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शासन व्यवस्था

भारतीय नागरिकता त्यागने संबंधी प्रकिया का सरलीकरण

  • 06 Oct 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये

संघ सूची, संविधान का भाग- 2

मेन्स के लिये 

नागरिकता का अधिग्रहण और नागरिकता त्यागने संबंधी प्रावधान

चर्चा में क्यों?

गृह मंत्रालय (MHA) ने अपनी नागरिकता को त्यागने के इच्छुक भारतीयों के लिये प्रक्रिया को और अधिक सरल बना दिया है।

  • इससे पूर्व केंद्र सरकार ने पाँच राज्यों के अधिकारियों को मौजूदा नियमों के तहत नागरिकता आवेदनों से संबंधित शक्तियाँ प्रदान करते हुए एक अधिसूचना जारी की थी।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • नागरिकता त्यागने संबंधी इस नई प्रकिया के तहत आवेदकों को ऑनलाइन दस्तावेज़ अपलोड करने की सुविधा दी जाएगी और साथ ही इस समस्त प्रकिया को 60 दिनों के भीतर पूरा करने का प्रावधान है।
    • ज्ञात हो कि वर्ष 2015-19 के बीच 6.7 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता त्याग दी थी।
    • वर्ष 2018 में गृह मंत्रालय ने आवेदन फॉर्म में ‘परिस्थितियों/कारणों’ का भी एक कॉलम शामिल किया था, जिसके तहत आवेदकों को विदेशी नागरिकता प्राप्त करने और भारतीय नागरिकता त्यागने के कारणों का भी उल्लेख करना था। 
  • नागरिकता:
    • सवैधानिक प्रावधान:
      • नागरिकता को संविधान के तहत ‘संघ सूची में सूचीबद्ध किया गया है और इस प्रकार यह संसद के अनन्य अधिकार क्षेत्र में है।
      • संविधान 'नागरिक' शब्द को परिभाषित नहीं करता है, लेकिन नागरिकता के लिये पात्र व्यक्तियों की विभिन्न श्रेणियों का विवरण भाग 2 (अनुच्छेद 5 से 11) में दिया गया है।
        • संविधान के अन्य प्रावधानों के विपरीत 26 जनवरी, 1950 को अस्तित्व में आए इन अनुच्छेदों को संविधान को अपनाते हुए 26 नवंबर, 1949 को ही लागू कर दिया गया था।
    • भारतीय नागरिकता का अधिग्रहण:
      • वर्ष 1955 का नागरिकता अधिनियम, नागरिकता प्राप्त करने के पाँच तरीकों का उल्लेख करता है, जिसमें जन्म, वंश, पंजीकरण, देशीयकरण और क्षेत्र का समावेश शामिल है।
    • नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019:
      • इस अधिनियम के माध्यम से वर्ष 2015 से पूर्व भारत में प्रवेश करने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिये नागरिकता अधिग्रहण प्रकिया में तेज़ी लाने हेतु मूल कानून में संशोधन किया गया है।
      • अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिये भारतीय नागरिकता हेतु आवेदन करने से पूर्व कम-से-कम 11 वर्ष तक भारत में रहने की आवश्यकता को घटाकर पाँच वर्ष (देशीयकरण द्वारा) कर दिया गया है।
  • भारत में नागरिकता त्यागने की विधियाँ:
    • स्वैच्छिक त्याग:
      • एक भारतीय नागरिक, जो पूर्ण आयु और क्षमता का है, अपनी इच्छा से भारत की नागरिकता त्याग सकता है।
      • जब कोई व्यक्ति अपनी नागरिकता त्याग देता है, तो उस व्यक्ति का प्रत्येक नाबालिग बच्चा भी अपनी भारतीय नागरिकता खो देता है। हालाँकि जब वह बच्चा 18 वर्ष की आयु प्राप्त करता है, तो भारतीय नागरिकता फिर से प्राप्त कर सकता है।
    • बर्खास्तगी द्वारा
      • भारतीय संविधान एकल नागरिकता प्रदान करता है। इसका अर्थ है कि एक व्यक्ति एक समय में केवल एक ही देश का नागरिक हो सकता है।
      • इस प्रकार यदि कोई व्यक्ति, किसी दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वयं ही समाप्त हो जाती है। हालाँकि यह प्रावधान तब लागू नहीं होता जब भारत युद्ध का सामना कर रहा हो।
    • सरकार द्वारा वंचित किया जाना
      • भारत सरकार निम्नलिखित स्थितियों में किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता समाप्त कर सकती है;
        • यदि नागरिक संविधान का अपमान करता है।
        • यदि नागरिकता फर्जी तरीके से प्राप्त की गई हो।
        • नागरिक ने युद्ध के दौरान दुश्मन के साथ अवैध रूप से व्यापार या संचार किया है।
        • पंजीकरण या देशीयकरण के माध्यम से प्राप्त नागरिकता के पाँच वर्ष के दौरान नागरिक को किसी देश में दो वर्ष की कैद हुई हो।
        • नागरिक 7 वर्षों से लगातार भारत से बाहर रह रहा हो।

स्रोत: द हिंदू

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