शासन व्यवस्था
मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम एवं सड़क सुरक्षा
- 24 Sep 2019
- 18 min read
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम तथा उससे संबंधित मुद्दों का उल्लेख किया गया है। साथ ही सड़क सुरक्षा की चुनौती पर भी चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
आँकड़ों के अनुसार, पूरे भारत में वर्ष 2015 में सड़क दुर्घटना के कुल 5 लाख मामले दर्ज किये गए थे, जिनमें कुल 1.5 लाख लोगों की मृत्यु हुई थी। सड़क दुर्घटना से जुड़े ये आँकड़े काफी गंभीर हैं, क्योंकि इनसे स्पष्ट होता है कि भारत प्रत्येक वर्ष लापरवाही के कारण अपने उपयोगी मानव संसाधन का कुछ हिस्सा खो देता है। भारत में सड़क दुर्घटना के रोकथाम संबंधी नियमों को और कठोर बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 लागू किया गया था। इस अधिनियम के तहत नियमों के उल्लंघन के लिये कठोर आर्थिक दंड के प्रावधानों (जो कि 1 सितंबर से प्रभावी हुए थे) पर व्यापक सार्वजनिक प्रतिक्रिया आई एवं कई राज्यों ने जुर्माने की राशि को कम करने अथवा इसमें कटौती की भी घोषणा की है।
मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019
मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 को 1 सितंबर, 2019 से पूरे देश में लागू किया गया था। ज्ञातव्य है कि वर्ष 1988 के मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन कर इस अधिनियम को लाया गया था। अधिनियम में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के उद्देश्य से बेहद कठोर प्रावधान रखे गए हैं।
अधिनियम की मुख्य बातें
- सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को मुआवज़ा
अधिनियम में हिट एंड रन के मामलों में न्यूनतम मुआवज़े को (1) मृत्यु की स्थिति में 25,000 रुपए से बढ़ाकर 2,00,000 रुपए और (2) गंभीर चोटों की स्थिति में 12,500 से बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया है। साथ ही केंद्र सरकार ‘गोल्डन आवर’ के दौरान सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों का कैशलेस उपचार प्रदान करने की एक योजना भी विकसित करेगी।
‘गोल्डन आवर’ घातक चोट के बाद की एक घंटे की समयावधि होती है जब तत्काल मेडिकल देखभाल द्वारा मृत्यु से बचाव की संभावना सबसे अधिक होती है।
- अनिवार्य बीमा
इस अधिनियम में केंद्र सरकार के लिये यह अनिवार्य किया गया है कि वह सभी भारतीय सड़क प्रयोगकर्त्ताओं को बीमा कवर प्रदान करने के लिये मोटर वाहन दुर्घटना कोष की स्थापना करे।
- गुड समैरिटन (Good Samaritans)
अधिनियम के अनुसार, गुड समैरिटन वह व्यक्ति होता है जो किसी दुर्घटना के समय पीड़ित व्यक्ति को आपातकालीन चिकित्सा या गैर-चिकित्सा सहायता प्रदान करता है। अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि यदि सहायता करते हुए पीड़ित की मृत्यु हो जाए तब भी गुड समैरिटन किसी प्रकार की कार्रवाई के लिये उत्तरदायी नहीं होगा।
- वाहनों को रीकॉल करना
यह अधिनियम केंद्र सरकार को ऐसे मोटर वाहनों को रीकॉल (वापस लेने) करने का आदेश देने की अनुमति देता है, जिनमें कोई ऐसी खराबी हो जो कि पर्यावरण या ड्राइवर या सड़क का प्रयोग करने वालों को नुकसान पहुँचा सकती है।
- सड़क सुरक्षा बोर्ड
इस अधिनियम में एक सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन का भी प्रावधान किया गया है, जो केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के ज़रिये गठित किया जाएगा। यह बोर्ड सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबंधन के सभी पहलुओं पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देगा।
