सर्वोच्च न्यायालय ने EVM और VVPAT प्रणाली को बरकरार रखा | 28 Nov 2024

प्रिलिम्स के लिये:

सर्वोच्च न्यायालय, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM), वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT), आम चुनाव, संसद, राज्य विधानमंडल, पंचायतें, नगर पालिकाएँ, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL), मानकीकरण परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन (STQC), EVM प्रबंधन प्रणाली, निर्वाचन आयोग

मेन्स के लिये:

भारत में चुनाव सुधार, चुनावों में पारदर्शिता। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के स्थान पर मतपत्रों को पुनः लागू करने की मांग की गई थी।

  • सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि EVM पर प्रायः चुनावी हार के मद्देनजर ही सवाल उठाए जाते हैं, जिससे उनके तंत्र और सुरक्षा उपायों पर विश्वास दोहराया जाता है।

EVM को लेकर विवाद क्या है?

  • विवाद: कुछ राजनीतिक दलों ने चुनाव से पहले, विशेषकर हारने के बाद, EVM से हेरफेर का दावा किया है, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर संदेह पैदा हो गया है।
    • वर्ष 2009 के आम चुनाव में हारने वाली पार्टी ने EVM की विश्वसनीयता पर चिंता जताई थी।
    • वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान समाप्त होने के बाद विपक्षी दलों ने फिर से EVM की  विश्वसनीयता का मुद्दा उठाया है।
    • वर्ष 2020 में पाँच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बाद यह विवाद फिर से उभर आया।
  • निर्वाचन आयोग का जवाब: निर्वाचन आयोग ने तकनीकी विशेषज्ञों के अध्ययन का हवाला देते हुए लगातार EVM की विश्वसनीयता का बचाव किया है और कहा है कि मशीनों को हैक या हेरफेर नहीं किया जा सकता है। 
  • सर्वोच्च न्यायालय का जवाब: सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि EVM में हेरफेर को रोकने के लिये कई तकनीकी सुरक्षा उपाय और कड़ी जाँच के साथ प्रशासनिक प्रोटोकॉल लागू किये गए हैं तथा मतपत्रों की वापसी की याचिका को अनुचित मानते हुए खारिज कर दिया।

EVM और VVPAT क्या हैं? 

  • EVM के बारे में: EVM संसद, राज्य विधानमंडल और पंचायतों एवं नगर पालिकाओं जैसे स्थानीय निकायों के चुनाव कराने के उद्देश्य से पोर्टेबल उपकरण हैं।
    • यह एक माइक्रोकंट्रोलर-आधारित उपकरण है और इसे एकल पोस्ट और एकल वोट के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • EVM के घटक: एक EVM को दो इकाइयों यानी कंट्रोल यूनिट और बैलट यूनिट के साथ डिज़ाइन किया गया है। ये इकाइयाँ एक केबल द्वारा आपस में जुड़ी होती हैं। यह सुनिश्चित करता है कि मतदान अधिकारी आपकी पहचान सत्यापित करे।
    • नियंत्रण इकाई: EVM की नियंत्रण इकाई पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है।
    • मतपत्र इकाई: मतपत्र इकाई मतदाताओं द्वारा वोट डालने के लिये मतदान कक्ष के भीतर रखी जाती है। 

भारत में EVM का विकास:

वर्ष

आयोजन

1977

EVM की संकल्पना पर विचार किया गया।

1979

प्रोटोटाइप ECIL, हैदराबाद द्वारा विकसित किया गया।

1980

अनुच्छेद 324 के तहत जारी निर्देशानुसार अगस्त में निर्वाचन आयोग द्वारा EVM प्रमाणित की गई।

1982

केरल के परुर उप-चुनाव में EVM का इस्तेमाल; वैधता को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई।

1988

ECI को EVM के उपयोग के अधिकार को प्रदान करने हेतु जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (धारा 61A) में संशोधन किया गया।

1990

दिनेश गोस्वामी समिति ने EVM को तकनीकी रूप से सुदृढ़ और सुरक्षित बताया।

1998

16 विधानसभा चुनावों में EVM का प्रयोग किया गया।

1999-2000

46 संसदीय सीटों (1999) और हरियाणा विधानसभा चुनावों (2000) में विस्तार रूप से इसका उपयोग किया गया।

2001

तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में इसका उपयोग पूर्ण किया गया।

