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भारतीय अर्थव्यवस्था

सौर उपकरण विनिर्माण में आत्मनिर्भरता

  • 13 Aug 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता

मेन्स के लिये:

सौर उपकरण विनिर्माण में आत्मनिर्भरता

चर्चा में क्यों?

'आत्मानिर्भर भारत अभियान’, भारत के सौर ऊर्जा उपकरण विनिर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हाल ही में अनेक ‘ विनिर्माण इकाइयों’ ने ‘नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय’ (Ministry of New and Renewable Energy) को इस दिशा में प्रस्ताव पेश किये हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • हाल ही में भारत सरकार ने सौर ऊर्जा उपकरणों के आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगाने को अनुमति दी है। सौर उपकरणों के घरेलू निर्माण में इन इकाइयों की दिलचस्पी में वृद्धि, सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से मेल खाती है।
  • 10 गीगावाट (GW) से अधिक क्षमता वाले प्रस्ताव पेश करने वाली विनिर्माण इकाइयों में भारत तथा भारत से बाहर स्थित, दोनों प्रकार की विनिर्माण इकाइयाँ शामिल हैं।

सरकार के कदम:

सेफगार्ड ड्यूटी:

  • घरेलू विनिर्माताओं की सुरक्षा के लिये सरकार ने अल्पकालिक उपाय के रूप में 'सेफगार्ड ड्यूटी' (Safeguard Duties) को लागू किया गया है। 
  • भारत ने चीन और मलेशिया से सौर उपकरणों के आयात पर लगभग 15 प्रतिशत की दर से  'सेफगार्ड ड्यूटी' लागू की है। जिन्हें जुलाई 2021 तक बढ़ाया गया है।
  • सामान्यत: 'सेफगार्ड ड्यूटी' को सीमित समय के लिये आरोपित किया जाता है, अत: यह दीर्घकालीन निवेश को प्रभावित नहीं करता है। 

‘सीमा शुल्क’ (Customs Duties):

  • दीर्घकालिक घरेलू निवेश को प्रेरित करने के लिये ‘सीमा शुल्क’ (Customs Duties) को आरोपित किया गया है।
  • हालाँकि सौर उपकरणों पर लगभग 20-25 प्रतिशत के प्रस्तावित 'बुनियादी सीमा शुल्क' (Basic Customs Duty) को आधिकारिक रूप से लागू करना बाकी है।

ब्याज सब्सिडी योजना (Interest Subvention Scheme):

  • घरेलू विनिर्माण पर 5 प्रतिशत ब्याज छूट के साथ 'इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम' वर्तमान में वित्त मंत्रालय के पास लंबित है।

'सौर विनिर्माण ज़ोन' (Solar Manufacturing zones):

  • सौर विनिर्माण के लिये 'सौर विनिर्माण ज़ोन' (Manufacturing Zones) को नामित करने के एक प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है।

सौर उपकरण विनिर्माण के समक्ष चुनौतियाँ:

  • विगत दो वर्षों में सौर ऊर्जा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये अनेक उपायों यथा सुरक्षा शुल्क, 'घरेलू सामग्री की आवश्यकता नीति' और 'मॉडल और निर्माताओं की अनुमोदित सूची' को अपनाने के बावजूद अपेक्षित पैमाने पर प्रगति नहीं हुई है। 
  • वर्तमान में सौर उपकरण विनिर्माण के समक्ष निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं:

पूंजी गहन उद्योग:

  • सौर सेल विनिर्माण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें उच्च प्रौद्योगिकी और अत्यधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। सौर सेल प्रौद्योगिकी का 8-10 महीने में उन्नयन करने की आवश्यकता होती है।

चीन का वर्चस्व:

  • वर्तमान में भारत की 20GW की औसत वार्षिक विनिर्माण मांग के बावजूद केवल 3GW के आसपास विनिर्माण क्षमता है। 1.68 बिलियन डॉलर आयात के साथ सौर ऊर्जा उपकरणों का लगभग 80 प्रतिशत चीन से आयतित है। 

कम क्षमता:

  • 'मेरकॉम इंडिया रिसर्च' (Mercom India Research) के अनुसार, वर्तमान में भारत में 16 सौर सेल विनिर्माता इकाई हैं, जिनमें से केवल आधी इकाइयों की क्षमता 100 मेगावाट या उससे अधिक है।

डबल्यूटीओ में चुनौती:

आगे की राह:

  • संभावित गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की खोज तथा उन्हें किफायती एवं सुलभ बनाने के लिये अनुसंधान की आवश्यकता है। 
  • भारत को पेरिस समझौते के तहत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और वित्तपोषण पर अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिये। 
  • गैर-पारंपरिक ऊर्जा के साथ-साथ परंपरागत ऊर्जा स्रोतों में भारत की स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों को अपनाने की दिशा में कार्य करना चाहिये। 

नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता:

  • भारत ने वर्ष 2014 के बाद से सौर ऊर्जा क्षमता में काफी प्रगति की है। भारत उत्तरोत्तर वृद्धि के साथ विश्व के तीसरे बड़े सौर ऊर्जा बाज़ार के रूप में उभरा है।
  • भारत सरकार ने वर्ष 2022 तक 175GW अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। जिसमें सौर ऊर्जा से 100 GW, पवन ऊर्जा से 60 GW, जैव-शक्ति ऊर्जा से 10 GW और लघु जल-विद्युत से 5 GW ऊर्जा शामिल हैं।
  • भारत ने ‘पेरिस समझौते’ के तहत 'राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान' (INDC) के तहत वर्ष 2030 तक कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का 40% 'गैर-जीवाश्म ईंधन संसाधनों' से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
  • भारत की संचयी सौर स्थापित क्षमता लगभग 36.6 GW है, जो भारत में कुल स्थापित विद्युत क्षमता के 9.8% का प्रतिनिधित्व करती है। 
  • बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को छोड़कर, देश के कुल विद्युत क्षमता मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा का योगदान लगभग 23.9% है, जिसमें सौर ऊर्जा (9.8%), पवन ऊर्जा (10.1%), जैव-शक्ति (2.7%), लघु जलविद्युत परियोजनाएँ (1.3%), और अपशिष्ट-से-ऊर्जा परियोजनाएँ (0.04%) शामिल हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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