
    • इस कार्यक्रम के अंतर्गत 3.37 करोड़ से अधिक व्यक्तियों की जाँच की गई है, जिनमें से 3.22 करोड़ से अधिक व्यक्तियों में सिकल सेल रोग की पुष्टि नहीं हुई है।

  • लाभार्थी: 
    • प्राथमिक लक्ष्य समूहों में प्रारंभिक पहचान और हस्तक्षेप के लिये बच्चे और किशोर (जन्म से 18 वर्ष तक) तथा समय के साथ व्यापक आयु वर्ग के समावेशन के लिये युवा और वयस्क (40 वर्ष तक) शामिल हैं।
    • पहले तीन वर्षों (2023-24 से 2025-26) के भीतर 7 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को स्क्रीनिंग, परामर्श और देखभाल के लिये लक्षित किया गया है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) 2013:
    • इसमें रोग की रोकथाम और प्रबंधन के प्रावधान शामिल हैं, तथा सिकल सेल एनीमिया जैसी आनुवंशिक विसंगतियों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
    • NHM के अंतर्गत समर्पित कार्यक्रम जागरूकता बढ़ाने, शीघ्र पहचान की सुविधा प्रदान करने तथा सिकल सेल एनीमिया का समय पर उपचार सुनिश्चित करने पर केंद्रित हैं।
    • NHM अपनी “आवश्यक दवाओं की सूची” में SCD के उपचार के लिये हाइड्राॅक्सीयूरिया जैसी दवाओं को शामिल करता है।
  • स्टेम सेल अनुसंधान के लिये राष्ट्रीय दिशानिर्देश 2017:
    • यह SCD के लिये अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (BMT) को छोड़कर स्टेम सेल उपचारों के व्यावसायीकरण को नैदानिक ​​परीक्षणों तक सीमित करता है।
    • स्टेम कोशिकाओं पर जीन संपादन की अनुमति केवल इन-विट्रो अध्ययन के लिये है।
  • जीन थेरेपी उत्पाद विकास और नैदानिक ​​परीक्षण 2019 के लिये राष्ट्रीय दिशानिर्देश: 
    • यह वंशानुगत आनुवंशिक विकारों के लिये जीन थेरेपी के विकास और नैदानिक ​​परीक्षणों के लिये दिशानिर्देश प्रदान करता है।
    • भारत ने सिकल सेल एनीमिया के उपचार के लिये CRISPR (क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स) तकनीक विकसित करने के लिये पाँच वर्षीय परियोजना को भी मंजूरी दी है।
    • मध्य प्रदेश के राज्य हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन का उद्देश्य रोग की जाँच और प्रबंधन में चुनौतियों का समाधान करना है।

विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस

  • विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस प्रतिवर्ष 19 जून को मनाया जाता है। 2024 में, इसका थीम है "प्रगति के माध्यम से आशा: वैश्विक सिकल सेल देखभाल और उपचार को आगे बढ़ाना।"
  • इस दिवस का उद्देश्य SCD से पीड़ित लोगों द्वारा सामना किये जाने वाले संघर्षों को उज़ागर करना, रोग की समझ को बढ़ावा देना, तथा रोगी देखभाल में सुधार लाने और इलाज खोजने की दिशा में प्रयासों को कारगर बनाना है।

आगे की राह

  • स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना: जनजातीय क्षेत्रों में अधिक विशिष्ट निदान और उपचार केंद्र स्थापित करना।
  • शैक्षिक अभियान: जनजातीय आबादी के बीच आनुवंशिक रोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
  • प्रौद्योगिकी उपयोग: निर्बाध ट्रैकिंग के लिये राष्ट्रीय सिकलसेल पोर्टल को पूर्णतः क्रियाशील बनाना।
  • सहयोग: वित्तपोषण और तकनीकी विशेषज्ञता के लिये नागरिक समाज, स्थानीय प्रशासन और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों को शामिल करना।
  • निरंतर जागरूकता और जाँच: SCD मामलों की प्रभावी पहचान और प्रबंधन के लिये राज्यों और आयु समूहों में जागरूकता और रणनीतिक जाँच पहल को बढ़ाना।
  • एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण: उच्च प्रसार और जनजातीय क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए SCD के लिये व्यापक देखभाल और उपचार प्रदान करने के लिये एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण को मज़बूत करना।

निष्कर्ष

भारत का ध्यान कमज़ोर आबादी, खास तौर पर सिकल सेल रोग (SCD) से प्रभावित लोगों में स्वास्थ्य असमानताओं को दूर करने पर है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और जनजातीय कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह पहल एक स्वस्थ और अधिक समतापूर्ण समाज बनाने के लिये संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के अनुरूप है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न

प्रश्न: सिकल सेल एनीमिया से निपटने में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की भूमिका का परीक्षण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: एनीमिया मुक्त भारत रणनीति के अंतर्गत की जा रही व्यवस्थाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2023)

  1. इसमें स्कूल जाने से पूर्व के (प्री-स्कूल) बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं के लिये रोगनिरोधक कैल्सियम पूरकता प्रदान की जाती है।
  2. इसमें शिशु जन्म के समय देरी से रज्जु बंद करने के लिये अभियान चलाया जाता है।
  3. इसमें बच्चों और किशोरों की निर्धारित अवधियों पर कृमि-मुक्ति की जाती है।
  4. इसमें मलेरिया, हीमोग्लोबिनोपैथी और फ्रलुओरोसिस पर विशेष ध्यान देने के साथ स्थानिक बस्तियों में एनीमिया के गैर-पोषण कारणों की ओर ध्यान दिलाना शामिल है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) सभी चार

उत्तर: C


मेन्स:

प्रश्न: अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध और विकास-संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी? (2021)

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