शेल्टर इन प्लेस | 28 Mar 2020
प्रीलिम्स के लिये:शेल्टर इन प्लेस मेन्स के लियेCOVID-19 की चुनौती से निपटने के वैश्विक प्रयास, COVID-19 का वैश्विक प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने देश में COVID-19 के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए देश के नागरिकों से एक दिन के लिये ‘जनता कर्फ्यू’ का पालन करने का आह्वान किया था। अमेरिका में भी किसी आपदा की स्थिति में नागरिकों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिये ऐसी ही एक व्यवस्था को अपनाया जाता है। इसे शेल्टर इन प्लेस (Shelter In Place) के नाम से जाना जाता है।
मुख्य बिंदु:
- पिछले दिनों संयुक्त राज्य अमेरिका में COVID-19 प्रसार को देखते हुए देश के कई राज्यों में लोगों की आवाजाही को सीमित करने के लिये कार्यकारी आदेश जारी किये गए थे।
- इसके तहत लोगों को जितना संभव हो अपने घरों में रहने के निर्देश दिये गए और सामूहिक बैठकों को कम करने तथा बीमार वृद्ध लोगों के संदर्भ में भी विशेष दिशा निर्देश जारी किये गए थे।
- 15 मार्च, 2020 तक अमेरिका की कुल जनसंख्या के लगभग ⅕ लोगों पर ‘घर पर ही रहने’ (Stay at Home) के आदेश लागू थे और आने वाले दिनों में इसके बढ़ने की उम्मीदें की जा रही थी।
क्या है ‘शेल्टर इन प्लेस’?
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- भारत में भी प्रधानमंत्री ने ‘जनता कर्फ्यू’ की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दी कि लोगों को क्या करना चाहिये और क्या नहीं।
- बल्कि अधिकारियों ने निषेधात्मक आदेशों की ही तरह अपीलों, सुझावों और कार्यकारी कार्रवाई (Executive action) के माध्यम से आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक कदम उठाए, साथ ही शहरों में व्यापारी संघ और हाउसिंग सोसायटियों ने स्वेच्छा से प्रधानमंत्री के आह्वान का अनुसरण किया।
- सामान्य शब्दों में कहें तो भारत के साथ अन्य जगहों (देशों) में ‘शेल्टर इन प्लेस’, सामाजिक दूरी (Social Distancing) के माध्यम से COVID-19 की वैश्विक चुनौती को नियंत्रित करना है।
- 16 मार्च, 2020 को कैलिफोर्निया राज्य के ‘सैन फ्रांसिस्को’ (San Francisco) शहर में स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इन आदेशों का उद्देश्य अनिवार्य सेवाओं को जारी रखते हुए अधिक-से-अधिक लोगों को उनके घरों में रहने और अपने को ‘सेल्फ आइसोलेट’ (Self-Isolate) करने का आग्रह करना था।
- इस आदेश में लोगों को बाहर निकलते समय अन्य लोगों से कम-से-कम 6 फीट की दूरी बनाने का भी सुझाव दिया गया।
चुनौतियाँ:
- COVID-19 की महामारी के कारण विश्व के सभी देशों के स्वास्थ्य तंत्र पर भारी दबाव देखने को मिला है।
- COVID-19 के प्रसार के लिये लंबी अवधि तक ‘शेल्टर इन प्लेस’ या ‘जनता कर्फ्यू’ जैसे प्रयासों से लोगों की आवाजाही पर नियंत्रण करना प्रशासन के लिये एक बड़ी चुनौती है।
- इस तरह के प्रतिबंधों का प्रभाव देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी देखने को मिला है।
- उद्योगों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के बंद होने से भारी मात्रा में बेरोज़गारी में वृद्धि हुई है।
निष्कर्ष:
COVID-19 की महामारी का प्रभाव वैश्विक रूप से स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ अन्य क्षेत्रों में भी देखने को मिला है। वर्तमान में बिना किसी प्रमाणिक उपचार के आभाव में इस महामारी के नियंत्रण का एक ही उपचार इसके प्रसार को सीमित करना है। इस आपदा से निपटने में सभी नागरिकों को स्वेच्छा से अपना सहयोग देना चाहिए, जिससे इस आपदा से होने वाली क्षति को सीमित किया जा सके।
स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस