वैश्विक खाद्य सुरक्षा में परमाणु प्रौद्योगिकी की भूमिका | 07 Jun 2024

प्रिलिम्स के लिये:

खाद्य विकिरण, परमाणु ऊर्जा, खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency- IAEA) , परमाणु प्रौद्योगिकियाँ, पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR), बौद्धिक संपदा अधिकार

मेन्स के लिये:

खाद्य और प्रसंस्करण क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा का महत्त्व।

स्रोत: एफ.ए.ओ.

चर्चा में क्यों?

हाल ही में खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) तथा अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency- IAEA) द्वारा "बेहतर जीवन के लिये सुरक्षित भोजन" विषय पर संयुक्त रूप से आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में खाद्य सुरक्षा के मापन, प्रबंधन एवं नियंत्रण के लिये परमाणु प्रौद्योगिकियों के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया।

  • इसके अलावा, संगोष्ठी हेतु खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में परमाणु प्रौद्योगिकी के संभावित उपयोग पर प्रकाश डाला गया।

खाद्य सुरक्षा मानक पर परमाणु प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग क्या है?

  • वन हेल्थ दृष्टिकोण का पूरक:
    • वन हेल्थ दृष्टिकोण मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के अंतर्संबंध को मान्यता देता है; परमाणु तकनीकों का उपयोग भोजन एवं पर्यावरण में संदूषकों, रोगाणुओं तथा विषाक्त पदार्थों का पता लगाने व उनकी निगरानी करने के लिये किया जा सकता है।
    • पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) परीक्षण एक आणविक परमाणु तकनीक है, जो एक दिन से भी कम समय में पशु रोगों का तेज़ी से पता लगा लेती है।
  • खाद्य विकिरण: 
    • खाद्य विकिरण, हानिकारक बैक्टीरिया, रोगाणुओं और कीटों को नष्ट करने के लिये खाद्य पदार्थों को आयनकारी विकिरण के संपर्क में लाने की एक प्रक्रिया है; परमाणु प्रौद्योगिकी खाद्य उत्पादों की जीवन अवधि को बढ़ाने तथा उपभोग के लिये उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता करती है।
    • स्थिर समस्थानिक विश्लेषण एक परमाणु तकनीक है जिसका उपयोग खाद्य उत्पादों की उत्पत्ति और प्रामाणिकता निर्धारित करने के लिये किया जाता है, साथ ही यह मिलावट का पता लगाने तथा लेबलिंग दावों को सत्यापित करने में सहायता करता है।
  • उन्नत मृदा एवं जल प्रबंधन:
    • अतीत में हुए परमाणु विस्फोटों से वास्तव में वैज्ञानिकों को मृदा अपरदन का मापन एवं आकलन करने में सहायता मिल रही है, परमाणु घटनाओं के बाद बचे रेडियोधर्मी न्यूक्लाइडों से वैज्ञानिकों को मृदा के स्वास्थ्य और अपरदन की दर का निर्धारण करने में सहायता मिल सकती है।
  • कीट नियंत्रण: 
    • कृषि उत्पादन प्रणालियों में कीट नियंत्रण के लिये परमाणु तकनीक, जैसे कि स्टेराइल इन्सेक्ट टेक्नोलॉजी (SIT) का उपयोग किया जाता है। 
    • यह तकनीक प्रजनन को सीमित करती है और कीटों तथा पीड़कों को कम करती है, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता कम हो जाती है, जो खाद्य सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
  • पादप प्रजनन और आनुवंशिकी: 
    • फसल प्रजनन में प्रयुक्त परमाणु प्रौद्योगिकी जलवायु परिवर्तन के अनुकूल उन्नत किस्मों के विकास में सहायक है।
    • बीजों को गामा किरणों, एक्स-रे, आयनों या इलेक्ट्रॉन किरणों द्वारा विकिरणित करने से उसमें आनुवंशिक परिवर्तन शुरू हो जाते हैं, जिससे प्रजनन उद्देश्यों के लिये उपलब्ध आनुवंशिक विविधता का विस्तार होता है।

खाद्य सुरक्षा में तकनीक-संबंधी प्रगति की क्या आवश्यकता है?

  • जलवायु परिवर्तन: सूखा, बाढ़ और तापमान में उतार-चढ़ाव जैसी जलवायु-जनित चुनौतियाँ फसल उत्पादन एवं खाद्य उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं, इसलिये जलवायु-स्मार्ट कृषि (Climate-Smart Agriculture- CSA) को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • खाद्य अपशिष्ट: FAO के अनुसार, मानव उपभोग के लिये उत्पादित भोजन का लगभग 1/3 हिस्सा वैश्विक स्तर पर नष्ट या बर्बाद हो जाता है, जो प्रतिवर्ष लगभग 1.3 बिलियन टन होता है अर्थात लगभग 3.1 बिलियन लोग वर्ष 2020 में स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा पाएंगे (FAO, 2022)।
  • जनसंख्या वृद्धि: अनुमान है कि वर्ष 2050 तक विश्व की जनसंख्या 9.7 बिलियन तक पहुँच जाएगी (संयुक्त राष्ट्र विश्व जनसंख्या संभावनाएँ, 2019), जिससे खाद्य उत्पादन प्रणालियों पर अत्यधिक दबाव पड़ेगा और तकनीकी विस्तार की आवश्यकता में वृद्धि होगी।
  • सीमित संसाधन: सीमित कृषि योग्य भूमि और स्वच्छ जल के संसाधनों के साथ, प्रौद्योगिकी ऊर्ध्वाधर खेती, हाइड्रोपोनिक्स एवं कुशल सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से उत्पादकता को अधिकतम करने में सहायता कर सकती है।

नोट: 

  • एटम्स 4फूड (Atoms 4Food) वैश्विक स्तर पर भुखमरी से निपटने और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency- IAEA) तथा FAO की एक संयुक्त पहल है।
    • इसे रोम में वर्ष 2023 विश्व खाद्य मंच (World Food Forum) में प्रदर्शित किया गया।
    • इस परियोजना का उद्देश्य परमाणु प्रक्रियाओं और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना तथा विभिन्न देशों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप समाधान तैयार करना है।
  • इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग कृषि एवं पशुधन उत्पादकता को बढ़ाने, प्राकृतिक संसाधनों का अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने, खाद्य विषमताओं को कम करने, खाद्य सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने, पोषण मूल्य में सुधार करने हेतु तथा जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों को कम करने के लिये किया जाता है।
    • खाद्य और कृषि में परमाणु तकनीक का संयुक्त FAO/IAEA केंद्र, वैश्विक खाद्य सुरक्षा तथा सतत् कृषि विकास के लिये परमाणु प्रौद्योगिकियों के सुरक्षित एवं प्रभावी अनुप्रयोग में सहायता करता है।

खाद्य सुरक्षा हेतु परमाणु प्रौद्योगिकी के उपयोग से क्या चुनौतियाँ संबंधित हैं?

  • भौगोलिक एवं क्षेत्रीय विविधताएँ:
    • विविध कृषि-जलवायु क्षेत्र और पद्धतियाँ, विश्व भर में परमाणु तकनीकों के एकरूप अनुप्रयोग एवं अनुकूलन से संबंधित चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकती हैं।
    • मृदा तथा जल प्रबंधन के लिये समस्थानिक तकनीकों के अनुप्रयोग हेतु मृदा के प्रकार, जलवायु परिस्थितियों और सिंचाई पद्धतियों में भिन्नता के कारण क्षेत्र-विशिष्ट अंशांकन एवं अनुकूलन की आवश्यकता हो सकती है।
  • सीमित वित्तपोषण व निवेश एवं प्रौद्योगिकी:
    • खाद्य संरक्षण और कीट नियंत्रण के लिये विकिरण सुविधाओं के विकास हेतु पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है, जो बजट की कमी के कारण एक बड़ी चुनौती सिद्ध हो सकती है।
    • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रतिबंधों या उच्च लागत के कारण त्वरक-आधारित उत्परिवर्तन प्रजनन या खाद्य ट्रेसिबिलिटी के लिये विशेष विश्लेषणात्मक उपकरण जैसी उन्नत तकनीकों तक पहुँच कठिन हो सकती है।
  • विनियामक चुनौतियाँ:
    • कृषि में परमाणु प्रौद्योगिकी का उपयोग सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये सख्त नियमों और दिशानिर्देशों के अधीन है; आवश्यक अनुमोदन, लाइसेंस प्राप्त करना तथा नियामक आवश्यकताओं का अनुपालन एक लंबी व जटिल प्रक्रिया हो सकती है।
    • बौद्धिक संपदा अधिकार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण बाधाओं सहित विभिन्न कारक कृषि अनुकूलन में बाधा उत्पन्न करते हैं।
  • संबद्ध बुनियादी ढाँचे का अभाव:
    • कृषि में परमाणु तकनीकों का प्रभावी उपयोग करने के लिये विशेष प्रयोगशालाओं और अनुसंधान सुविधाओं का अभाव तथा इस क्षेत्र में प्रशिक्षित कर्मियों एवं विशेषज्ञता के अभाव के परिणामस्वरूप इन तकनीकों का व्यापक अनुप्रयोग सीमित हो रहा है।

परमाणु ऊर्जा क्या है?