- अपराध और दंड
अधिनियम में विभिन्न अपराधों के लिये दंड को बढ़ाया गया है। उदाहरण के लिये शराब या ड्रग्स के नशे में वाहन चलाने पर अधिकतम दंड 2,000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए कर दिया गया है। अगर वाहन मैन्युफैक्चरर मोटर वाहनों के निर्माण या रखरखाव के मानदंडों का अनुपालन करने में असफल रहता है तो अधिकतम 100 करोड़ रुपए तक का दंड या एक वर्ष तक का कारावास या दोनों सज़ा दी जा सकती है। अगर कॉन्ट्रैक्टर सड़क के डिज़ाइन के मानदंडों का अनुपालन नहीं करता है तो उसे एक लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। साथ ही केंद्र सरकार अधिनियम में उल्लिखित जुर्माने को हर साल 10 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है।
अधिनियम पर राज्यों की प्रतिक्रिया
देश के कई राज्यों में अधिनियम के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं देखी गई है। कई राज्यों ने अधिनियम के प्रावधानों को अपने अनुसार बदलने का निर्णय लिया है। गुजरात ने जुर्माने में भारी कटौती की घोषणा की है, पश्चिम बंगाल ने इस भारी आर्थिक दंड को लागू करने से इनकार कर दिया है, कर्नाटक और केरल प्रावधानों को कम कठोर बनाने की संभावनाओं का अध्ययन कर रहे हैं, जबकि कई अन्य राज्य भी इस ओर सावधानी से कदम बढ़ा रहे हैं।
नए अधिनियम के समक्ष भी हैं चुनौतियाँ
- दुर्भाग्य से जो राज्य दुर्घटनाओं की सूची में सबसे ऊपर हैं, वे ही अपने राजनैतिक हितों को साधने के लिये इस अधिनियम के कार्यान्वयन से बच रहे हैं।
- हिट एंड रन के मामलों में मुआवज़े के भुगतान हेतु पहले से ही एक फंड मौजूद है, तो ऐसे में नए फंड की प्रासंगिकता नज़र नहीं आती।
- इस अधिनियम के कठोर आर्थिक दंड प्रावधानों पर कई लोगों का मानना है कि इससे देश में भ्रष्टाचार काफी बढ़ जाएगा।
- अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, राज्य सरकारें केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार टैक्सी चालकों को लाइसेंस जारी करेंगी, उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व राज्य सरकारें अपने क्षेत्राधिकार में इस प्रकार के नियम बनाती थीं। इस प्रकार की स्थिति में राज्य और केंद्र के मध्य टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- राज्यों को भी मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम के कारण अपनी शक्तियों के कम होने संबंधी चिंता है।
मोटर वाहन अधिनियम के प्रभाव
- इस अधिनियम के लागू होने के पश्चात् देश में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करना और उनसे आसानी से बचना अपेक्षाकृत मुश्किल हो गया है। विदित है कि इससे पूर्व नियमों की लोचशीलता के कारण लोग आसानी से बच जाते थे।
- अधिनियम में शराब पीकर गाड़ी चलाने अथवा एम्बुलेंस या फायर ब्रिगेड को रास्ता न देने पर 10000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। उम्मीद है कि कठोर आर्थिक दंड से इस प्रकार के मामलों में कमी आएगी।
- इसमें वाहन निर्माताओं, ड्राइवरों और टैक्सी चालकों के लिये कड़े नियमों का प्रावधान किया गया है, जिसका उद्देश्य सड़क उपयोगकर्त्ताओं व्यवहार को बदलना और सड़क सुरक्षा में सुधार करना है।
- अधिनियम में प्रावधान है कि यदि कोई नाबालिग नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है तो उसके अभिभावकों को दोषी माना जाएगा। इस कदम से देश में बच्चों संबंधी सड़क दुर्घटनाओं को काफी हद तक रोका जा सकेगा।