2004

लोकसभा चुनावों में देश भर में EVM का प्रयोग किया गया।

2013

VVPAT को चुनाव संचालन नियमों में संशोधन के माध्यम से पेश किया गया था; इसका उपयोग पहली बार नगालैंड उप-चुनाव में किया गया।

2019

पहला लोकसभा चुनाव जो पूर्णतः VVPAT द्वारा समर्थित था।

  • VVPAT के बारे में: VVPAT मतदाताओं को यह पुष्टि करने में सक्षम बनाता है कि उनके मत अपेक्षित रूप से दर्ज किये गए हैं।
    • मतदान के समय एक पर्ची मुद्रित होती है जिस पर क्रम संख्या, उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिह्न अंकित होता है। 
    • यह 7 सेकंड तक दिखाई देती है, इसके बाद मुद्रित पर्ची अपने आप कटकर VVPAT के सीलबंद ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है।

EVM की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने से संबंधित सुरक्षा उपाय क्या हैं?

  • तकनीकी सुरक्षा:
    • कार्यक्षमता: EVM में एक कंट्रोल यूनिट (CU), बैलट यूनिट (BU) और VVPAT शामिल होते हैं।
      • VVPAT उम्मीदवार के नाम, चुनाव चिन्ह और क्रम संख्या के साथ एक पर्ची मुद्रित करके दृश्य सत्यापन की सुविधा प्रदान करता है।
    • माइक्रोकंट्रोलर: माइक्रोकंट्रोलर वन-टाइम प्रोग्रामेबल (OTP) होते हैं तथा निर्माण के बाद उनमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
      • माइक्रोकंट्रोलर तक पहुँचने का कोई भी भौतिक प्रयास मशीन को स्थायी रूप से निष्क्रिय कर देता है।
    • विनिर्माण: केवल भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) जैसे विश्वसनीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs) के द्वारा ही  EVM का विनिर्माण किया जाता हैं।
    • स्टैंडअलोन ऑपरेशन: EVM बिना वायर्ड या वायरलेस कनेक्टिविटी के संचालित होते हैं, जिससे हस्‍तकौशल का जोखिम समाप्त हो जाता है।
    • उन्नत M3 EVM (2013 के बाद): इसमें किसी भी तरह के बदलाव का पता लगाने की सुविधा है, जिससे अनाधिकृत रूप से प्रवेश करने पर मशीन को निष्क्रिय किया जा सकता है, साथ ही इसमें अनाधिकृत उपकरणों को ब्लॉक करने के लिये पारस्परिक प्रमाणीकरण की सुविधा है।
    • EVM प्रबंधन प्रणाली (EMS 2.0): यह EVM की गतिविधियों पर निगरानी रखती है तथा उनका प्रबंधन, और परिवहन एवं भंडारण के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
  • प्रशासनिक प्रोटोकॉल:
    • प्रथम-स्तरीय जाँच (FLC): निरीक्षण, सफाई और कार्यक्षमता का परीक्षण BEL/ECIL के इंजीनियरों द्वारा किया जाता हैं। 
      • नकली मतदान हेतु डमी प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है।
    • यादृच्छिक EVM आवंटन: पूर्व निर्धारित आवंटन से बचने के लिये EVM को विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों और मतदान केंद्रों में यादृच्छिक रूप से आवंटित किया जाता है।
      • निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में EMS 2.0 प्रणाली का उपयोग करके यादृच्छिकीकरण किया जाता है।
    • उम्मीदवार सेटिंग: EVM में उम्मीदवार का विवरण (जिसे 'कमीशनिंग' कहा जाता है) अंतिम उम्मीदवार सूची उपलब्ध होने के बाद ही लोड किया जाता है।
      • सटीकता सुनिश्चित करने के लिये मतदान दिवस से पहले कई चरणों में मॉक पोल आयोजित किये जाते हैं।
    • मतगणना दिवस की प्रक्रिया: EVM को CCTV निगरानी में मतगणना टेबल तक लाया जाता है।
      • प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के 5 मतदान केंद्रों से VVPAT पर्चियों का यादृच्छिक क्रॉस-सत्यापन किया जाता है।
    • EVM भंडारण प्रोटोकॉल: इन्हें CCTV और सशस्त्र पुलिस निगरानी के तहत एकल प्रवेश/निकास बिंदु वाले स्ट्रांगरूम में संग्रहीत किया जाता है।
      • इसमें डबल-लॉक प्रणाली का उपयोग किया जाता है जिसकी चाबियाँ अलग-अलग अधिकारियों के पास होती हैं तथा मतदान के बाद EVM को ले जाने के लिये GPS-ट्रैक वाले वाहनों का उपयोग किया जाता है।
    • आवधिक निरीक्षण: ज़िला निर्वाचन अधिकारी सुरक्षित भंडारण की स्थिति सुनिश्चित करने के लिये EVM गोदामों का मासिक निरीक्षण करते हैं।

मतपत्रों की तुलना में EVM-VVPAT के क्या लाभ हैं?

  • कोई बाहरी इनपुट नहीं: EVM बैटरी या पावर पैक पर चलती हैं, जिससे ये दूरदराज़ के क्षेत्रों में भी कार्य कर सकती हैं जबकि कागज के मतपत्रों के लिये मैन्युअल गिनती हेतु प्रकाश एवं अन्य सुविधाओं की आवश्यकता होती है।
  • अवैध मतों का उन्मूलन: EVM पर मतदान एक बटन दबाकर किया जाता है जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी अवैध मत (यह समस्या अक्सर गलत तरीके से चिह्नित या फटे हुए मतपत्रों से जुड़ी होती है) न हो
  • बूथ कैप्चरिंग की रोकथाम: EVM को प्रति मिनट केवल चार वोट की अनुमति देने के लिये प्रोग्राम किया गया है जिससे बूथ कैप्चरिंग की स्थिति में धोखाधड़ी वाले मतदान की संभावना बहुत कम हो जाती है।
    • एक बार कंट्रोल यूनिट पर 'क्लोज़' बटन दबा दिया जाए तो फिर कोई वोट नहीं डाला जा सकता है।
  • सटीक गणना और मतदाता सत्यापन: EVM से वोटों की तीव्र और त्रुटिरहित गणना संभव होती है तथा मैनुअल त्रुटियों एवं देरी की समस्या समाप्त हो जाती है।
    • मतदाताओं को बीप के माध्यम से तत्काल फीडबैक मिलता है और वे VVPAT पर्ची के माध्यम से अपने वोट की पुष्टि कर सकते हैं।
  • मतगणना में पारदर्शिता: कंट्रोल यूनिट का 'टोटल' बटन उम्मीदवार-अनुसार परिणाम बताए बिना डाले गए मतों की संख्या प्रदर्शित होती है जिससे मतों की गोपनीयता बनाए रखते हुए पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
  • पूर्व-प्रोग्रामिंग हेरफेर की रोकथाम: EVM का मूलभूत प्रोग्राम (जो राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से तटस्थ होता है) चुनाव से बहुत पहले इसके निर्माण के दौरान माइक्रोकंट्रोलर में सन्निहित कर दिया जाता है।
    • उम्मीदवारों की क्रम संख्या पहले से जानने में असमर्थता के कारण EVM को फर्जी उद्देश्यों हेतु पूर्व-प्रोग्राम करना असंभव हो जाता है।

निष्कर्ष

VVPAT युक्त EVM से भारतीय निर्वाचन प्रणाली में क्रांति आने के साथ पारंपरिक मतपत्रों की तुलना में दक्षता, सटीकता और पारदर्शिता मिली है। संदेह के बावजूद, कड़े तकनीकी सुरक्षा उपाय एवं प्रशासनिक प्रोटोकॉल इसकी अखंडता सुनिश्चित करते हैं। इससे संबंधित चिंताएँ होने के बावजूद सर्वोच्च न्यायालय एवं निर्वाचन आयोग द्वारा EVM को सुरक्षित माना गया है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की भूमिका पर चर्चा कीजिये। इसमें हेरफेर को रोकने के लिये मौजूद तकनीकी एवं प्रशासनिक सुरक्षा उपायों पर प्रकाश डालिये। 

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. भारत का निर्वाचन आयोग पाँच-सदस्यीय निकाय है।
  2.  संघ का गृह मंत्रालय, आम चुनाव और उप-चुनावों दोनों के लिये चुनाव कार्यक्रम तय करता है।
  3. निर्वाचन आयोग मान्यता-प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/विलय से संबंधित विवाद निपटाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न.1 भारत में लोकतंत्र की गुणता को बढ़ाने के लिये भारत के चुनाव आयोग ने 2016 में चुनावी सुधारों का प्रस्ताव दिया है। सुझाए गए सुधार क्या हैं और लोकतंत्र को सफल बनाने में वे किस सीमा तक महत्त्वपूर्ण हैं? (2017)