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भारत में बढ़ती सड़क दुर्घटनाएँ

  • 04 Dec 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सड़क दुर्घटना में मृत्यु, सड़क सुरक्षा के लिये संयुक्त राष्ट्र दशक की कार्रवाई, स्टॉकहोम घोषणा, ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ (GBD) स्टडी, मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019, सड़क परिवहन अधिनियम, 2007, राष्ट्रीय राजमार्ग (भूमि और यातायात) अधिनियम, 2000, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1998, वैश्विक लक्ष्य 2030 को प्राप्त करने के लिये सड़क सुरक्षा पर तीसरा उच्च स्तरीय वैश्विक सम्मेलन

मेन्स के लिये:

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति, कारण और भारत में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के उपाय।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के आँकड़ों ने भारत की सड़क सुरक्षा चुनौतियों की गंभीरता को उज़ागर किया है, जिसमें वर्ष 2030 तक सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को 50% तक कम करने की सरकार की प्रतिबद्धता के बावजूद सड़क दुर्घटनाओं और मृत्यु दर में वृद्धि दर्शाई गई है

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • कुल दुर्घटनाएँ और मौतें: 
    • भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या विश्व स्तर पर सबसे अधिक है, यहाँ प्रति 10,000 किमी पर 250 मौतें होती हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका (57), चीन (119) और ऑस्ट्रेलिया (11) की तुलना में अधिक है।
    • वर्ष 2023 में भारत में 4.80 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज़ की गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप 1.72 लाख से अधिक मौतें हुईं, जो वर्ष 2022 में 1.68 लाख मौतों की तुलना में 2.6% की वृद्धि को दर्शाता है
    • वर्ष 2023 में लगभग 54,000 मौतें दोपहिया वाहन चालकों द्वारा हेलमेट न पहनने के कारण हुईं, 16,000 मौतें सीट बेल्ट का उपयोग न करने से संबंधित थीं, जबकि 12,000 मौतें वाहन में ओवरलोडिंग के कारण हुईं। 
      • इसके अतिरिक्त लगभग 34,000 दुर्घटनाओं में बिना वैध लाइसेंस वाले चालक शामिल थे।
  • दुर्घटना दर: 
    • वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में दुर्घटनाओं की संख्या में 4.2% की वृद्धि होगी।
    • औसतन, भारत में प्रतिदिन 1,317 सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं और 474 मौतें होती हैं, अर्थात हर घंटे 55 दुर्घटनाएँ और 20 मौतें होती हैं।
    • सड़क दुर्घटना की गंभीरता, जिसे प्रति 100 दुर्घटनाओं में मृत्यु दर के रूप में मापा जाता है, वर्ष 2022 में 36.5 से मामूली रूप से घटकर वर्ष 2023 में 36 हो गई।
  • जनसांख्यिकीय अंतर्दृष्टि:
    • वर्ष 2023 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में  10,000 नाबालिग और 35,000 पैदल यात्रियों की मृत्यु हुई।
    • पैदल यात्रियों और दोपहिया वाहन चालकों की मृत्यु दर क्रमशः 44.8% और 20% है।
  • क्षेत्रीय असमानताएँ:
    • भारत में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों की संख्या सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में है। 
      • वर्ष 2023 में, UP में 44,000 दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 23,650 मौतें हुईं, जिनमें 1,800 नाबालिग, 10,000 पैदल यात्री और दोपहिया वाहन उपयोगकर्त्ता शामिल थे। 
    • तेज गति से वाहन चलाने के कारण 8,726 लोगों की मृत्यु हुई।

Road_Accidents_in_India

भारत में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के क्या कारण हैं?

  • मानव व्यवहार: भारत में सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण मानवीय भूल है, विशेषकर लापरवाही से वाहन चलाना और तेज गति से वाहन चलाना।
    • वर्ष 2023 में 68.1% मौतों के लिये तेज़ गति ज़िम्मेदार थी।
    • इसके अतिरिक्त, यातायात नियमों का पालन न करने, जैसे हेलमेट न पहनना और सीट बेल्ट न लगाना, के कारण हज़ारों लोगों की मृत्यु हुई है।
  • बुनियादी ढाँचे की कमी: सड़क डिजाइन की खामियाँ, जैसे गड्ढे, उचित अंडरपास, फुट ओवरब्रिज की कमी और खराब रखरखाव वाली सड़कें दुर्घटनाओं में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं। 
  • दुर्घटना निगरानी प्रणाली का अभाव: भारत में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा डेटा प्रणालियाँ सार्वजनिक नीति को सूचित करने के लिये अपर्याप्त हैं। वर्तमान में, दुर्घटनाओं का पता लगाने के लिये दुर्घटना स्तर पर कोई राष्ट्रीय डेटाबेस नहीं है।
  • वाहन-संबंधी मुद्दे: वाहनों में अपर्याप्त सुरक्षा सुविधाएँ, जैसे निम्नस्तरीय इंजीनियरिंग और पुरानी तकनीक, भी उच्च मृत्यु दर में योगदान करती हैं। 
  • जागरूकता और प्रवर्तन का अभाव: हस्तक्षेप के बावजूद, भारत में सड़क सुरक्षा नियमों के प्रवर्तन में अभी भी महत्त्वपूर्ण अंतराल है। 
    • कई भारतीयों को एयरबैग, एँटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम और सीट बेल्ट के उचित उपयोग जैसी सुरक्षा सुविधाओं के महत्त्व के बारे में सीमित जानकारी है ।
    • यद्यपि जन जागरूकता अभियान जारी हैं, लेकिन वे सड़क सुरक्षा की सुसंगत संस्कृति विकसित करने में सक्षम नहीं हैं।

भारत में सड़क सुरक्षा के लिये क्या पहल की गई हैं?

  • सरकारी पहल:
  • सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप:
    • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अप्रैल 2014 में सड़क सुरक्षा पर तीन सदस्यीय न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन पैनल का गठन किया था, जिसने नशे में वाहन चलाने पर रोक लगाने के लिये राजमार्गों पर शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी।
      • इसने राज्यों को हेलमेट पहनने संबंधी कानून लागू करने का भी निर्देश दिया।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 में सड़क सुरक्षा के संबंध में कई निर्देश जारी किये थे, जिनमें राज्य सड़क सुरक्षा परिषद का गठन, सड़क सुरक्षा कोष, जिला सड़क सुरक्षा समिति का गठन और स्कूलों के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा शिक्षा को शामिल करना जैसे उपाय शामिल थे।
  • वैश्विक पहल:
    • सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया घोषणा (2015): इस घोषणा का उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goal- SDG) 3.6 को प्राप्त करना है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली वैश्विक मौतों और चोटों में 50% की कमी लाना है।
    • भारत ने इस पर वर्ष 2015 में हस्ताक्षर किये थे।
    • सड़क सुरक्षा के लिये कार्रवाई का दशक 2021-2030: सड़क सुरक्षा के लिये संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई का दूसरा दशक 2021-2030 सड़क सुरक्षा में सुधार हेतु वैश्विक संकल्प के माध्यम से वर्ष 2030 तक सड़क यातायात मौतों और चोटों को कम-से-कम 50% तक कम करने पर केंद्रित है।
    • वैश्विक योजना स्टॉकहोम घोषणा के अनुरूप है, जो सड़क सुरक्षा के लिये समग्र दृष्टिकोण के महत्त्व पर बल देती है।
  • ब्लूमबर्ग इनिशिएटिव फॉर ग्लोबल रोड सेफ्टी (BIGRS) 2020-2025: इस पहल का लक्ष्य सिद्ध, जीवन रक्षक उपायों की एक श्रृंखला को लागू करके निम्न और मध्यम आय वाले देशों और शहरों में सड़क यातायात से होने वाली मौतों और चोटों को कम करना है।

सड़क सुरक्षा पर सुंदर समिति की सिफारिशें

सुंदर समिति ने भारत में सड़क सुरक्षा में सुधार के लिये कई प्रमुख उपायों की सिफारिश की:

  • राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबंधन बोर्ड: संसदीय अधिनियम के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर एक सर्वोच्च निकाय का निर्माण, जिसमें सड़क इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, यातायात कानून और चिकित्सा देखभाल के विशेषज्ञ शामिल होंगे
  • राज्य सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबंधन बोर्ड: सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन पर स्थानीय प्राधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिये राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्तर पर समान बोर्डों की स्थापना।
  • राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा योजना: दुर्घटनाओं और मृत्यु दर को कम करने के लिये लक्ष्य, रणनीति तथा कार्रवाई के साथ एक व्यापक योजना का विकास।
  • दुर्घटना-पश्चात् देखभाल: आघात प्रबंधन में सुधार तथा डेटा संग्रहण और विश्लेषण के लिये राष्ट्रीय दुर्घटना डेटाबेस की स्थापना।
  • वित्तपोषण: डीजल और पेट्रोल से प्राप्त कुल उपकर में से 1% को सड़क सुरक्षा कोष हेतु निर्धारित किया जाए।

