संवहनीय खपत और उत्पादन: एसडीजी 12 | 08 Sep 2021
प्रिलिम्स के लिये:वैश्विक खाद्य अपशिष्ट, सतत् विकास लक्ष्य, पारिस्थितिक पदचिह्न, प्लास्टिक अपशिष्ट मेन्स के लिये:सतत् विकास लक्ष्यों का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 12 के मामले में विश्व में भारत की प्रगति काफी उचित गति से हुई है लेकिन यह प्रगति संतोषजनक नहीं है।
- सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 12 का उद्देश्य विश्व में हर जगह संवहनीय/सतत् खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना है।
- सतत् खपत और उत्पादन से तात्पर्य "सेवाओं एवं संबंधित उत्पादों के उपयोग से है, जो बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के साथ जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाते हैं तथा प्राकृतिक संसाधनों और भावी पीढ़ियों की ज़रूरतों को खतरे में न डालते हुए विषाक्त पदार्थों के उपयोग में कमी के साथ-साथ जीवन चक्र पर अपशिष्ट और प्रदूषकों के उत्सर्जन के प्रभाव को कम करते हैं।
प्रमुख बिंदु
- SDG 12 के बारे में:
- प्रति व्यक्ति वैश्विक खाद्य अपशिष्ट को आधा करना और वर्ष 2030 तक प्राकृतिक संसाधनों के कुशल और टिकाऊ उपयोग को सुनिश्चित करना।
- प्रदूषण को समाप्त करना, समग्र अपशिष्ट उत्पादन को कम करना और रसायनों एवं ज़हरीले कचरे के प्रबंधन में सुधार करना।
- हरित बुनियादी ढांँचे और प्रथाओं को व्यवहार में लाने के लिये कंपनियों के बीच तालमेल का समर्थन करना।
- यह सुनिश्चित करना कि हर जगह हर किसी को प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के तरीकों से पूरी तरह से अवगत कराया जाए और अंततः उद्देश्यपूर्ण तरीकों को अपनाया जाए।
- भारत की स्थिति:
- लाइफस्टाइल मैटेरियल फुटप्रिंट:
- यह हमारी जीवनशैली से उत्पन्न संसाधन खपत की मात्रा को मापता है।
- वर्ष 2015 के आँकड़ों के अनुसार, भारत की औसत ‘लाइफस्टाइल मैटेरियल फुटप्रिंट’ लगभग 8,400 किलोग्राम प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति है, जो कि प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति 8,000 किलोग्राम के स्थायी ‘लाइफस्टाइल मैटेरियल फुटप्रिंट’ की तुलना में काफी हद तक स्वीकार्य है।
- भोजन की बर्बादी:
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष लगभग 50 किलोग्राम भोजन बर्बाद होता है।
- शेष नौ वर्षों (2030) में निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि किये बिना खाद्य अपशिष्ट या भोजन की बर्बादी को आधा करने के लक्ष्य को प्राप्त करना असंभव प्रतीत होता है।
- मंदी के दौरान ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, भूख, प्रदूषण और धन की बचत पर खाद्य अपशिष्ट में कमी का महत्त्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है।
- पीढ़ी का नुकसान:
- संयुक्त रूप से चीन और भारत की जनसंख्या वैश्विक जनसंख्या का 36% है, लेकिन यह वैश्विक नगरपालिका अपशिष्ट का केवल 27% उत्पन्न करती है।
- जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका की आबादी वैश्विक आबादी का केवल 4% है और यह 12% कचरे का उत्पादन करती है।
- संयुक्त रूप से चीन और भारत की जनसंख्या वैश्विक जनसंख्या का 36% है, लेकिन यह वैश्विक नगरपालिका अपशिष्ट का केवल 27% उत्पन्न करती है।
- प्लास्टिक अपशिष्ट:
- वर्ष 2018 के आँकड़ों के अनुसार, भारत का ‘प्लास्टिक नीति सूचकांक’ राष्ट्रीय आवश्यकता से काफी नीचे है, लेकिन यह अंतर चीन की तुलना में काफी कम है।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, भारत में एक दिन में करीब 26,000 टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है जबकि एक दिन में 10,000 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा एकत्र नहीं हो पाता है।
- भारत की प्रति व्यक्ति प्लास्टिक खपत 11 किलो से कम है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका (109 किलो) का लगभग दसवाँ हिस्सा है।
- पुनर्चक्रण दर:
- वर्ष 2019 में भारत की घरेलू रीसाइक्लिंग दर लगभग 30% थी और निकट भविष्य में इसमें सुधार होने की उम्मीद है।
- भारत अगले 10 वर्षों में आत्मनिर्भरता की स्थिति प्राप्त कर सकता है यदि राष्ट्रीय पुनर्चक्रण नीति को ठीक से लागू किया जाए तथा पुनर्चक्रण उद्योगों में स्क्रैप देखभाल तकनीकों को स्थानांतरित किया जाए।
- जीवाश्म ईंधन सब्सिडी:
- वर्ष 2020 में सरकार ने अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.2% जीवाश्म ईंधन पर खर्च किया जो वर्ष 2019 की तुलना में थोड़ा अधिक है।
- वर्ष 2019 में जीवाश्म ईंधन सब्सिडी में वृद्धि हुई थी जो वैकल्पिक ऊर्जा सब्सिडी से सात गुना अधिक थी।
- वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2017 में अक्षय ऊर्जा सब्सिडी में काफी वृद्धि हुई और कुल मात्रा में ऊर्जा सब्सिडी में भारी मात्रा में गिरावट आई।
- लेकिन वर्ष 2017 के बाद कुल ऊर्जा सब्सिडी में मामूली वृद्धि हुई है।
- जबकि अक्षय ऊर्जा सब्सिडी में वृद्धि सराहनीय है, इस क्षेत्र में अधिक संसाधनों को स्थानांतरित करने और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने की आवश्यकता है।
- सतत् पर्यटन:
- स्थायी अथवा सतत् पर्यटन (Sustainable Tourism) में आगंतुकों, उद्योग, पर्यावरण तथा मेज़बान समुदायों की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए वर्तमान एवं भविष्य के आर्थिक, सामाजिक तथा पर्यावरणीय प्रभावों का पूरा ध्यान रखा जाता है।
- यह पर्यटन का कोई विशेष रूप नहीं है बल्कि इसमें पर्यटन के सभी प्रकारों को और अधिक सतत् बनाने का प्रयास किया जाता है।
- कुमारकोम (केरल) में 'ज़िम्मेदार पर्यटन' की परियोजना स्थानीय समुदाय को आतिथ्य उद्योग से जोड़कर और पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन को बनाए रखने में मदद करती है।
- हिमाचल प्रदेश ने प्राकृतिक, आरामदायक और बजट के अनुकूल आवास एवं भोजन के साथ पर्यटकों को ग्रामीण क्षेत्रों में आकर्षित करने के लिये एक 'होमस्टे योजना (Homestay Scheme)' शुरू की है।
- नीति आयोग के SDG डैशबोर्ड 2020-21 के अनुसार, भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर एवं नगालैंड SDG-12 के संबंध में अब तक शीर्ष प्रदर्शन कर रहे हैं।
- पर्यावरण शिक्षा:
- भारत सरकार ने 1960 के दशक में औपचारिक पाठ्यक्रम में पर्यावरण शिक्षा को अनिवार्य घटक के रूप में शामिल किया।
- लाइफस्टाइल मैटेरियल फुटप्रिंट: