वायुमंडल में हीट-ट्रैपिंग गैसों पर रिपोर्ट: WMO | 27 Oct 2021
प्रिलिम्स के लिये:हीट-ट्रैपिंग ग्रीनहाउस गैस मेन्स के लिये:ग्रीनहाउस गैसों का कारण और संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन के अनुसार, वायुमंडल में हीट-ट्रैपिंग ग्रीनहाउस गैसों की प्रचुरता वर्ष 2020 में एक बार फिर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई, यह स्तर वर्ष 2011-2020 के औसत वार्षिक दर से अधिक थी।
- यह रिकॉर्ड स्तर महामारी से संबंधित प्रतिबंधों के कारण वर्ष 2020 में जीवाश्म ईंधन CO2 उत्सर्जन में लगभग 5.6% की गिरावट के बावजूद देखा गया है।
- इससे पहले WMO ने यूनाइटेड इन साइंस 2021 नामक एक रिपोर्ट जारी की थी। WMO मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), परिचालन जल विज्ञान तथा संबंधित भूभौतिकीय विज्ञान के लिये संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है।
- WMO ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच प्रोग्राम ग्रीनहाउस गैसों और अन्य वायुमंडलीय घटकों के व्यवस्थित अवलोकन तथा विश्लेषण का समन्वय करता है।
प्रमुख बिंदु
- डेटा विश्लेषण:
- सबसे प्रमुख ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की सांद्रता वर्ष 2020 में 413.2 पार्ट्स प्रति मिलियन तक पहुँच गई और यह पूर्व-औद्योगिक स्तर का 149% है।
- कई देश अब कार्बन तटस्थ लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं और उम्मीद है कि ये COP26 (जलवायु सम्मेलन) प्रतिबद्धताओं के मद्देनज़र इस प्रकार की वृद्धि को संदर्भित करेंगे।
- औद्योगिक काल के प्रारंभ होने से पूर्व अर्थात् लगभग वर्ष 1750 के स्तर से मीथेन (CH4) का 262% और नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) का 123% अधिक उत्पादन हुआ है।
- कोविड-19 के कारण आर्थिक मंदी का ग्रीनहाउस गैसों के वायुमंडलीय स्तर और उनकी विकास दर पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा, हालाँकि नए उत्सर्जन में अस्थायी गिरावट आई थी।
- वर्ष 1990 से 2020 के दौरान लंबे समय तक रहने वाली ग्रीनहाउस गैसों के विकिरणकारी दबाव के कारण जलवायु पर 47% उष्मन वृद्धि दर्ज की गई है, इस वृद्धि में लगभग 80% हिस्से के लिये CO2 ज़िम्मेदार है।
- भविष्य में ‘सिंक’ के रूप में कार्य करने के लिये भूमि पारिस्थितिक तंत्र और महासागरों की क्षमता प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकती है, इस प्रकार कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने तथा तापमान वृद्धि के खिलाफ बफर के रूप में कार्य करने की उनकी क्षमता कम हो सकती है।
- सबसे प्रमुख ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की सांद्रता वर्ष 2020 में 413.2 पार्ट्स प्रति मिलियन तक पहुँच गई और यह पूर्व-औद्योगिक स्तर का 149% है।
- चिंताएँ:
- इस सदी के अंत तक पेरिस समझौते के अंतर्गत निर्धारित तापमान में पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5-2 डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है।
- कार्बन सिंक के रूप में कार्य करने वाले अमेज़न वर्षावन जैसे क्षेत्रों का क्षरण हो रहा है और इस क्षेत्र में वनों की कटाई एवं आर्द्रता कम होने के कारण ये CO2 के स्रोत में रूपांतरित हो रहे हैं।
- CO2 के लंबे जीवनकाल को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इस तापमान वृद्धि का प्रभाव कई दशकों तक कार्बन उत्सर्जन की शून्यता की स्थिति के बावजूद बना रहेगा। बढ़ते तापमान के साथ-साथ तीव्र गर्मी और वर्षा, बर्फ पिघलना, समुद्र के स्तर में वृद्धि तथा समुद्र के अम्लीकरण के दूरगामी सामाजिक आर्थिक प्रभावों सहित कई चरम मौसमी स्थितियाँ उत्पन्न होंगी।
- संबंधित भारतीय पहल:
- पशुओं द्वारा उत्सर्जित मीथेन को कम करने के लिये समुद्री शैवाल आधारित पशु चारा
- भारत ग्रीनहाउस गैस कार्यक्रम
- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना
- भारत चरण-VI मानदंड
ग्रीन हाउस के प्रकार |
स्रोत |
निष्कासन स्रोत |
गैस प्रतिक्रिया |
कार्बन डाइऑक्साइड |
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नाइट्रस ऑक्साइड |
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फ्लोरिनेटेड गैंसें |
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मीथेन |
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