भारतीय राज्यों का सापेक्ष आर्थिक प्रदर्शन रिपोर्ट | 20 Sep 2024
प्रारंभिक परीक्षा:सकल घरेलू उत्पाद (GDP), प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM)। मुख्य परीक्षा:भारत में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के विकास चालक, संबंधित चुनौतियाँ, भारत में औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिये सरकारी पहल और सुधार। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने 'भारतीय राज्यों का सापेक्ष आर्थिक प्रदर्शन: 1960-61 से 2023-24' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की।
- रिपोर्ट में वर्ष 1960-61 से वर्ष 2023-24 तक भारतीय राज्यों के आर्थिक प्रदर्शन में महत्त्वपूर्ण असमानता पर प्रकाश डाला गया है।
EAC-PM रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- आर्थिक प्रदर्शन:
- दक्षिणी राज्यों की वृद्धि: दक्षिणी राज्य (कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु) भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में प्रमुख योगदानकर्त्ता के रूप में उभरे हैं, जिनका मार्च 2024 तक 30% योगदान होगा।
- उदारीकरण के पश्चात् उनकी वृद्धि में तेजी आई, साथ ही प्रौद्योगिकी एवं उद्योग जैसे क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई।
- पश्चिम बंगाल का आर्थिक क्षरण: पश्चिम बंगाल का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान वर्ष 1960-61 में 10.5% से घटकर वर्ष 2024 में 5.6% हो गया है।
- पश्चिम बंगाल की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 1960 के दशक में राष्ट्रीय औसत के 127.5% से गिरकर वर्ष 2024 में 83.7% हो जाएगी, जो वर्तमान में राजस्थान और ओडिशा से पीछे है।
- पश्चिम बंगाल की क्षरण नीतियों में गतिरोध, औद्योगिक क्षरण, राजनीतिक अस्थिरता और कुशल प्रतिभाओं के पलायन का परिणाम है, जिससे विकास में बाधा उत्पन्न हुई है और निवेश हतोत्साहित हुआ है।
- दक्षिणी राज्यों की वृद्धि: दक्षिणी राज्य (कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु) भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में प्रमुख योगदानकर्त्ता के रूप में उभरे हैं, जिनका मार्च 2024 तक 30% योगदान होगा।
- महाराष्ट्र 13.3% के साथ सकल घरेलू उत्पाद में सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता बना हुआ है, हालाँकि इसकी भागीदारी में 15% से अधिक की कमी आई है।
- प्रति व्यक्ति आय डेटा:
- दिल्ली, तेलंगाना, कर्नाटक और हरियाणा में वर्ष 2023-24 में प्रति व्यक्ति सापेक्ष आय सबसे अधिक होगी।
- दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत की तुलना में 250.8% अधिक है।
- गुजरात (राष्ट्रीय औसत का 160.7%) और महाराष्ट्र (राष्ट्रीय औसत का 150.7%) ने वर्ष 1960 के दशक से औसत से अधिक आय बनाए रखी है।
- ओडिशा की प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जो वर्ष 2000-01 में 55.8% से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 88.5% हो गयी है।
- पंजाब बनाम हरियाणा: पंजाब में वर्ष 1991 के पश्चात् से आर्थिक विकास में स्थिरता देखी गई है, प्रति व्यक्ति आय में राष्ट्रीय औसत की तुलना में 106% तक की कमी आई है।
- इसके विपरीत हरियाणा में पर्याप्त वृद्धि हुई है, तथा प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 176.8% हो गई है।
- छोटे राज्यों में: सिक्किम की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 1990-91 में राष्ट्रीय औसत के 93% से बढ़कर 2023-24 में 319% हो गई, जबकि गोवा की वर्ष 1970-71 में 144% से बढ़कर 290% हो गई। वर्तमान में दोनों प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से भारत के सबसे अमीर राज्य हैं।
- दिल्ली, तेलंगाना, कर्नाटक और हरियाणा में वर्ष 2023-24 में प्रति व्यक्ति सापेक्ष आय सबसे अधिक होगी।
- सबसे गरीब राज्यों के लिये चुनौतियाँ: उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य समन्वय बनाए रखने के लिये संघर्ष कर रहे हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश सकल घरेलू उत्पाद में केवल 9.5% और बिहार केवल 4.3% का योगदान देता है।
- ओडिशा जैसे राज्यों में कुछ सुधार के बावजूद, बिहार आर्थिक विकास में काफी पीछे रह गया है।
- नीतिगत जाँच की आवश्यकता: रिपोर्ट में राज्य स्तरीय आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाली नीतियों और कारकों की गहन जांँच, विशेष रूप से भारत में बढ़ती क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिये, की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों में स्थिर वृद्धि के क्या कारण हैं?
- मज़बूत औद्योगिक आधार: गुजरात एवं महाराष्ट्र में वस्त्र, रसायन और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में सुदृढ़, विविध विनिर्माण आधार है।
- उनकी निवेश-अनुकूल नीतियों ने ऐसे व्यापार-अनुकूल वातावरण का निर्माण किया है, जिससे महत्त्वपूर्ण घरेलू और विदेशी निवेश आकर्षित हुए हैं।
- सेवा क्षेत्र में उन्नति: कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों में तीव्र शहरीकरण हुआ है साथ ही अवसंरचना में भी सुधार हुआ है, जिससे उनके आईटी और सेवा क्षेत्र को बढ़ावा मिला है ।
- शिक्षा और कौशल विकास पर विशेष ध्यान देने से कुशल कार्यबल का सृजन हुआ है, जिससे उत्पादकता और आर्थिक विकास में वृद्धि हुई है।
- कृषि उन्नति: महाराष्ट्र और केरल ने जैविक कृषि, फसल विविधीकरण, जल-कुशल सिंचाई तकनीक, कृषि वानिकी और विविध उत्पादन जैसी सतत् कृषि पद्धतियों को अपनाया है, जिससे उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिला है।
- सिंचाई, बाज़ार पहुँच और प्रौद्योगिकी में सरकारी सहायता से कृषि प्रदर्शन और आर्थिक विकास में और भी वृद्धि हुई है।
- मज़बूत क्षेत्रीय संपर्क: पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों में मज़बूत परिवहन और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क हैं, गुजरात के बंदरगाह और तमिलनाडु के सड़क मार्ग व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं।
- प्रमुख बाज़ारों की निकटता से स्थानीय मांग में वृद्धि हुई है, जिससे इन राज्यों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM)
- यह एक गैर-संवैधानिक, गैर-सांविधिक, स्वतंत्र निकाय है जिसका गठन भारत सरकार, विशेष रूप से प्रधानमंत्री को आर्थिक और संबंधित मुद्दों पर सलाह देने के लिये किया गया है।
- यह परिषद तटस्थ दृष्टिकोण से भारत सरकार के समक्ष प्रमुख आर्थिक मुद्दों को उज़ागर करने का कार्य करती है।
- यह मुद्रास्फीति, माइक्रोफाइनेंस एवं औद्योगिक उत्पादन जैसे आर्थिक मुद्दों पर प्रधानमंत्री को सलाह देता है ।
- नीति आयोग EAC-PM के लिये प्रशासनिक, रसद, योजना और बजट के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
- आवधिक रिपोर्ट: वार्षिक आर्थिक परिदृश्य, अर्थव्यवस्था की समीक्षा।
राज्यों के आर्थिक प्रदर्शन को बढ़ाने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं?