  • यह ऊर्जा का एक रूप है जो परमाणु के नाभिक या क्रोड से उत्सर्जित होती है।
  • यह अपने उच्च ऊर्जा घनत्व के लिये जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि परमाणु ईंधन की थोड़ी मात्रा से बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है।
    • परमाणु ऊर्जा का उपयोग करने के दो प्राथमिक विधियाँ हैं:
  • नाभिकीय विखंडन: इस प्रक्रिया में परमाणु के नाभिक को दो छोटे नाभिकों में विभाजित किया जाता है, जिससे बड़ी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
    • परमाणु ऊर्जा संयंत्र मुख्य रूप से इस विधि का उपयोग करते हैं, ईंधन के रूप में यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 का उपयोग करते हैं। जब इन भारी समस्थानिकों के नाभिकों पर न्यूट्रॉन की बमबारी की जाती है, तो वे अस्थिर हो जाते हैं और छोटे नाभिकों में विभाजित हो जाते हैं, जिससे अतिरिक्त न्यूट्रॉन निकलते हैं।
    • इस शृंखला अभिक्रिया से ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिसका उपयोग भाप निर्मित करने, टर्बाइन चलाने और अंततः विद्युत उत्पन्न करने के लिये किया जाता है।
  • नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion): यह दो हल्के परमाणुओं के नाभिकों को मिलाकर एक भारी नाभिक बनाने की प्रक्रिया है। संलयन वह प्रक्रिया है जो सूर्य के लिये ऊर्जा का स्रोत है। 
    • यद्यपि इसमें स्वच्छ और वस्तुतः असीमित ऊर्जा की व्यापक संभावनाएँ निहित हैं, लेकिन पृथ्वी पर नियंत्रित परमाणु संलयन प्राप्त करना अत्यधिक चुनौतीपूर्ण है।

खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) क्या है?

  • FAO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो भुखमरी को समाप्त करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्त्व करती है।
  • विश्व खाद्य दिवस, 16 अक्तूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
  • भारत सहित 194 सदस्य देशों एवं यूरोपीय संघ के साथ FAO विश्वभर में 130 से अधिक देशों में कार्यरत है।
  • यह रोम (इटली) स्थित संयुक्त राष्ट्र के खाद्य सहायता संगठनों में से एक है। इसकी सहयोगी संस्थाएँ विश्व खाद्य कार्यक्रम तथा कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष (IFAD) हैं।

आगे की राह

  • बुनियादी ढाँचे और सुविधाओं का विकास: विकिरण सुविधाएँ, विश्लेषणात्मक प्रयोगशालाएँ तथा परमाणु प्रौद्योगिकी के लिये उपकरण स्थापित करने हेतु धन एवं संसाधन आवंटित करना, जैसे कि खराब होने वाले उत्पादों को संरक्षित करना, हानि को न्यूनतम करने व खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु खाद्य विकिरण सुविधा स्थापित करना आवाश्यक है
  • विनियामक सुधार और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना: रेडियोधर्मी कृषि सामग्रियों के सुरक्षित संचालन, परिवहन तथा निपटान के लिये दिशा-निर्देश बनाये जाने चाहिये तथा विकिरण-प्रेरित उत्परिवर्ती फसलों के अनुमोदन एवं व्यावसायीकरण की देखरेख हेतु एक नियामक निकाय का गठन किया जाना चाहिये।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना: परमाणु प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिये अनुसंधान संस्थानों, निजी क्षेत्र और उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ावा देना तथा परमाणु-आधारित कृषि उत्पादों के विकास एवं व्यावसायीकरण में निवेश करने हेतु कंपनियों को प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान साझाकरण: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना जैसे कि विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिये संयुक्त FAO/IAEA केंद्र के साथ साझेदारी करना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

“प्रौद्योगिकी में फसल की पैदावार, किसानों की आय और कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने की क्षमता में सुधार करके भारतीय कृषि के विकास तथा स्थिरता में महत्त्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है।” आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भारतीय पेटेंट अधिनियम के अनुसार, किसी बीज बनाने की जैविक प्रक्रिया को भारत में पेटेंट कराया जा सकता है। 
  2. भारत में कोई बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड नहीं है। 
  3. पादप किस्में भारत में पेटेंट कराए जाने के पात्र नहीं हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. फसल विविधता के समक्ष मौजूदा चुनौतियाँ क्या हैं? उभरती प्रौद्योगिकियाँ फसल विविधता के लिये किस प्रकार  अवसर प्रदान करती हैं। (2021)