अंतर्राष्ट्रीय संबंध
SCO ने DPI को समर्थन देने के भारत के प्रस्ताव को अपनाया
- 16 May 2023
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:मेन्स के लिये:SCO, डिजिटल पब्लिक गुड्स की अवधारणा और इसकी उपयोगिता, डिजिटल साधनों के माध्यम से सुशासन। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) ने देश के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे (DPI) की स्वीकृति के साथ ही विकास को बढ़ावा देने हेतु भारत के प्रस्ताव को अपनाया है।
- यह कदम डिजिटल क्षेत्र में भारत के नेतृत्व और क्षेत्र में डिजिटल विभाजन को पाटने की इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत के DPI प्रस्ताव में शामिल हैं:
- भारत का DPI प्रस्ताव SCO के सदस्य राज्यों द्वारा भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे के विकास और इसे अपनाने का समर्थन करता है।
- प्रस्ताव में आधार, यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और डिजिलॉकर जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं जो खुले तथा इंटरऑपरेबल एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) पर आधारित है एवं डिजिटल समावेशन, नवाचार तथा सामाजिक सशक्तीकरण को सक्षम करते हैं।
- इन प्लेटफाॅर्मों का उद्देश्य विभिन्न सेवाओं के लिये एक मज़बूत और सुरक्षित डिजिटल आधारभूत संरचना प्रदान करना है।
- भारत के DPI प्रस्ताव में SCO सदस्यों के साथ डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे जैसे- डिज़ाइन, विकास, कार्यान्वयन, मूल्यांकन और शासन के विभिन्न पहलुओं पर सहयोग करना शामिल है।
भारत के DPI प्रस्ताव का SCO सदस्यों को लाभ:
- उन्हें ओपन और अंतर-संचालानीयता API के आधार पर अपने स्वयं के DPI विकसित करने का मॉडल पेश करना।
- यह प्रस्ताव SCO सदस्यों को क्षेत्र में कनेक्टिविटी, व्यापार, पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और सुरक्षा बढ़ाने के अपने सामान्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
- यह SCO सदस्यों को डिजिटल युग में डिजिटल डिवाइड, साइबर खतरों, डेटा सुरक्षा और गोपनीयता की चुनौतियों का समाधान करने में भी मदद कर सकता है।
डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा (DPI):
- डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा (DPI) डिजिटल पहचान, भुगतान अवसंरचना और डेटा विनिमय समाधान जैसे ब्लॉक या प्लेटफाॅर्म को संदर्भित करता है जो देशों को अपने नागरिकों को आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने, उन्हें सशक्त बनाने और डिजिटल समावेशन को सक्षम करके उनके जीवन में सुधार करने में मदद करता है।
- भारत, इंडिया स्टैक के माध्यम से सभी तीन मूलभूत DPI- डिजिटल पहचान (आधार), रीयल-टाइम फास्ट पेमेंट (UPI) और डेटा एम्पावरमेंट प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (DEPA) पर निर्मित अकाउंट एग्रीगेटर विकसित करने वाला पहला देश बन गया।
शंघाई सहयोग संगठन:
- परिचय:
- SCO एक क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन है जो सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में अपने सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।
- उत्पत्ति:
- वर्ष 2001 में SCO के गठन से पहले कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस और ताजिकिस्तान शंघाई फाइव के सदस्य थे।
- वर्ष 2001 में संगठन में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद शंघाई फाइव का नाम बदलकर SCO कर दिया गया।
- भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके सदस्य बने।
- पर्यवेक्षक देश: ईरान और बेलारूस।
- वर्ष 2023 में जब भारत इस फोरम का अध्यक्ष होगा, ईरान सबसे बड़े क्षेत्रीय संस्थान- SCO का सबसे नया सदस्य बनेगा।
- वर्ष 2001 में SCO के गठन से पहले कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस और ताजिकिस्तान शंघाई फाइव के सदस्य थे।
- संरचना:
- राज्य परिषद के प्रमुख: यह SCO का सर्वोच्च निकाय है जो आंतरिक कामकाज़ और अन्य राज्यों तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ संवाद को लेकर फैसला करता है एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार करता है।
- सरकारी परिषद के प्रमुख: यह SCO के भीतर आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों पर बजट को मंज़ूरी देते हैं, विचार करते हैं और निर्णय लेते हैं।
- विदेश मामलों के मंत्रियों की परिषद: यह परिषद दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों से संबंधित मुद्दों पर विचार करती है।
- क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (RATS): इसकी स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद जैसे मुद्दों से निपटने के लिये की गई है।
- राजभाषा:
- SCO सचिवालय की आधिकारिक कामकाज़ी भाषा रूसी और चीनी है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. एस.सी.ओ. के लक्ष्यों और उद्देश्यों का विश्लेषणात्मक परीक्षण कीजिये। भारत के लिये इसका क्या महत्त्व है? (2021) |