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भारतीय राजव्यवस्था

IPC की धारा 188

  • 25 Mar 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये 

भारतीय दंड की संहिता की धारा 188 

मेन्स के लिये

महामारी प्रबंधन से संबंधित विषय 

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनावायरस (COVID-19) के प्रसार को रोकने के लिये 21 दिवसीय देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

  • आदेशानुसार, लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन करने वालों को महामारी रोग अधिनियम, 1897 (Epidemic Diseases Act, 1897) के तहत कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, जो कि इस तरह के आदेशों का पालन न करने पर भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 188 के तहत सजा का प्रावधान करता है। 

भारतीय दंड संहिता की धारा 188

  • महामारी रोग अधिनियम, 1897 की धारा 3, अधिनियम के तहत किये गए किसी भी विनियमन या आदेश की अवज्ञा करने के लिये दंड का प्रावधान करती है। यह दंड भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दिया जाता है, जो कि लोकसेवक द्वारा जारी आदेश का उल्लंघन करने से संबंधित है। 
  • IPC की धारा 188 के अनुसार, जो कोई भी किसी लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित किसी आदेश, जिसे प्रख्यापित करने के लिये लोक सेवक विधिपूर्वक सशक्त है और जिसमें कोई कार्य करने से बचे रहने के लिये या अपने कब्ज़े या प्रबंधाधीन किसी संपत्ति के बारे में कोई विशेष व्यवस्था करने के लिये निर्दिष्ट किया गया है, की अवज्ञा करेगा तो;
    • यदि इस प्रकार की अवज्ञा-विधिपूर्वक नियुक्त व्यक्तियों को बाधा, क्षोभ या क्षति की जोखिम कारित करे या कारित करने की प्रवॄत्ति रखती हो, तो उसे किसी एक निश्चित अवधि के लिये कारावास की सजा दी जाएगी जिसे एक मास तक बढ़ाया जा सकता है अथवा 200 रुपए तक के आर्थिक दंड अथवा दोनों से दंडित किया जाएगा; और यदि इस प्रकार की अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा को संकट उत्पन्न करे, या उत्पन्न करने की प्रवॄत्ति रखती हो, या उपद्रव अथवा दंगा कारित करती हो, या कारित करने की प्रवॄत्ति रखती हो, तो उसे किसी एक निश्चित अवधि के लिये कारावास की सजा दी जाएगी जिसे 6 मास तक बढ़ाया जा सकता है, अथवा 1000 रुपए तक के आर्थिक दंड अथवा दोनों से दंडित किया जाएगा।
    • ध्यातव्य है कि यह आवश्यक नहीं है कि अपराधी का आशय क्षति उत्पन्न करने का ही हो या उसके ध्यान में यह हो कि उसकी अवज्ञा करने से क्षति होना संभाव्य है। 

इसकी आवश्यकता  

  • कोरोनवायरस (COVID-19) जो कि मुख्य रूप से व्यक्ति-से-व्यक्ति में फैलता है, पहली बार चीन के वुहान शहर में वर्ष 2019 के अंत में सामने आया था और तब से अब तक इसके कारण कम-से-कम 177 देश प्रभावित हुए हैं और लाखों लोग इसकी चपेट में हैं।
  • इस महामारी का मुकाबला करने के लिये भारत में कई राज्यों ने सार्वजनिक सभाओं को कम करने के उद्देश्य से ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ (Social Distancing) जैसे उपायों को लागू किया है। देश के लगभग सभी राज्यों में कार्यालयों, स्कूलों, संगीत, सम्मेलनों, खेल आयोजनों और शादियों आदि पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) ने भी दुनिया भर के राष्ट्रों की सरकारों से महामारी को कम करने के लिये सामुदायिक स्तर पर संचरण को रोकने हेतु कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
  • COVID-19 महामारी को देखते हुए देश में 22 मार्च को ‘जनता कर्फ्यू’ (Janata Curfew) की घोषणा की गई और इसके परिणामस्वरूप कई राज्यों ने लॉकडाउन की भी घोषणा कर दी।
  • हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की है और भारतीय जनता से सख्ती से इस लॉकडाउन का पालन करवाने के लिये धारा 188 काफी आवश्यक है।

लॉकडाउन का उल्लंघन:

भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अंतर्गत दो प्रकार के अपराध दिये गए हैं:

  • यदि किसी लोक सेवक द्वारा विधिपूर्वक दिये गए आदेश की अवज्ञा करने से विधिपूर्वक नियोजित व्यक्तियों को बाधा, क्षोभ या क्षति पहुँचती है तो इसके लिये व्यक्ति को निश्चित अवधि के लिये कारावास अथवा 200 रूपए जुर्माना अथवा दोनों दिया जा सकता है।
  • यदि किसी लोक सेवक द्वारा विधिपूर्वक दिये गए आदेश की अवज्ञा करने से मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा आदि के लिये खतरा उत्पन्न होता है तो इसके लिये व्यक्ति को निश्चित अवधि के लिये कारावास अथवा 1000 रूपए जुर्माना अथवा दोनों दिया जा सकता है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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