आगे की राह

  • सुरक्षित ड्राइविंग तकनीक: यातायात नियमों का पालन करना, सुरक्षित दूरी बनाए रखना तथा नियमित वाहन रखरखाव सुनिश्चित करना सड़क सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है। सुरक्षात्मक ड्राइविंग, चौराहों पर सावधानी एवं सड़क की स्थिति के अनुकूल होने से दुर्घटनाओं में काफी कमी आ सकती है।
    • ऑस्ट्रेलिया में तीन-सेकंड नियम के तहत आगे चल रहे वाहन से उचित दूरी बनाए रखने का सुझाव दिया जाता है ताकि सुरक्षित रूप से रुकने हेतु पर्याप्त समय मिल सके एवं पीछे से होने वाली टक्कर से बचा जा सके।
  • जागरूकता बढ़ाना एवं नियमों का प्रवर्तन: सड़क सुरक्षा पर व्यापक जन जागरूकता अभियान के साथ-साथ यातायात नियमों का उचित प्रवर्तन भी महत्त्वपूर्ण है।
    • मानकीकृत ड्राइविंग लाइसेंस, नियमों के उल्लंघन हेतु जुर्माना तथा यातायात कानूनों के बारे में लोगों की बेहतर समझ से सुरक्षित ड्राइविंग को सुनिश्चित किया जा सकेगा।
    • इसमें के.एस. राधाकृष्णन पैनल की सिफारिशों के अनुसार हेलमेट का अनिवार्य उपयोग, वाहन रखरखाव एवं राज्य सरकारों द्वारा नियमित सड़क सुरक्षा ऑडिट भी शामिल है।
  • बुनियादी ढाँचे में सुधार: सड़क के बुनियादी ढाँचे को उन्नत करना (जैसे गड्ढों को ठीक करना), यातायात संकेतों में सुधार करना एवं विभिन्न वाहनों हेतु अलग-अलग लेन बनाना आवश्यक है। 
    • वाहनों द्वारा वैश्विक सुरक्षा मानकों (जैसे कि यूरोपीय संघ द्वारा निर्धारित मानकों को) का अनुपालन किया जाए जिसमें आपातकालीन ब्रेकिंग प्रणाली जैसी उन्नत सुविधाएँ शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय डाटाबेस और प्रौद्योगिकी एकीकरण: सड़क दुर्घटनाओं की वास्तविक समय पर ट्रैकिंग के लिये राष्ट्रीय दुर्घटना डाटाबेस के साथ AI-संचालित यातायात निगरानी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने से डाटा-संचालित नीति-निर्माण एवं प्रवर्तन को बढ़ावा दिया जा सकता है।
  • सड़क सुरक्षा हस्तक्षेपों को प्राथमिकता देना: परिवहन, स्वास्थ्य एवं विधि प्रवर्तन क्षेत्रों में समन्वित दृष्टिकोण अपनाते हुए सड़क सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
  • राज्य सरकार की सक्रिय भूमिका: चूंकि अधिकांश सड़कें राज्य, ज़िला और ग्रामीण सड़कें हैं, इसलिये राज्य सरकारों को सड़क रखरखाव सुनिश्चित करने, यातायात नियमों को लागू करने एवं सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढाँचे में सुधार करने के साथ सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के क्रम में आघात देखभाल को महत्त्व देना चाहिये।

निष्कर्ष

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है जिसके लिये सरकार एवं आम लोगों को तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है। 4E - शिक्षा, इंजीनियरिंग (सड़कों और वाहनों की), नियम प्रवर्तन तथा आपातकालीन देखभाल को शामिल करते हुए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने से इसके मूल कारणों का समाधान किये जाने के साथ सड़क सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार किया जा सकता है। इन उपायों को प्राथमिकता देकर भारत में सड़क दुर्घटनाओं की उच्च दर को कम करने के साथ सभी के लिये सुरक्षित सड़क यातायात सुनिश्चित किया जा सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

Q. भारत में सड़क दुर्घटनाओं में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों पर चर्चा करते हुए सड़क यातायात की सुरक्षा में सुधार हेतु प्रभावी उपाय बताइये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न: राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति वाहनों के संचालन के बजाय लोगों को ले जाने पर केंद्रित है। इस संबंध में सरकार की विभिन्न रणनीतियों की सफलता की आलोचनात्मक विवेचना कीजिये। (2014)

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