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शासन व्यवस्था

भारत में सड़क दुर्घटनाएंँ

  • 10 Dec 2021
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सकल घरेलू उत्पाद, लोकसभा, 

मेन्स के लिये:

सड़क दुर्घटनाओं का प्रभाव एवं कारण, मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री (Minister of Road Transport and Highways) ने लोकसभा को एक लिखित उत्तर में भारत में सड़क दुर्घटना के कारण मौत की जानकारी साझा की है।

  • मंत्री द्वारा जानकारी दी गई है कि मंत्रालय ने स्वतंत्र सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों को शामिल करके सभी चरणों (डिजाइन चरण, निर्माण चरण और संचालन और प्रबंधन चरण) पर सड़क सुरक्षा ऑडिट के माध्यम से सड़क सुरक्षा में सुधार हेतु दिशानिर्देश जारी किये हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • सड़क दुर्घटनाएँ:
    • संबंधित डेटा:
      • वर्ष 2020 के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में राष्ट्रीय राजमार्गों (NH) पर 47,984 लोग मारे गए, जिनमें एक्सप्रेसवे भी शामिल हैं तथा वर्ष 2019 में 53,872 लोग मारे गए।
      • विश्व स्तर पर, सड़क दुर्घटनाओं में 1.3 मिलियन मौतें होती हैं और 50 मिलियन लोग घायल हुए हैं। इसमें से 11% मौते भारत में हुई है।
    • प्रमुख कारण:
      • राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में वाहन का डिज़ाइन और स्थिति, सड़क इंजीनियरिंग, तेज गति से और  शराब तथा नशीली दवाओं का सेवन कर वाहन चलाना, गलत दिशा में गाड़ी चलाना, लाल बत्ती का उलंघन, मोबाइल फोन का उपयोग आदि शामिल थे।
  • सड़क दुर्घटनाओं का प्रभाव:
    • आर्थिक:
      • वर्ष 2019 के लिये भारत की सड़क यातायात दुर्घटनाओं की सामाजिक-आर्थिक लागत 15.71 बिलियन अमेरिकी डाॅलर से 38.81 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के मध्य थी, जो सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) का 0.55–1.35% है।
    • सामाजिक:
      • परिवारों पर भार:
        • सड़क दुर्घटना तथा इससे होने वाली मृत्यु ने व्यक्तिगत स्तर पर जहाँ आर्थिक दृष्टि से मज़बूत परिवारों के गंभीर वित्तीय बोझ में वृद्धि की है वहीं उन परिवारों को कर्ज़ लेने के लिये बाध्य किया है जो पहले से ही गरीब हैं।
        • सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली मृत्यु की वजह से गरीब परिवारों की लगभग सात माह की घरेलू आय कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित परिवार गरीबी और कर्ज़ के चक्र में फँस जाता है।
      • संवेदनशील सड़क उपयोगकर्त्ता (VRUs):
        • संवेदनशील सड़क उपयोगकर्त्ता (Vulnerable Road Users- VRUs) वर्ग द्वारा दुर्घटनाओं के बड़े बोझ को सहन किया जाता है। देश में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों और गंभीर चोटों के कुल मामलों में से आधे से अधिक हिस्सेदारी VRUs वर्ग की है।
        • VRUs वर्ग में सामान्यत: गरीब विशेष रूप से कामकाज़ी उम्र के पुरुष जिनके द्वारा सड़क का उपयोग किया जाता  है, को शामिल किया जाता है।
          • अनौपचारिक क्षेत्र की गतिविधियों में आकस्मिक श्रमिकों के रूप में कार्यरत दैनिक वेतन पर कार्य करने वाले श्रमिक और कर्मचारी, नियमित गतिविधियों में लगे श्रमिकों की तुलना में सड़क दुर्घटना के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
        • भारत में जहाँ VRUs को अन्य कम कमज़ोर सड़क उपयोगकर्ताओं के साथ स्थान साझा करने के लिये मजबूर किया जाता है, इससे एक व्यक्ति के आय स्तर का उपयोग किये जाने वाले परिवहन के तरीके पर सीधा असर पड़ता है।
      • लिंग विशिष्ट प्रभाव:
        • पीड़ितों के परिवारों में महिलाएँ गरीब और अमीर दोनों घरों में समस्याओं का सामना करती हैं, अक्सर अतिरिक्त काम करती हैं, अधिक जिम्मेदारियां लेती हैं, और देखभाल करने वाली गतिविधियां करती हैं।
          • लगभग 50% महिलाएँ दुर्घटना के बाद अपनी घरेलू आय में गिरावट से गंभीर रूप से प्रभावित हुईं।
          • लगभग 40% महिलाओं ने दुर्घटना के बाद अपने काम करने के तरीके में बदलाव की सूचना दी, जबकि लगभग 11% ने वित्तीय संकट से निपटने के लिये अतिरिक्त काम करने की सूचना दी।
      • ग्रामीण नगरीय विभाजन:
        • कम आय वाले ग्रामीण परिवारों (56%) की आय में गिरावट निम्न-आय वाले शहरी (29.5%) और उच्च आय वाले ग्रामीण परिवारों (39.5%) की तुलना में सबसे गंभीर थी।
  • संबंधित पहल:
    • विश्व:
      • सड़क सुरक्षा पर ब्राज़ीलिया घोषणा (2015):
        • ब्राज़ील में आयोजित सड़क सुरक्षा पर दूसरे वैश्विक उच्च स्तरीय सम्मेलन में घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए। भारत घोषणापत्र का एक हस्ताक्षरकर्त्ता है।
        • देशों ने सतत् विकास लक्ष्य 3.6 यानी वर्ष 2030 तक सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली वैश्विक मौतों और दुर्घटनाओं की आधी संख्या हासिल करने की योजना बनाई है।
      • संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह:
        • यह प्रत्येक दो वर्ष में मनाया जाता है, इसके पाँचवें संस्करण (6-12 मई 2019 से आयोजित) में सड़क सुरक्षा के लिये मज़बूत नेतृत्व की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
      • अंतर्राष्ट्रीय सड़क मूल्यांकन कार्यक्रम (iRAP):
        • यह एक पंजीकृत चैरिटी है जो सुरक्षित सड़कों के माध्यम से लोगों की जान बचाने के लिये समर्पित है।
    • भारत:
      • मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019:
        • यह अधिनियम यातायात उल्लंघन, दोषपूर्ण वाहन, नाबलिकों द्वारा वाहन चलाने आदि के लिये दंड की मात्रा में वृद्धि करता है।
        • यह अधिनियम मोटर वाहन दुर्घटना हेतु निधि प्रदान करता है जो भारत में कुछ विशेष प्रकार की दुर्घटनाओं पर सभी सड़क उपयोगकर्त्ताओं को अनिवार्य बीमा कवरेज प्रदान करता है।
        • अधिनियम एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड को मंज़ूरी प्रदान करता है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा एक अधिसूचना के माध्यम से स्थापित किया  जाना है।
        • यह मदद करने वाले व्यक्तियों के संरक्षण का भी प्रावधान करता है। 
      • सड़क मार्ग द्वारा वहन अधिनियम, 2007: 
        • यह अधिनियम सामान्य माल वाहकों के विनियमन से संबंधित प्रावधान करता है, उनकी देयता को सीमित करता है और उन्हें वितरित किये गए माल के मूल्य की घोषणा करता है ताकि ऐसे सामानों के नुकसान, या क्षति के लिये उनकी देयता का निर्धारण किया जा सके, जो लापरवाही या आपराधिक कृत्यों के कारण स्वयं, उनके नौकरों या एजेंटों के कारण हुआ हो। 
      • राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि और यातायात) अधिनियम, 2000:
        • यह अधिनियम राष्ट्रीय राजमार्गों के भीतर भूमि का नियंत्रण, रास्ते का अधिकार और राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात का नियंत्रण करने संबंधी प्रावधान प्रदान करता है और साथ ही उन पर अनधिकृत कब्ज़े को हटाने का भी प्रावधान करता है।
      • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1998:
        • यह अधिनियम राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिये एक प्राधिकरण के गठन और उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों से संबंधित प्रावधान प्रस्तुत करता है।

आगे की राह

  • सड़कों की सुरक्षा को परिवहन के मुद्दे के बजाय सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे के रूप में देखा जाना चाहिये।
    • अब समाज में व्यवहार परिवर्तन पर ध्यान देने की ज़रूरत है। सड़क सुरक्षा से संबंधित चुनौती से मिशन मोड में निपटा जाना चाहिये।
  • सड़कों के डिज़ाइन के बारे में किसी भी कार्रवाई से पहले पूरी तरह से ऑडिट किया जाना चाहिये।
  • सड़क सुरक्षा को गतिशीलता के दृष्टिकोण से भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है; किस प्रकार एक बेहतर, तीव्र एवं सुरक्षित तरीके से माल को स्थानांतरित किया जा सकता है।
  • सड़क दुर्घटनाओं के संबंध में सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए समाज की संवेदनशील आबादी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
    • सड़क की डिज़ाइनिंग इस तरह से की जानी चाहिये कि सबसे संवेदनशील उपयोगकर्त्ता भी सुरक्षित हो और अंततः लोगों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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