गैर-निवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार | 07 Dec 2020

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India- ECI) ने कानून और न्याय मंत्रालय को सूचित किया है कि वह अगले वर्ष असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुद्दुचेरी में होने वाले चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित पोस्टल बैलट सिस्टम (ETPBS) का प्रयोग गैर-निवासी भारतीय (NRI) के लिये करने हेतु "तकनीकी और प्रशासनिक रूप से तैयार है"।

प्रमुख बिंदु:

पृष्ठभूमि:

  • वर्ष 2013 और 2014 में ECI ने कई सांसदों, उद्योगपतियों, मंत्रियों के अनुरोध करने और सर्वोच्च न्यायालय (SC) में गैर-निवासी भारतीयों द्वारा याचिका दायर करने के बाद संभावित विकल्पों की तलाश शुरू कर दी थी।
  • वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद मुख्य रूप से तीन विकल्पों का अध्ययन करने के लिये एक 12 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था:
    • डाक द्वारा मतदान।
    • विदेशों में भारतीय मिशनों पर मतदान
    • ऑनलाइन वोटिंग।
  • समिति ने ऑनलाइन मतदान से इनकार कर दिया। इसके पीछे उनका मत था कि यह "मतदान की गोपनीयता" को खत्म कर सकता है, इसके अलावा पर्याप्त संसाधनों के अभाव के कारण विदेशों में भारतीय मिशनों पर मतदान करने के प्रस्ताव को भी रद्द कर दिया।
  • वर्ष 2015 में पैनल ने समिति से सिफारिश की कि NRIs को व्यक्तिगत रूप से मतदान के अलावा "ई-पोस्टल बैलट और प्रॉक्सी वोटिंग जैसे अतिरिक्त वैकल्पिक विकल्प" दिये जाएँ।
    • प्रॉक्सी वोटिंग के तहत एक पंजीकृत मतदाता अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग एक प्रतिनिधि के माध्यम से कर सकता है।
    • वर्तमान में भारत में रहने वाले मतदाताओं (सेवा मतदाता) की कुछ श्रेणियों के लिये डाक मतपत्रों की अनुमति है, जिसमें शामिल हैं:
      • सशस्त्र बलों के सदस्य।
      • किसी राज्य के सशस्त्र पुलिस बल के सदस्य, जो उस राज्य के बाहर सेवारत हैं।
      • भारत सरकार के अधीन किसी पद पर भारत के बाहर कार्यरत व्यक्ति।
  • वर्ष 2017 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने NRIs के लिये प्रॉक्सी वोटिंग अधिकारों पर प्रस्ताव पारित किया और जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 में संशोधन के लिये एक विधेयक लाया गया।
  • हालाँकि 16वीं लोकसभा के विघटन होने के कारण यह बिल राज्यसभा में निरस्त हो गया और इस प्रस्ताव को दोबारा नहीं लाया गया।
    • ECI ने गैर-निवासी भारतीयों के लिये प्रॉक्सी वोटिंग के बजाय केवल पोस्टल मतदान के अधिकार पर ज़ोर दिया।
    • विदेशी मतदाताओं को पोस्टल मतदान की सुविधा प्रदान करने के लिये सरकार को केवल चुनाव नियम, 1961 में संशोधन करने की आवश्यकता है। इसके लिये संसद की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

 NRIs के लिये वर्तमान मतदान प्रक्रिया:

  • NRIs के लिये मतदान का अधिकार जनप्रतिनिधित्व कानून, 1950 में संशोधन के माध्यम से वर्ष 2011 में पुरःस्थापित किया गया था।
  • एक NRIs पासपोर्ट में उल्लेखित अपने निवास स्थान के निर्वाचन क्षेत्र में मतदान कर सकता है।
  • वह केवल व्यक्तिगत रूप से मतदान कर सकता है और मतदान केंद्र पर अपनी  पहचान सिद्ध करने के लिये उसे अपने पासपोर्ट की मूल प्रति उपलब्ध करानी होगी।

NRIs मतदाताओं के पास वर्तमान शक्ति:

  • संयुक्त राष्ट्र की वर्ष 2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की प्रवासी आबादी विश्व में सबसे ज़्यादा (16 मिलियन) है।
    • यद्यपि भारत में मतदाताओं के रूप में पंजीकृत एक लाख से कुछ ही अधिक प्रवासी भारतीयों के साथ NRI मतदाताओं का पंजीकरण बहुत कम है।
  • वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में उनमें से लगभग 25,000 लोग मतदान करने के लिये भारत आए।

पोस्टल बैलेट द्वारा मतदान की प्रक्रिया:

  • पोस्टल बैलेट के माध्यम से मतदान में रुचि रखने वाले किसी भी NRI को चुनाव की अधिसूचना के पाँच दिन के अंदर मतदान के बारे में निर्वाचन अधिकारी (Returning Officer-RO) को सूचित करना होगा।
    • संसदीय या विधानसभा क्षेत्र का RO संसदीय या विधानसभा क्षेत्र में चुनाव के संचालन के लिये ज़िम्मेदार होता है।
  • इस तरह की सूचना प्राप्त करने के बाद RO इलेक्ट्रॉनिक रूप से बैलेट पेपर भेजेगा
  • NRI मतदाता बैलेट पेपर का प्रिंटआउट लेकर उस पर अपनी पसंद को चिह्नित करेंगे और इसे देश के राजनयिक या कांसुलर प्रतिनिधि द्वारा नियुक्त एक अधिकारी द्वारा सत्यापित घोषणा पत्र के साथ वहाँ भेज दिया जाएगा जहाँ का वह NRI निवासी है।

राजनीतिक पक्ष:

  • समिति ने राष्ट्रीय राजनीतिक दलों और विदेश मंत्रालय (MEA) से NRIs के संबंध में विदेश में वोट डालने के लिये विचार किये जा रहे विकल्पों पर सलाह ली थी।
  • राजनीतिक दलों में केवल एनसीपी ने पूर्ण समर्थन व्यक्त किया है और बीएसपी, भाजपा तथा सीपीआई के अनुसार, समय की कमी के कारण डाक मतपत्र एक व्यवहार्य विकल्प नहीं था। काॅन्ग्रेस पोस्टल बैलेट को इलेक्ट्रॉनिक रूप में भेजने के पक्ष में नहीं थी।

गैर- निवासी भारतीय (Non Resident Indian- NRI)

  • ‘अनिवासी भारतीय’ (Non-Resident Indian-NRI) का अर्थ ऐसे नागरिकों से है जो भारत के बाहर रहते हैं और भारत के नागरिक हैं या जो नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7(A) के दायरे में ‘विदेशी भारतीय नागरिक’ कार्डधारक हैं। 
  • आयकर अधिनियम के अनुसार, कोई भी भारतीय नागरिक जो "भारत के निवासी" के रूप में मानदंडों को पूरा नहीं करता है, वह भारत का निवासी नहीं है और उसे आयकर देने के लिये अनिवासी भारतीय माना जाता है।
  • ध्यातव्य है कि 1 फरवरी, 2020 को प्रस्तुत बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आवासीय स्थिति (Residential Status) के आधार पर व्यक्तियों की कर-क्षमता का निर्धारण करने के लिये मापदंड और अवधि को संशोधित किया था। 
    • संशोधित नियमों के अनुसार, एक व्यक्ति को तब भारत का साधारण निवासी (Resident) माना जाएगा, जब वह पिछले वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 120 दिनों के लिये भारत में रहा हो, यह अवधि पूर्व में 182 दिन थी। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस