भारतीय राजव्यवस्था
भारतीय नागरिकता का त्याग
- 20 Jul 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:नागरिकता, प्रवासी भारतीय, वैश्विक प्रवासन समीक्षा। मेन्स के लिये:भारतीय नागरिकता का त्याग। |
चर्चा में क्यों?
गृह मंत्रालय ने कहा कि वर्ष 2021 में 1.6 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी भारतीय नागरिकता त्याग दी।
- वर्ष 2020 के कोविड-काल में अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की संख्या 85,256 थी और वर्ष 2019 में यह संख्या 1.44 लाख थी।
नागरिकता :
- सवैधानिक प्रावधान:
- नागरिकता को संविधान के तहत ‘संघ सूची में सूचीबद्ध किया गया है और इस प्रकार यह संसद के अनन्य अधिकार क्षेत्र में है।
- संविधान 'नागरिक' शब्द को परिभाषित नहीं करता है, लेकिन नागरिकता के लिये पात्र व्यक्तियों की विभिन्न श्रेणियों का विवरण भाग 2 (अनुच्छेद 5 से 11) में दिया गया है।
- भारतीय नागरिकता का अधिग्रहण:
- वर्ष 1955 का नागरिकता अधिनियम, नागरिकता प्राप्त करने के पाँच तरीकों का उल्लेख करता है, जिसमें जन्म, वंश, पंजीकरण, देशीयकरण और क्षेत्र का समावेश शामिल है।
- नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019:
- अधिनियम में वर्ष 2015 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदू, सिख, बौद्धों, जैन, पारसियों तथा ईसाइयों के लिये नागरिकता में तेज़ी लाने हेतु कानून में संशोधन किया गया।
- भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन करने से पहले उनके लिये कम-से-कम 11 वर्ष तक भारत में रहने की आवश्यकता को घटाकर पाँच वर्ष कर दिया गया है।
लोगों द्वारा नागरिकता त्यागने का कारण:
- सामान्य कारण:
- लोग बेहतर रोज़गार और आवास की स्थिति के लिये अपने देशों से प्रवास कर जाते हैं तथा कुछ जलवायु परिवर्तन या देश में प्रतिकूल राजनीतिक परिस्थितियों के कारण प्रवास कर जाते हैं।
- ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू, 2020 के अनुसार:
- दुनिया भर में उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्ति, जो जन्म के समय प्राप्त नागरिकता का त्याग करते हैं, अपराध दर बढ़ने या देश में व्यावसायिक अवसरों की कमी के कारण ऐसा कर सकते हैं।
- अन्य कारणों में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, जलवायु एवं प्रदूषण जैसे- जीवनशैली कारक, करों सहित वित्तीय चिंताएँ, परिवारों के लिये बेहतर स्वास्थ्य देखभाल और बच्चों के लिये शैक्षिक अवसर और दमनकारी शासन से बचने के लिये प्रवास करना शामिल है।
- भारत:
- नई पीढ़ी में दूसरे देशों के पासपोर्ट रखने वाले भारतीयों में से कुछ विदेश में बसे पुराने भारतीय परिवार के साथ रहने का विकल्प चुन रहे हैं। कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों में भारत छोड़ने वाले लोग कानून से भाग रहे हैं या कथित अपराधों के लिये कानूनी कार्रवाई से डरते हैं।
- आज़ादी के बाद का प्रवासी समुदाय नौकरियों और उच्च शिक्षा के लिये भारत से बाहर जा रहा है, लेकिन आज़ादी से पहले का प्रवासी आंदोलन पूरी तरह से अलग था, जिसमें जबरन और संविदा श्रम देखा गया था।
- चूँकि भारत दोहरी नागरिकता प्रदान नहीं करता है, इसलिये किसी को दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त करने के लिये अपनी भारतीय नागरिकता का त्याग करना पड़ता है।
- जिन देशों में भारतीय लंबे समय से प्रवास कर रहे हैं या जहाँ लोगों के परिवार या दोस्त हैं, उनके लिये अधिक स्वचालित विकल्प होंगे, जैसे कि आसान कागज़ी कार्रवाई और अधिक स्वागत योग्य सामाजिक एवं जातीय वातावरण।
- नई पीढ़ी में दूसरे देशों के पासपोर्ट रखने वाले भारतीयों में से कुछ विदेश में बसे पुराने भारतीय परिवार के साथ रहने का विकल्प चुन रहे हैं। कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों में भारत छोड़ने वाले लोग कानून से भाग रहे हैं या कथित अपराधों के लिये कानूनी कार्रवाई से डरते हैं।
भारत में नागरिकता छोड़ने के तरीके:
- स्वैच्छिक त्याग:
- यदि कोई भारतीय नागरिक जो पूर्ण आयु और क्षमता का हो, अपनी इच्छा से भारत की नागरिकता त्याग सकता है।
- जब कोई व्यक्ति अपनी नागरिकता छोड़ देता है, तो उस व्यक्ति का प्रत्येक नाबालिग बच्चा भी भारतीय नागरिकता खो देता है। हालाँकि जब ऐसा बच्चा 18 वर्ष की आयु प्राप्त करता है, तो वह भारतीय नागरिकता फिर से प्राप्त कर सकता है।
- समाप्ति द्वारा:
- भारत का संविधान एकल नागरिकता प्रदान करता है। इसका मतलब है कि एक भारतीय व्यक्ति एक समय में केवल एक ही देश का नागरिक हो सकता है।
- यदि कोई व्यक्ति दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता अपने आप समाप्त हो जाती है। हालाँकि यह प्रावधान तब लागू नहीं होता जब भारत युद्ध में व्यस्त हो।
- सरकार द्वारा वंचित:
- भारत सरकार किसी भारतीय नागरिक की नागरिकता समाप्त कर सकती है यदि;
- नागरिकों ने संविधान का अपमान किया है।
- धोखे से नागरिकता प्राप्त की है।
- नागरिक ने युद्ध के दौरान दुश्मन के साथ अवैध रूप से व्यापार या संचार किया है।
- पंजीकरण या देशीयकरण के 5 साल के भीतर किसी भी देश में एक नागरिक को 2 साल के कारावास की सज़ा सुनाई गई हो।
- नागरिक 7 वर्षों से लगातार भारत से बाहर रह रहा हो।
- भारत सरकार किसी भारतीय नागरिक की नागरिकता समाप्त कर सकती है यदि;