भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत की गिग अर्थव्यवस्था का उदय और चुनौतियाँ
- 03 Dec 2024
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:गिग अर्थव्यवस्था, चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर, गिग वर्कर्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ई-श्रम पोर्टल, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना मेन्स के लिये:श्रम बाज़ार की गतिशीलता, सामाजिक सुरक्षा एवं श्रम कल्याण, भारत में गिग अर्थव्यवस्था का योगदान |
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
चर्चा में क्यों?
फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स के एक श्वेत पत्र के अनुसार, भारत की गिग अर्थव्यवस्था 17 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने का अनुमान है। जिससे यह वर्ष 2024 तक 455 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाने से इससे आर्थिक विकास एवं रोज़गार के अवसर सृजित होंगे।
गिग अर्थव्यवस्था क्या है?
- परिचय: गिग अर्थव्यवस्था से तात्पर्य ऐसे श्रम बाज़ार से है जिसमें अल्पकालिक एवं लचीली शर्तों वाले रोज़गार उपलब्ध होते हैं, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से सुलभ बनते हैं।
- इसमें पारंपरिक पूर्णकालिक रोज़गार अनुबंधों के बजाय अस्थायी या कार्य-दर-कार्य आधार पर सेवाएँ प्रदान करने वाले व्यक्ति या कंपनियाँ शामिल होती हैं।
- गिग अर्थव्यवस्था में गिग श्रमिकों (जिन्हें फ्रीलांसर भी कहा जाता है) को उनके द्वारा पूरे किये गए प्रत्येक कार्य या गिग के लिये भुगतान किया जाता है।
- लोकप्रिय गिग गतिविधियों में फ्रीलांस कार्य, खाद्य वितरण सेवाएँ एवं फ्रीलांस डिजिटल कार्य शामिल होते हैं।
- प्रमुख विशेषताएँ: गिग अर्थव्यवस्था में लचीलापन होने से श्रमिकों को अपना कार्यक्रम और कार्य स्थान चुनने की सुविधा मिलती है।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म से सेवा प्रदाता एवं उपभोक्ता अल्पकालिक तथा कार्य-आधारित कार्यों हेतु आपस में जुड़ते हैं।
- गिग अर्थव्यवस्था का परिप्रेक्ष्य:
- गिग वर्कर्स के लिये: गिग वर्क विविध अवसर प्रदान करता है, तथा व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक जीवन में संतुलन निर्माण की क्षमता प्रदान करता है, जिससे विशेष रूप से श्रम बाज़ार में महिलाओं को लाभ होता है।
- इससे कौशल संवर्द्धन संभव हो पाता है, तथा श्रमिक विभिन्न कार्य करने में सक्षम हो पाते हैं, जिससे उनकी विशेषज्ञता का विस्तार होता है तथा आय की संभावना में वृद्धि होती है।
- व्यवसायों के लिये: कंपनियों को लागत प्रभावी श्रम का लाभ मिलता है, तथा मांग के आधार पर आवश्यकतानुसार कार्यबल का विस्तार करने की क्षमता होती है।
- गिग कार्य व्यवसायों को अल्पकालिक परियोजनाओं के लिये विशिष्ट कौशल वाले श्रमिकों का चयन करने में सक्षम बनाता है, जिससे दीर्घकालिक प्रतिबद्धताओं के बिना उत्पादकता को अनुकूलित किया जा सकता है।
- गिग वर्कर्स के लिये: गिग वर्क विविध अवसर प्रदान करता है, तथा व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक जीवन में संतुलन निर्माण की क्षमता प्रदान करता है, जिससे विशेष रूप से श्रम बाज़ार में महिलाओं को लाभ होता है।
भारत में गिग अर्थव्यवस्था की स्थिति क्या है?
- बाज़ार का आकार: भारत में गिग अर्थव्यवस्था का तेज़ी से विस्तार हो रहा है। वर्ष 2020-21 में लगभग 7.7 मिलियन गिग वर्कर थे, जिनके वर्ष 2029-30 तक बढ़कर 23.5 मिलियन होने का अनुमान है।
- इस क्षेत्र में निम्न, मध्यम और उच्च-कुशल रोज़गारों का मिश्रण शामिल है, जिसमें मध्यम-कुशल भूमिकाओं का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा शामिल है।
- गिग अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने वाले प्रमुख क्षेत्रों में ई-कॉमर्स, परिवहन और वितरण सेवाएँ शामिल हैं, जो सभी लचीली कार्य व्यवस्था की बढ़ती मांग से लाभान्वित हो रहे हैं।
- प्रेरक कारक:
- डिजिटल भेदन: भारत में 936 मिलियन से ज़्यादा इंटरनेट ग्राहक हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है। इंटरनेट की यह व्यापक पहुँच गिग अर्थव्यवस्था के लिये एक मज़बूत आधार प्रदान करती है।
- लगभग 650 मिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्त्ता, स्मार्टफोन की घटती कीमतों के कारण यह निम्न आय वर्ग के लिये भी सुलभ हो रहा है, जिससे इंटरनेट का उपयोग बढ़ रहा है।
- स्टार्टअप और ई-कॉमर्स विकास: स्टार्टअप और ई-कॉमर्स के उदय के लिये सामग्री निर्माण, विपणन, लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी के लिये लचीले श्रमिकों की आवश्यकता होती है, जिससे गिग अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा मिलता है।
- सुविधा के लिये उपभोक्ताओं की मांग: शहरी क्षेत्रों में खाद्य वितरण और ई-कॉमर्स जैसी त्वरित सेवाओं की बढ़ती मांग वितरण और ग्राहक सेवा भूमिकाओं में गिग श्रमिकों के लिये अवसर उत्पन्न करती है।
- कम लागत वाला श्रम: औपचारिक रोज़गार के अवसरों की कमी के कारण गिग कार्य करने के लिये तैयार अर्द्ध-कुशल और अकुशल श्रमिकों का एक बड़ा समूह, प्लेटफॉर्मों को कम मज़दूरी और खराब कार्य स्थितियों की पेशकश करने की अनुमति देता है।
- उच्च बेरोज़गारी, अल्परोज़गार, आय असमानताएँ, बढ़ती जीवन लागत और सीमित सामाजिक सुरक्षा के कारण लोग जीवित रहने और विकास की रणनीति के रूप में गिग कार्य की ओर अग्रसर हैं।
- बदलती कार्य संबंधी प्राथमिकताएँ: युवा पीढ़ी कार्य-जीवन संतुलन और लचीलेपन को प्राथमिकता देती है, तथा ऐसे गिग कार्य को चुनती है जिसमें परियोजना चयन, कम के घंटों में लचीलापन और दूर से कार्य करने की सुविधा होती है।
- डिजिटल भेदन: भारत में 936 मिलियन से ज़्यादा इंटरनेट ग्राहक हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है। इंटरनेट की यह व्यापक पहुँच गिग अर्थव्यवस्था के लिये एक मज़बूत आधार प्रदान करती है।
भारत में रोज़गार सृजन में गिग अर्थव्यवस्था की क्या भूमिका है?
- वर्ष 2030 तक गिग अर्थव्यवस्था द्वारा भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 1.25% का योगदान करने तथा दीर्घावधि में लगभग 90 मिलियन नौकरियाँ सृजित करने की उम्मीद है।
- वर्ष 2030 तक गिग श्रमिकों की संख्या कुल कार्यबल का 4.1% हो जाने की उम्मीद है, जो भारत के श्रम बाज़ार का एक महत्त्वपूर्ण खंड बन जाएगा।
- गिग अर्थव्यवस्था श्रमिकों के लिये वैकल्पिक आय स्रोत उपलब्ध कराती है, विशेष रूप से टियर-II और टियर-III शहरों में, जहाँ विकास तेज़ी से हो रहा है।
- महिलाओं को आय के बढ़े हुए अवसरों से लाभ मिलेगा, जिससे उन्हें अधिक वित्तीय स्वतंत्रता और कार्यबल एकीकरण प्राप्त होगा।
- प्रारंभ में गिग अर्थव्यवस्था में उच्च आय वाले लोगों और सलाहकारों का प्रभुत्व था, लेकिन अब गिग कार्य प्रवेश स्तर के श्रमिकों और लचीले कार्य विकल्पों और कौशल विकास की चाह रखने वाले नए लोगों के बीच तेज़ी से लोकप्रिय हो गया है।
- गिग अर्थव्यवस्था ज़रोज़गार सृजन और आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक बनने के लिये तैयार है, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), पूर्वानुमान विश्लेषण और डिजिटल नवाचार के एकीकरण के माध्यम से।
भारत में गिग श्रमिकों के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?
- नौकरी की असुरक्षा: काम में स्थिरता की कमी एक बड़ी चिंता है, 20% असंतुष्ट गिग श्रमिक इसे सबसे बड़ा मुद्दा मानते हैं। यह अकुशल श्रमिकों के बीच विशेष रूप से प्रमुख है, 30% से अधिक लोगों ने इसे अपनी नौकरी का सबसे महत्त्वपूर्ण चालक बताया है। सुरक्षा गार्ड जैसे श्रमिकों को अनियमित आय के कारण वित्तीय अस्थिरता का सामना करना पड़ता है।
- आय में अस्थिरता: आय अप्रत्याशित होती है, जो मांग, प्रतिस्पर्द्धा और मौसमी प्रवृत्तियों पर निर्भर होती है, जिससे वित्तीय योजना बनाना कठिन हो जाता है और ऋण या क्रेडिट तक पहुँच सीमित हो जाती है।
- विनियामक अंतराल: एक व्यापक कानूनी और विनियामक ढाँचे का अभाव, जिससे गिग श्रमिकों को उचित वेतन, अधिकारों या कार्य स्थितियों के संरक्षण के बिना शोषण का सामना करना पड़ता है।
- गिग श्रमिक प्रायः स्वयं को संगठित और असंगठित श्रम के बीच एक ग्रे जोन में आते हैं, जिससे स्वास्थ्य देखभाल, पेंशन और बीमा जैसे लाभों तक उनकी पहुँच सीमित हो जाती है।
- समय पर भुगतान: 25% से अधिक गिग श्रमिक विलंबित भुगतान के कारण असंतोष का सामना करते हैं, जिससे वित्तीय तनाव से बचने के लिये समय पर, पारदर्शी और छोटे भुगतान चक्र की आवश्यकता पर बल मिलता है।
- सीखना और व्यक्तित्व विकास: गिग श्रमिक, विशेष रूप से एम्बिशस हसलर्स और अर्न टू बर्न, कौशल निर्माण के अवसरों की कमी की रिपोर्ट करते हैं, और ऐसी नौकरियों की इच्छा व्यक्त करते हैं जो उनके कॅरियर को आगे बढ़ाने में मदद करें।
भारत में गिग वर्कर्स से संबंधित भारत की पहल
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: यह अधिनियम गिग वर्कर्स को एक अलग श्रेणी के रूप में मान्यता देता है और उन्हें सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने की परिकल्पना करता है।
- हालाँकि विशिष्ट नियमों और कार्यान्वयन विवरण को अभी भी अलग-अलग राज्यों द्वारा अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
- ई-श्रम पोर्टल
- प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना
- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMSBY)
- राज्य स्तरीय पहल:
- राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण एवं कल्याण) अधिनियम, 2023।
- गिग वर्कर्स पर कर्नाटक का विधेयक: यह विधेयक औपचारिक पंजीकरण, शिकायत तंत्र और पारदर्शी अनुबंधों को अनिवार्य बनाता है, हालाँकि इसमें गिग वर्कर्स को स्वतंत्र ठेकेदारों के रूप में वर्गीकृत करने जैसे मुद्दे हैं, जो उन्हें प्रमुख श्रम सुरक्षा से बाहर रखता है।
आगे की राह
- कानूनी सुधार: भारत कैलिफोर्निया और नीदरलैंड जैसे देशों से प्रेरणा ले सकता है, जिन्होंने गिग श्रमिकों को कर्मचारियों के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें न्यूनतम मज़दूरी, विनियमित कार्य घंटे और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच जैसी सुरक्षा प्राप्त हो।
- पोर्टेबल लाभ प्रणाली: एक पोर्टेबल लाभ प्रणाली, जहाँ श्रमिक अपने नियोक्ता की परवाह किये बिना स्वास्थ्य बीमा, सेवानिवृत्ति योजनाओं और बेरोज़गारी लाभों तक पहुँच सकते हैं, गिग श्रमिकों के कल्याण में महत्त्वपूर्ण सुधार करेगी।
- अमेज़न, फ्लिपकार्ट, ज़ोमैटो और स्विगी जैसी कंपनियाँ सुरक्षा गियर, आराम करने की जगह और पानी की सुविधा के साथ कामगारों की स्थिति में सुधार कर रही हैं। कल्याण पर निरंतर ध्यान देने से एक स्थायी गिग अर्थव्यवस्था सुनिश्चित होगी।
- प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान: एक मज़बूत फीडबैक तंत्र लागू किया जाना चाहिये, जिससे गिग श्रमिकों को प्लेटफार्मों द्वारा शोषण या भेदभाव से संबंधित मुद्दों की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाया जा सके, ताकि एक अधिक न्यायसंगत वातावरण बनाया जा सके।
- कौशल विकास और कौशल उन्नयन: कौशल निर्माण पहलों को बढ़ावा देना तथा व्यावसायिक संस्थानों के साथ सहयोग करना, ताकि गिग श्रमिकों को उच्च वेतन वाली नौकरियों एवं उद्यमशील उपक्रमों में जाने के लिये आवश्यक कौशल से लैस किया जा सके।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत में बेरोज़गारी को दूर करने में गिग अर्थव्यवस्था की भूमिका का आकलन कीजिये। गिग वर्कर्स के कल्याण को बढ़ाने के लिये सरकारी नीतियों में कैसे सुधार किया जा सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्सप्रश्न: भारत में महिलाओं के सशक्तीकरण की प्रक्रिया में 'गिग इकॉनमी’ की भूमिका का परीक्षण कीजिये। (2021) |