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फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2021: यूएनईपी

  • 06 Mar 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) ने फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट (Food Waste Index Report), 2021 जारी की।

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में खाने के लिये उपलब्ध भोजन का 17% (घरों में 11%, खाद्य सेवा में 5% और खुदरा क्षेत्र में 2%) बर्बाद हो गया और लगभग 69 करोड़ लोगों को खाली पेट सोना पड़ा था।

प्रमुख बिंदु

फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट के विषय में:

  • इस रिपोर्ट में वैश्विक खाद्य अपव्यय का सबसे व्यापक और विश्लेषित डेटा प्रस्तुत होता है।
  • यह देशों के लिये घरेलू खाद्य सेवा और खुदरा स्तर पर खाद्य अपशिष्ट को मापने हेतु एक पद्धति भी प्रकाशित करता है।
  • फूड लॉस इंडेक्स (Food Loss Index) के विपरीत फूड वेस्ट इंडेक्स कुल खाद्य अपशिष्ट (विशिष्ट वस्तुओं से जुड़े नुकसान या कचरे के बजाय) को मापता है।

परिणाम:

  • खाद्य अपव्यय:
    • इस रिपोर्ट का अनुमान है कि वर्ष 2019 में लगभग 931 मिलियन टन खाद्य अपशिष्ट उत्पन्न हुआ था।
    • जिसमें से 61% घरों से, 26% खाद्य सेवा से और 13% खुदरा स्तर पर उत्पन्न हुआ।
  • सभी आय वर्ग द्वारा अपव्यय:
    • खाद्य अपव्यय निम्न, मध्यम और उच्च सभी प्रकार की आय वाले देशों में पाया जाता है।
    • ऑस्ट्रिया जैसे विकसित देश 39 किलोग्राम/प्रति व्यक्ति/वर्ष खाद्य अपव्यय करते हैं। दूसरी ओर नाइज़ीरिया जैसे देश 189 किलोग्राम/प्रति व्यक्ति/वर्ष खाद्य अपव्यय किया जा रहा है। भारत 50 किलोग्राम/प्रति व्यक्ति/वर्ष खाद्य अपव्यय करता है।
    • यह पूर्व की उस धारणा के विपरीत है, जिसके तहत माना जाता था कि विकसित देशों में उपभोक्ता खाद्य की बर्बादी अधिक होती है और विकासशील देशों में खाद्य उत्पादन, भंडारण एवं परिवहन नुकसान अधिक होता है।
  • डेटा उपलब्धता का अभाव:
    • वर्तमान में वैश्विक खाद्य अपव्यय डेटा की उपलब्धता कम है और इसे मापने का दृष्टिकोण भी अत्यधिक परिवर्तनशील है।

खाद्य अपव्यय में कमी का महत्त्व:

  • भूख में कमी: खाद्य अपव्यय में कमी से भूमि रूपांतरण और प्रदूषण के माध्यम से प्रकृति का विनाश को रोका जा सकता है, भोजन की उपलब्धता बढ़ सकती है तथा इस वैश्विक मंदी के समय भूख को कम कर पैसा बचाया जा सकता है।
  • SDGs के साथ संरेखित: फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट का उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों (SDG 12.3) पर प्रगति को आगे बढ़ाना है, अर्थात् वर्ष 2030 तक खुदरा और उपभोक्ता स्तरों पर प्रति व्यक्ति वैश्विक खाद्य अपशिष्ट को आधा करना तथा उत्पादन एवं आपूर्ति शृंखलाओं के साथ खाद्य नुकसान को कम करना है।
  • जीएचजी उत्सर्जन में कमी: वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 8-10% उन खाद्य पदार्थों से जुड़ा होता है जिनका सेवन नहीं किया जाता है। इस प्रकार खाद्य अपव्यय के मुद्दों से निपट कर पेरिस समझौते (Paris Agreement) के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।

रिपोर्ट के सुझाव:

  • खाद्य प्रणालियों के लिये NDC (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) को बढ़ाना: खाद्य हानि और कचरे को एकीकृत करके तथा खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करके राष्ट्रीय जलवायु रणनीतियों संबंधी महत्त्वाकांक्षा को बढ़ाना।
  • संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन के माध्यम से खाद्य अपव्यय के लिये गेम चेंजिंग समाधानों को अपनाना।
  • क्षेत्रीय खाद्य अपशिष्ट कार्य समूह: यह कार्य समूह सदस्य राज्यों को खाद्य अपव्यय को मापने, राष्ट्रीय आधार रेखा विकसित करने और खाद्य अपव्यय की रोकथाम के लिये राष्ट्रीय रणनीतियों को डिज़ाइन करने में प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन

  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस वर्ष 2021 में सतत् विकास लक्ष्यों को वर्ष 2030 तक प्राप्त करने के लिये एक फूड सिस्टम समिट (Food Systems Summit) का आयोजन करेंगे।
  • यह शिखर सम्मेलन सभी 17 SDG पर प्रगति के लिये साहसिक नए कार्य शुरू करेगा, जिनमें से प्रत्येक स्वस्थ और अधिक स्थायी तथा न्यायसंगत खाद्य प्रणालियों पर कुछ हद तक निर्भर करता है।

फूड लॉस इंडेक्स

  • फूड लॉस इंडेक्स (The Food Loss Index) उन खाद्य हानियों पर ध्यान केंद्रित करता है जो उत्पादन से लेकर खुदरा स्तर तक होती है।
  • यह सूचकांक एक आधार अवधि में देश की 10 मुख्य वस्तुओं में हुए घाटे के प्रतिशत को मापता है।
  • SDG लक्ष्य 12.3 की प्रगति को मापने के लिये FLI सहायता करता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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