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जैव विविधता और पर्यावरण

यूनाइटेड इन साइंस 2021 : WMO

  • 17 Sep 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने 'यूनाइटेड इन साइंस 2021' (United in Science 2021) शीर्षक नामक एक रिपोर्ट जारी की है।

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प्रमुख बिंदु 

  • जलवायु परिवर्तन :
    • वैश्विक कोविड-19 महामारी से जलवायु परिवर्तन की गति धीमी नहीं हुई है तथा अभी भी दुनिया कार्बन उत्सर्जन में कटौती की अपनी स्थिति में पीछे है।
      • यह वर्ष 2020 में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन में केवल एक अस्थायी गिरावट का कारण बना है।
      • उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों और अफ्रीका के साहेल क्षेत्र (Sahel Region) में हाल के दिनों की तुलना में 2021–2025 तक अधिक आर्द्र रहने की संभावना है।
    • कटौती के लक्ष्यों को पूरा नहीं किया जा रहा है और इस बात की संभावना बढ़ रही है कि दुनिया पूर्व-औद्योगिक स्तरों से ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक कम करने के पेरिस समझौते के अपने लक्ष्य से पीछे रह जाएगी।
      • इस बात की संभावना बढ़ रही है कि अगले पाँच वर्षों में तापमान अस्थायी रूप से पूर्व-औद्योगिक युग से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक की सीमा को पार कर जाएगा।
  • तापमान:
    • पिछले पाँच वर्षों में औसत वैश्विक तापमान रिकॉर्ड सबसे अधिक था।
    • बढ़ता वैश्विक तापमान अर्थव्यवस्थाओं और समाजों पर बढ़ते प्रभावों के साथ, विश्व भर में विनाशकारी प्रभाव चरम मौसम को बढ़ावा दे रहे हैं।
      • हीट वेव्स, वनाग्नि और खराब वायु गुणवत्ता जैसे जलवायु जोखिम विश्व में मानव स्वास्थ्य को खतरे में डालते हैं, जिसने कमज़ोर आबादी को जोखिम में डाल दिया है।
  • ग्रीनहाउस गैसें:
    • पिछले वर्ष और वर्ष 2021 की पहली छमाही के दौरान वातावरण में प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता में वृद्धि जारी रही।
  • जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन:
    • कोयला, गैस, सीमेंट आदि के कारण जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन वर्ष 2019 के स्तर पर वापस आ गया था बल्कि वर्ष 2021 में इससे भी अधिक रहा।
  • समुद्री स्तर:
    • वैश्विक औसत समुद्र स्तर में वर्ष 1900 से 2018 तक 20 सेमी. की वृद्धि देखि गई है। भले ही उत्सर्जन को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक सीमित करने के लिये उत्सर्जन को कम कर दिया गया हो, वैश्विक औसत समुद्र के स्तर में वर्ष 2100 तक 0.3-0.6 मीटर की वृद्धि होने की संभावना है और वर्ष 2300 तक इसमें 0.3-3.1 मीटर तक की वृद्धि हो सकती है।
  • काम के घंटों में कमी:
    • वैश्विक स्तर पर वर्ष 2000 की तुलना में वर्ष 2019 में संभावित 103 बिलियन से अधिक काम के घंटों में कमी आई है।
      • यह कमी बढ़ते तापमान के कारण गर्मी से संबंधित मृत्यु दर और काम के नुकसान के कारण थी।
  • सुझाव:
    • अधिक देशों को दीर्घकालिक रणनीतियांँ विकसित करनी चाहिये जो वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के अनुरूप हों।
    • शुद्ध-शून्य प्रतिबद्धताओं (Net-zero commitments) को मज़बूत छोटी अवधि की नीतियों और कार्रवाई द्वारा पूरा किये जाने की आवश्यकता है।
    • उन क्षेत्रों में अनुकूलन रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता है विशेष रूप से निचले तटीयक्षेत्र, छोटे द्वीपों, डेल्टा और तटीय शहरों में, जहांँ इनका अभाव होता है।
    • कोविड-19 से  उभरने के प्रयासों (Covid-19 recovery efforts) को राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और वायु गुणवत्ता रणनीतियों के साथ जोड़ा जाना चाहिये ताकि जटिल और व्यापक जलवायु खतरों से जोखिमों को कम किया जा सके और स्वास्थ्य सह-लाभ प्राप्त किया जा सके।

आगे की राह  

  • मौजूदा समय में दुनिया भर के लोगों और उनकी आजीविका की रक्षा करना काफी महत्त्वपूर्ण है, इसके लिये आवश्यक है कि कम-से-कम 50 प्रतिशत सार्वजनिक जलवायु वित्त लचीलेपन का निर्माण और लोगों को अनुकूलित करने हेतु प्रतिबद्धता व्यक्त की जाए।
  • इसके अलावा विभिन्न देशों के बीच एकजुटता की आवश्यकता है, जिसमें विकासशील देशों को जलवायु कार्रवाई में मदद करने हेतु विकसित देशों द्वारा जलवायु वित्त प्रतिज्ञा को पूरा करना भी शामिल है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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