- भारत में कानूनों का लचीलापन एक बड़ी चुनौती है, जिसके कारण उनके कार्यान्वयन में बाधा आती है। यह अधिनियम भविष्य में बनने वाले सभी कानूनों के लिये एक उदाहरण होगा और कानून निर्माण को एक नई दिशा देगा।
- अधिनियम के लागू होने के पश्चात् के आँकड़े दर्शाते हैं कि देश की राजधानी दिल्ली में सीट बेल्ट लगाकर बस चलाने वाले लोगों की संख्या में 80.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
अधिनियम की आवश्यकता- सड़क सुरक्षा की चुनौती
- वर्ष 2000 से अब तक देश भर के सड़क नेटवर्क में कुल 39 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है, जबकि इसकी अपेक्षा इसी अवधि में देश के कुल पंजीकृत वाहनों की संख्या में 158 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह दर्शाता है कि देश में सड़क नेटवर्क का विस्तार काफी सीमित है, जबकि वाहनों की संख्या में काफी वृद्धि दर्ज की गई है, इसके कई घातक परिणाम भी देखने को मिले हैं।
- देश के राष्ट्रीय राजमार्गों में सड़क नेटवर्क का केवल 2 प्रतिशत हिस्सा ही शामिल है, जबकि यहाँ कुल 28 प्रतिशत सड़क दुर्घटना के मामले दर्ज किये गए हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय सड़क संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 12.5 लाख लोग प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं और इसमें भारत की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से ज़्यादा है।
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष भारत में सड़क दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट जारी की जाती है।
- भारत में वर्ष 2017 में हुई लगभग 4 लाख 60 हज़ार सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1 लाख 46 हज़ार लोग मारे गए, जो विश्व में किसी भी देश के मानव संसाधन का सर्वाधिक नुकसान है।
- इन दुर्घटनाओं में मारे जाने वालों में सबसे बड़ी संख्या दोपहिया वाहन चालकों की होती है, जिनमें से अधिकांश बिना हेलमेट के होते हैं।
- गंभीर सड़क दुर्घटनाओं के अधिकांश शिकार 18-45 वर्ष आयु के लोग होते हैं।
सड़क दुर्घटना का बड़ा कारण है ओवरस्पीडिंग
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आँकड़े बताते हैं कि वर्ष 2016 में हुए सड़क दुर्घटनाओं के कुल 130868 मामलों में से 57 प्रतिशत में ओवरस्पीडिंग मुख्य कारण था।
- इसके अलावा सड़क दुर्घटनाओं के लिये निम्नलिखित कारण भी गिनाए जाते हैं:
- शराब या ड्रग का प्रयोग करके गाड़ी चलाना
- हेलमेट का प्रयोग न करना
- सड़कों की बदहाली
- सड़क का खराब डिज़ाइन और इंजीनियरिंग
- सामग्री और निर्माण की खराब गुणवत्ता
सड़क सुरक्षा के प्रयास
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा में सुधार के लिये अब तक कई उल्लेखनीय कदम उठाए हैं:
- मंत्रालय ने राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति के तहत विभिन्न नीतिगत उपायों की रूपरेखा तैयार की है, जिसमें जागरूकता को बढ़ावा देना, सड़क सुरक्षा सूचना डेटाबेस की स्थापना, सुरक्षित सड़क हेतु बुनियादी ढाँचे को प्रोत्साहित करना और सुरक्षा कानूनों का प्रवर्तन आदि शामिल हैं।
- सड़क सुरक्षा के मामलों में नीतिगत निर्णय लेने के लिये सर्वोच्च निकाय के रूप में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद का गठन।
- सड़क सुरक्षा के बारे में बच्चों के बीच जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ‘स्वच्छ सफर’ और ‘सुरक्षित यात्रा’ नाम से दो कॉमिक बुक्स भी जारी की गई हैं।