- विकेंद्रीकृत योजना और शासन: स्थानीय सरकारों को क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप विकास योजनाएँ बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने के लिये सशक्त बनाना, समावेशिता सुनिश्चित करने के लिये निर्णय लेने की प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों को शामिल करना।
- बुनियादी ढाँचे का विकास: व्यापार और गतिशीलता को बढ़ाने, समय पर निष्पादन और संसाधन एकत्रित करने को सुनिश्चित करने हेतु सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से सड़कों, रेलवे, बंदरगाहों और डिजिटल कनेक्टिविटी में निवेश को प्राथमिकता दी जाएगी।
- क्षेत्रीय दृष्टिकोण और विविधीकरण: कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देते हुए प्रौद्योगिकी अपनाने और बेहतर सिंचाई के माध्यम से कृषि उत्पादकता में वृद्धि करना।
- क्षेत्रीय लाभ के आधार पर विनिर्माण (जैसे, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स) और सेवाओं (जैसे, आईटी, पर्यटन) को बढ़ावा देने वाली क्षेत्र-विशिष्ट नीतियों को प्रोत्साहित करना।
- कौशल विकास और मानव पूंजी: रोज़गार क्षमता में वृद्धि हेतु उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लागू करना, साथ ही आलोचनात्मक सोच और उच्च शिक्षा तक पहुँच पर ध्यान केंद्रित करके शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है।
- नवाचार और उद्यमिता: इनक्यूबेटर और वित्त पोषण के माध्यम से स्टार्टअप्स को समर्थन देकर नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना, तथा तकनीकी प्रगति की ओर ले जाने वाले अनुसंधान पहलों के लिये शिक्षा, उद्योग और सरकार के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना।
- डिजिटल परिवर्तन: सार्वजनिक सेवा वितरण में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिये शासन हेतु डिजिटल समाधान लागू करना, साथ ही नागरिकों को आवश्यक कौशल से लैस करने के लिये डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।
- सहयोगात्मक शासन: सर्वोत्तम प्रथाओं और संसाधनों को साझा करने के लिये राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, विकास के लिये नीतियों और संसाधनों को संरेखित करने के लिये केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष
पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों में स्थिर विकास रणनीतिक योजना, सुदृढ़ औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों, प्रभावी सरकारी नीतियों और संधारणीय प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करने का परिणाम है। चूँकि ये राज्य निरंतर नवाचार में अग्रणी हैं और परिवर्तित आर्थिक गतिशीलता के अनुकूल स्वयं को ढाल रहे हैं, इसलिये ये भारत को वर्ष 2030 तक 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की ओर ले जाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस प्रगति को बनाए रखने और संपूर्ण देश में संतुलित विकास सुनिश्चित करने के लिये क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करना और समावेशी विकास को बढ़ावा देना आवश्यक होगा।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: भारत में राज्यों के आर्थिक प्रदर्शन को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों पर चर्चा कीजिये। नीतिगत हस्तक्षेपों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये और राज्य स्तर पर सतत् आर्थिक विकास को बढ़ाने के उपाय सुझाइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स Q. अटल नवप्रवर्तन (इनोवेशन) मिशन किसके अधीन स्थापित किया गया है? (2019) (a) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग उत्तर: (c) Q. भारत सरकार ने नीति आयोग की स्थापना निम्नलिखित में से किसका स्थान लेने के लिये की है। (2015) (a) मानवाधिकार आयोग उत्तर: (d) Q. सतत विकास को उस विकास के रूप में वर्णित किया जाता है जो भविष्य की पीढ़ियों की अपनी जरूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान की जरूरतों को पूरा करता है। इस परिप्रेक्ष्य में, सतत विकास की अवधारणा निम्नलिखित अवधारणाओं में से किसके साथ जुड़ी हुई है? (2010) (a) सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण उत्तर: (d) मेन्सQ. भारत में नीति आयोग द्वारा अनुसरण किये जा रहे सिद्धांत इससे पूर्व के योजना आयोग द्वारा अनुसरित सिद्धांतों में से किस प्रकार भिन्न हैं? (2018) Q. वहनीय, विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।” भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018) |