शासन व्यवस्था
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत ब्याज सब्सिडी
- 25 Jun 2020
- 7 min read
प्रीलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री मुद्रा योजना मेन्स के लिये:प्रधानमंत्री मुद्रा योजना |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने 'प्रधानमंत्री मुद्रा योजना' (Pradhan Mantri Mudra Yojana- PMMY) के तहत सभी शिशु ऋण (Shishu Loan) खातों पर 12 माह की अवधि के लिये 2% की ‘ब्याज सब्सिडी योजना’ (Scheme of Interest Subvention) को मंज़ूरी प्रदान की है।
प्रमुख बिंदु:
- ऋण सब्सिडी योजना का उद्देश्य COVID- 19 महामारी के कारण छोटे व्यापारियों को हुए नुकसान से राहत प्रदान करना है।
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत प्रदान किये जाने वाले शिशु (Shishu) ऋण का उद्देश्य सूक्ष्म तथा लघु उद्यमों की आर्थिक मदद करना है।
ब्याज सब्सिडी योजना के मानदंड:
- योजना उन ऋणों पर लागू की जाएगी जो निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करते हैं:
- प्रथम, जिन ऋणों का भुगतान 31 मार्च, 2020 तक बकाया था।
- द्वितीय, 31 मार्च, 2020 को तथा योजना की परिचालन अवधि के दौरान ऋण को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया हो।
- इसमें वे ऋण भी शामिल किये जाएंगे जिन्हे पूर्व में ‘गैर-निष्पादन परिसंपत्ति’ (Non Performing Assets- NPA) के रूप में वर्गीकृत किया गया था परंतु बाद में उन्हे निष्पादित परिसंपत्ति के रूप शामिल किया गया हो।
- योजना की अनुमानित लागत लगभग 1,542 करोड़ रुपए होगी जिसे भारत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
'प्रधानमंत्री मुद्रा योजना'
(Pradhan Mantri Mudra Yojana- PMMY):
- प्रधान मंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत 8 अप्रैल, 2015 को गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु / सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख तक का ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है।
- PMMY के तहत ऋणों को MUDRA ऋण के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
- ये ऋण वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक, सूक्ष्म वित्त संस्थाओं तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा प्रदान किये जाते हैं।
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत तीन प्रकार के ऋणों की व्यवस्था की गई:
- शिशु (Shishu) - 50,000 रुपए तक के ऋण,
- किशोर (Kishor) - 50,001 से 5 लाख रुपए तक के ऋण,
- तरुण (Tarun) - 500,001 से 10 लाख रुपए तक के ऋण।
- मुद्रा कंपनी को 100% पूंजी का योगदान के साथ ‘भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक’ (Small Industries Development bank of India- SIDBI) के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया है। वर्तमान में मुद्रा कंपनी की अधिकृत पूंजी 1000 करोड़ है और भुगतान की गई पूंजी (Paid Up Capital) 750 करोड़ है।
‘शिशु’ ऋण राहत योजना की आवश्यकता:
- COVID-19 महामारी के तहत लगाए गए लॉकडाउन के कारण 'सूक्ष्म और लघु उद्यमों' का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इससे इन उद्यमों की ऋण अदायगी क्षमता बहुत प्रभावित हैं । अत: इन कारोबारियों के ऋण के डिफॉल्ट होने तथा NPA में बदलने की बहुत अधिक संभावना है। इसके परिणामस्वरूप भविष्य में संस्थागत ऋणों तक उनकी पहुँच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- 31 मार्च, 2020 तक की स्थिति के अनुसार, PMMY के तहत कुल 9.37 करोड़ रुपए की ऋण राशि बकाया थी।
योजना की रणनीति:
- योजना का क्रियान्वयन भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) के माध्यम से किया जाएगा जिसकी परिचालन अवधि 12 माह होगी।
- जिन ऋणों को RBI के ‘COVID-19 विनियामक पैकेज’ के तहत प्रदान किया गया है, उनके लिये योजना की परिचालन अवधि 01 सितंबर, 2020 से 31 अगस्त, 2021 तक होगी। जबकि अन्य उधारकर्त्ताओं के लिये योजना की परिचालन अवधि 01 जून, 2020 से 31 मई, 2021 तक होगी।
योजना का महत्त्व:
- योजना के क्रियान्वयन से सूक्ष्म तथा लघु उद्यमों को COVID-19 महामारी के कारण उत्पन्न वित्तीय परेशानियों से निपटने में मदद मिलेगी।
- छोटे कारोबारियों को महामारी के समय धन की कमी का सामना करना पड़ रहा है अत: उनके द्वारा कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है। योजना छोटे कारोबारियों को कर्मचारियों की छंटनी किये बिना ही अपना कामकाज निरंतर जारी रखने में मदद करेगी।
निष्कर्ष:
- COVID-19 महामारी के कारण उत्पन्न संकट के समय मुद्रा योजना के तहत प्रदान की जाने वाली ऋण राहत योजना MSMEs को अपना कामकाज निरंतर जारी रखने में मदद करेगा जिससे अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा तथा देश के आर्थिक पुनरुत्थान को बल मिलेगा।