BTIA की पुन: वार्ता: भारत-यूरोपीय संघ | 29 Oct 2021

प्रिलिम्स के लिये:

द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौता, मुक्त व्यापार समझौता, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी

मेन्स के लिये:

द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौते पर वार्ता पुनः शुरू होने का कारण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकारी अधिकारियों ने खुलासा किया है कि भारत और यूरोपीय संघ (EU) ‘द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौते’ (BTIA) पर वार्ता पुनः शुरू करने के लिये तैयार हैं। BTIA वार्ता वर्ष 2013 से स्थगित है।

  • हालाँकि इस वर्ष की शुरुआत में भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक में दोनों देश BTIA के लिये मुक्त व्यापार वार्ता को फिर से शुरू करने पर सहमत हुए और एक कनेक्टिविटी साझेदारी को भी अपनाया।

EU

प्रमुख बिंदु 

  • BTIA के बारे में:
    • पृष्ठभूमि: भारत और यूरोपीय संघ ने एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) करने के लिये बातचीत बहुत पहले 2007 में शुरू की थी, जिसे आधिकारिक तौर पर BTIA कहा जाता है।
      • BTIA को वस्तुओं, सेवाओं और निवेशों में व्यापार को शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया था।
      • हालाँकि बाज़ार पहुँच और पेशेवरों की आवाजाही पर मतभेदों को लेकर 2013 में बातचीत ठप हो गई।
    • व्यापकता: यूरोपीय संघ वर्ष 2019-20 में चीन और अमेरिका से आगे भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, जिसके साथ कुल व्यापार 90 बिलियन अमेरिकी डालर के करीब था।
      • BTIA पर हस्ताक्षर के साथ भारत और यूरोपीय संघ अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में वस्तुओं एवं सेवाओं के व्यापार व निवेश में बाधाओं को दूर करके द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने की उम्मीद करते हैं।
    • चुनौतियाँ: आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत कोविड-19 संकट से आत्मनिर्भरता पर ज़ोर दिया जा रहा है। यह यूरोपीय संघ द्वारा भारत के ‘संरक्षणवादी रुख’ माना जाता है।
      • भारत के लिये श्रम और पर्यावरण के स्थायी मानकों को पूरा करना मुश्किल हो सकता है, जिस पर यूरोपीय संघ अब अधिक ज़ोर देता है।
    • महत्त्व: भारत यह संकेत देना चाहता है कि अंतिम समय में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से बाहर निकलने के बाद व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने के खिलाफ नहीं है।
      • यूरोपीय संघ बदले में चीन से इतर भारत में अपनी मूल्य शृंखला में विविधता लाना चाहता है और इसलिये भारत के साथ व्यापार समझौता करने में भी उसकी रुचि है।
  • कनेक्टिविटी रोडमैप:
    • भौतिक संपर्क से अधिक: यह एक महत्त्वाकांक्षी और व्यापक कनेक्टिविटी परियोजना है, जो न केवल भौतिक बुनियादी ढाँचे पर ध्यान केंद्रित करती है बल्कि डिजिटल, ऊर्जा, परिवहन और लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने की भी परिकल्पना करती है।
    • घटक: भारत-ईयू कनेक्टिविटी रोडमैप में तीन मुख्य क्षेत्र शामिल हैं- व्यापार और निवेश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी)
    • क्षेत्रीय और बहु ​​हितधारक दृष्टिकोण: फोकस क्षेत्र देश के भीतर कनेक्टिविटी, यूरोप के साथ कनेक्टिविटी का निर्माण और इस प्रक्रिया में दक्षिण एशिया और इंडो-पैसिफिक में अन्य देशों के साथ मिलकर काम करना था।
      • यह कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिये निजी और सार्वजनिक वित्तपोषण को उत्प्रेरित करेगा।
    • BRI का मुकाबला: इंडिया-ईयू कनेक्टिविटी: पार्टनरशिप फॉर डेवलपमेंट, डिमांड एंड डेमोक्रेसी' शीर्षक वाली रिपोर्ट इस बात को रेखांकित करती है कि कनेक्टिविटी रोडमैप के माध्यम से दोनों पक्षकार परोक्ष रूप से चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का मुकाबला करना चाहते हैं।
      • जैसा कि इसने लोकतंत्र, कानून के शासन, समावेश और पारदर्शिता और डेब्ट ट्रैप से बचने आदि सिद्धांतों पर ज़ोर दिया।

आगे की राह

  • भू-आर्थिक सहयोग: भारत सुरक्षा की बजाय  भू-आर्थिक रूप से इंडो-पैसिफिक परिदृश्य में संलग्न होने के लिये यूरोपीय संघ के देशों का प्रयोग कर सकता है।
    • यह क्षेत्रीय बुनियादी ढाँचे के सतत् विकास के लिये बड़े पैमाने पर आर्थिक संसाधन जुटा सकता है, राजनीतिक प्रभाव को नियंत्रित कर सकता है और इंडो-पैसिफिक परिदृश्य को आकार देने के लिये अपनी महत्त्वपूर्ण सॉफ्ट पावर का लाभ उठा सकता है।
  • भारत-यूरोपीय संघ BTIA संधि को अंतिम रूप देना: भारत और यूरोपीय संघ एक मुक्त व्यापार सौदे पर बातचीत कर रहे हैं, लेकिन यह 2007 से लंबित है।
    • इसलिये भारत और यूरोपीय संघ के बीच घनिष्ठ अभिसरण के लिये दोनों को व्यापार समझौते को जल्द-से-जल्द अंतिम रूप देने में संलग्न होना चाहिये।
  • महत्त्वपूर्ण खिलाड़ियों के साथ सहयोग: 2018 की शुरुआत में फ्राँस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन की भारत यात्रा ने रणनीतिक साझेदारी को पुनर्जीवित करने के लिये एक विस्तृत ढाँचे का अनावरण किया।

स्रोत: द हिंदू