- VAHAN और SARATHI नाम से दो एप भी शुरू किये गए हैं ताकि लाइसेंस और वाहन पंजीकरण जारी करने में होने वाले भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया जा सके।
- VAHAN - वाहन पंजीकरण सेवा को ऑनलाइन संचालित करने हेतु
- SARATHI - ड्राइविंग लाइसेंस हेतु आवेदन के लिये ऑनलाइन पोर्टल
- सेतु भारतम कार्यक्रम के तहत वर्ष 2019 तक भारत के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को रेलवे क्रॉसिंग से मुक्त किया जाएगा।
- सड़क सुरक्षा को एक गंभीर मुद्दा मानते हुए वर्ष 2015 में भारत ने ब्रासीलिया घोषणा (Brasilia Declaration) पर हस्ताक्षर किये थे और सड़क दुर्घटनाओं तथा मृत्यु दर को आधा करने के लिये प्रतिबद्धता ज़ाहिर की थी।
क्या है ब्रासीलिया घोषणा (Brasilia Declaration)
- ब्रासीलिया घोषणा पर ब्राज़ील में आयोजित सड़क सुरक्षा हेतु द्वितीय वैश्विक उच्च-स्तरीय सम्मेलन में हस्ताक्षर किये गए थे।
- इस घोषणा का उद्देश्य वर्ष 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं से वैश्विक मौतों और दुर्घटनाओं की संख्या को आधा करना है।
- संयुक्त राष्ट्र ने भी 2010-2020 को सड़क सुरक्षा के लिये कार्रवाई का दशक घोषित किया है।
ब्रासीलिया घोषणा की मुख्य बातें:
- हस्ताक्षर करने वाले सभी देशों को परिवहन के अधिक स्थायी साधनों जैसे कि पैदल चलना, साइकिल चलाना और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिये परिवहन नीतियों का निर्माण करना चाहिये।
- सभी सड़क उपयोगकर्त्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं:
- कानूनों और प्रवर्तन में सुधार।
- ढाँचागत परिवर्तनों के माध्यम से सड़कों को सुरक्षित बनाना।
- यह सुनिश्चित करना कि सभी वाहनों में जीवन रक्षक तकनीक उपलब्ध है।
आगे की राह
- संशोधित वाहन अधिनियम को प्रभावी रूप से लागू करने से निश्चित ही देश में सड़क दुर्घटना से मरने वाले लोगों की संख्या में कमी आएगी।
- अधिनियम के कार्यान्वयन में केंद्र व राज्य के मध्य टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है, जिसे दोनों पक्षों के मध्य उचित समन्वय के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है।
- राज्य सरकारों को अधिनियम के कार्यान्वयन में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिये।
- वाहन निर्माताओं को उत्कृष्ट तकनीक अपनानी चाहिये और सुरक्षा संबंधी सभी मानकों का प्रयोग करना चाहिये।
- अधिनियम की कठोरता को देखते हुए इसे सदैव ही समीक्षा के लिये खुला रखना चाहिये और इस संदर्भ में सभी पक्षों के विचार सुनने चाहिये।
- सरकारी वाहनों और विशेषाधिकार प्राप्त लोगों (VIPs) को सड़क नियमों की अनदेखी करने की अनुमति देने वाली दंडमुक्ति की संस्कृति को समाप्त करने की आवश्यकता है जिससे आम नागरिक को सड़क नियमों के पालन की प्रेरणा मिलेगी।
निष्कर्ष
वर्तमान मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 भारत में सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक मज़बूत पहल है, यदि इसे सही अर्थों में लागू किया जाता है, तो यह अधिनियम न केवल कठोर दंड देकर परिवहन व्यवहार को बदल सकता है, बल्कि नागरिकों के बीच ज़िम्मेदारी की भावना भी पैदा करने में मदद कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप असामयिक मौतों से होने वाली मानव संसाधन की क्षति को नियंत्रित किया जा सकता है।
प्रश्न :हाल ही में सरकार ने सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 लागू किया है। विश्लेषण कीजिये कि क्या यह अधिनियम भारत में सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध होगा?