सड़क सुरक्षा | 30 Jun 2022

प्रिलिम्स के लिये:

सड़क सुरक्षा, शहरीकरण, एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम, सुभेद्य उपयोगकर्त्ता, रडार गन, ई चालान, सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया घोषणा, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम।

मेन्स के लिये:

सड़क सुरक्षा, बुनियादी ढांँचा।

चर्चा में क्यों?

नवीनतम लैंसेटअध्ययन के अनुसार, वाहनों की तीव्र गति को रोकने हेतु उठाए गए कदम भारत में सालाना 20,000 लोगों की जान बचा सकते हैं।

  • चार प्रमुख जोखिम कारणों जैसे- तेज़ गति, नशे में गाड़ी चलाना, क्रैश हेलमेट और सीटबेल्ट का उपयोग न करना, पर पर ध्यान केंद्रित करने हर साल दुनिया भर में 13.5 लाख सडक दुर्घटनाओं में से 25% से 40% तक को रोक सकता है।

प्रमुख बिंदु

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की वर्ष 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण कुल 1,31,714 मौतें हुईं।
    • 69.3% मौतों के लिये स्पीडिंग ज़िम्मेदारहै।
    • हेलमेट न पहनने के कारण 30.1% मौतें हुईं।
    • सीटबेल्ट का प्रयोग न करने से 11.5% मौतें होती हैं।
  • 5-29 वर्ष आयु वर्ग में रोड ट्रैफिक इंजुरी (RTIs) सभी उम्र के लिये विश्व स्तर पर मौत का आठवांँ प्रमुख कारण है।
    • भारत में दुर्घटना से होने वाली सभी मौतों की लगभग 10% मौतें होती हैं, जबकि दुनिया के केवल 1% मौतों के लिये वाहन ज़िम्मेदार हैं।

road-accidents

भारत में सड़क सुरक्षा का महत्त्व:

  • परिचय:
    • यातायात हिस्सेदारी और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान के मामले में सड़क परिवहन भारत में परिवहन का प्रमुख साधन है।
    • सड़क परिवहन की मांग को पूरा करने के लिये पिछले कुछ वर्षों में वाहनों की संख्या और सड़क नेटवर्क की लंबाई में वृद्धि हुई है।
    • देश में सड़क नेटवर्क, मोटरीकरण और शहरीकरण के विस्तार का एक नकारात्मक बहिर्भाव/प्रभाव सड़क दुर्घटनाओं और खराब सड़कों की संख्या में वृद्धि है।
  • सड़क दुर्घटनाओं का कारण:
    • बुनियादी ढांँचे की कमी: सड़कों और वाहनों की दयनीय स्थिति, खराब दृश्यता, खराब सड़क डिज़ाइन और इंजीनियरिंग- सामग्री तथा निर्माण की गुणवत्ता में कमी, विशेष रूप से तीव्र मोड़ के के साथ सिंगल-लेन।
    • लापरवाही और ज़ोखिम: ओवर स्पीडिंग, शराब या ड्रग्स के प्रभाव में ड्राइविंग, थकान या बिना हेलमेट के सवारी, सीटबेल्ट के बिना ड्राइविंग आदि।
    • व्याकुलता: ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन पर बात करना सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण बन गया है।
    • ओवरलोडिंग: परिवहन की लागत की बचत करने के लिये।
    • भारत में कमज़ोर वाहन सुरक्षा मानक: वर्ष 2014 में ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (NCAP) द्वारा किये गए क्रैश टेस्ट से पता चला है कि भारत के कुछ सबसे अधिक बिकने वाले कार मॉडल संयुक्त राष्ट्र (UN) के फ्रंटल इम्पैक्ट क्रैश टेस्ट में विफल रहे हैं।
    • ज़ागरूकता की कमी: एयरबैग, एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम आदि जैसे सुरक्षा सुविधाओं के महत्त्व के बारे में जागरूकता की कमी है।
  • प्रभाव:
    • आर्थिक:
      • भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण अपने सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 3% का नुकसान होता है, जिनमें से अधिकांश को रोका जा सकता है
    • सामाजिक:
      • परिवारों पर बोझ:
        • सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली मृत्यु की वजह से गरीब परिवारों की लगभग सात माह की घरेलू आय कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित परिवार गरीबी और कर्ज़ के चक्र में फँस जाता है।
      • संवेदनशील सड़क उपयोगकर्त्ता (VRUs):
        • संवेदनशील सड़क उपयोगकर्त्ता (Vulnerable Road Users- VRUs) वर्ग द्वारा दुर्घटनाओं के बड़े बोझ को सहन किया जाता है। देश में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों और गंभीर चोटों के कुल मामलों में से आधे से अधिक हिस्सेदारी VRUs वर्ग की है।
          • VRUs वर्ग में सामान्यत: गरीब विशेष रूप से कामकाज़ी उम्र के पुरुष जिनके द्वारा सड़क का उपयोग किया जाता है, को शामिल किया जाता है।
      • लिंग विशिष्ट प्रभाव:
        • पीड़ितों के परिवारों में महिलाएँ गरीब और अमीर दोनों घरों में समस्याओं का सामना करती हैं, अक्सर अतिरिक्त काम करती हैं, अधिक जिम्मेदारियां लेती हैं, और देखभाल करने वाली गतिविधियां करती हैं।
        • विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार "ट्रैफिक क्रैश इंजरी एंड डिसएबिलिटीज: द बर्डन ऑन इंडियन सोसाइटी, 2021।
          • लगभग 50% महिलाएँ दुर्घटना के बाद अपनी घरेलू आय में गिरावट से गंभीर रूप से प्रभावित हुईं।
          • लगभग 40% महिलाओं ने दुर्घटना के बाद अपने काम करने के तरीके में बदलाव की सूचना दी, जबकि लगभग 11% ने वित्तीय संकट से निपटने के लिये अतिरिक्त काम करने की सूचना दी।
          • कम आय वाले ग्रामीण परिवारों (56%) की आय में गिरावट निम्न-आय वाले शहरी (29.5%) और उच्च आय वाले ग्रामीण परिवारों (39.5%) की तुलना में सबसे गंभीर थी।

सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण:

  • पारदर्शी मशीनरी:
    • ई-चालान लागू होने से ट्रैफिक उल्लंघन के जुर्माने के मुआवज़े के लिये भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है।
  • स्पीड-डिटेक्शन डिवाइस:
    • रडार और स्पीड डिटेक्शन कैमरा सिस्टम जैसे गति का पता लगाने वाले उपकरणों की स्थापना की जा सकती है।
      • चंडीगढ़ और नई दिल्ली ने ट्रैफिक कंट्रोल में डिजिटल स्टिल कैमरा (चंडीगढ़), स्पीड कैमरा (नई दिल्ली) और रडार गन (नई दिल्ली) जैसे स्पीड डिटेक्शन डिवाइस की सेवा पहले ही लागू कर दी है।
        • राडार गन एक हैंडहेल्ड डिवाइस है जिसका उपयोग ट्रैफिक पुलिस द्वारा गुज़रने वाले वाहन की गति का अनुमान लगाने के लिये किया जाता है।
  • बेहतर सुरक्षा उपाय:
    • स्पीड हम्प, उठे हुए प्लेटफॉर्म, गोल चक्कर और ऑप्टिकल मार्किंग सड़क दुर्घटनाओं को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
  • सख्त नियम और भारी जुर्माना:
    • यातायात नियमों के उल्लंघन को कम करने के लिये विशेष रूप से शराब, भांँग या अन्य नशीली दवाओं के प्रभाव में वाहन चलाने पर उल्लंघन करने वालों पर भारी मोटर वाहन जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • वाहन सुरक्षा मानक:
    • इलेक्ट्रॉनिक स्थिरता नियंत्रण, प्रभावी कार क्रैश मानक और उन्नत ब्रेकिंग जैसी वाहन सुरक्षा सुविधाओं को अनिवार्य बनाया जाना चाहिये।
      • हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भारत NCAP (नई कार आकलन कार्यक्रम) की शुरुआत की।
  • दर्शकों की भूमिका:
    • दुर्घटना के बाद की देखभाल में दर्शक (बाईस्टैंडर्स) एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। वे आपातकालीन देखभाल प्रणाली को सक्रिय करके और पेशेवर मदद उपलब्ध होने तक सरल, संभावित जीवन रक्षक कार्रवाई में योगदान करते हैं।
  • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण:
    • सड़क सुरक्षा ऑडिट और सड़क सुरक्षा इंजीनियरिंग में क्षमता निर्माण के लिये प्रशिक्षण पाठ्यक्रम एवं प्रशिक्षण कार्यशालाएंँ आयोजित की जानी चाहिये।

सड़क सुरक्षा से संबंधित पहलें:

  • विश्व:
    • सड़क सुरक्षा पर ब्राज़ीलिया घोषणा (2015):
      • ब्राज़ील में आयोजित सड़क सुरक्षा पर दूसरे वैश्विक उच्च स्तरीय सम्मेलन में घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए। भारत घोषणापत्र का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
      • देशों ने सतत् विकास लक्ष्य 3.6 यानी वर्ष 2030 तक सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली वैश्विक मौतों और दुर्घटनाओं की आधी संख्या करने की योजना बनाई है।
    • सड़क सुरक्षा के लिये कार्रवाई का दशक 2021-2030:
      • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2030 तक कम-से-कम 50% सड़क यातायात मौतों और चोटों को रोकने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ "वैश्विक सड़क सुरक्षा में सुधार" संकल्प अपनाया।
      • वैश्विक योजना सड़क सुरक्षा के लिये समग्र दृष्टिकोण के महत्त्व पर बल देते हुए स्टॉकहोम घोषणा के अनुरूप है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सड़क मूल्यांकन कार्यक्रम (iRAP):
      • यह एक पंजीकृत चैरिटी है जो सुरक्षित सड़कों के माध्यम से लोगों की जान बचाने के लिये समर्पित है।
  • भारत:
    • मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019:
      • यह अधिनियम यातायात उल्लंघन, दोषपूर्ण वाहन, नाबलिकों द्वारा वाहन चलाने आदि के लिये दंड की मात्रा में वृद्धि करता है।
      • यह अधिनियम मोटर वाहन दुर्घटना हेतु निधि प्रदान करता है जो भारत में कुछ विशेष प्रकार की दुर्घटनाओं पर सभी सड़क उपयोगकर्त्ताओं को अनिवार्य बीमा कवरेज प्रदान करता है।
      • अधिनियम एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड को मंज़ूरी प्रदान करता है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा एक अधिसूचना के माध्यम से स्थापित किया जाना है।
      • यह मदद करने वाले व्यक्तियों के संरक्षण का भी प्रावधान करता है।
    • सड़क मार्ग द्वारा वाहन अधिनियम, 2007:
      • यह अधिनियम सामान्य माल वाहकों के विनियमन से संबंधित प्रावधान करता है, उनकी देयता को सीमित करता है और उन्हें वितरित किये गए माल के मूल्य की घोषणा करता है ताकि ऐसे सामानों के नुकसान या क्षति के लिये उनकी देयता का निर्धारण किया जा सके, जो लापरवाही या आपराधिक कृत्यों के कारण स्वयं, उनके नौकरों या एजेंटों के कारण हुआ हो।
    • राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि और यातायात) अधिनियम, 2000:
      • यह अधिनियम राष्ट्रीय राजमार्गों के भीतर भूमि का नियंत्रण, रास्ते का अधिकार और राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात का नियंत्रण करने संबंधी प्रावधान प्रदान करता है और साथ ही उन पर अनधिकृत कब्ज़े को हटाने का भी प्रावधान करता है।
    • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1998:
      • यह अधिनियम राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिये एक प्राधिकरण के गठन तथा उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों से संबंधित प्रावधान प्रस्तुत करता है।

स्रोत: द हिंदू