भारतीय अर्थव्यवस्था
मुद्रास्फीति डेटा: फरवरी 2021
- 17 Mar 2021
- 6 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) के आर्थिक सलाहकार कार्यालय ने फरवरी 2021 के लिये थोक मूल्य सूचकांक (WPI) जारी किया।
प्रमुख बिंदु
थोक मूल्य मुद्रास्फीति
- यह लगातार दूसरे माह बढ़कर 4.17 प्रतिशत पर पहुँच गई है।
- यह नवंबर 2018 के बाद से ही अपने उच्चतम स्तर पर है, जब थोक मुद्रास्फीति 4.47 प्रतिशत पर थी।
- जनवरी 2021 में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मुद्रास्फीति 2.03 प्रतिशत और फरवरी 2020 में 2.26 प्रतिशत पर थी।
कारण
- खाद्य उत्पादों, ईंधन और बिजली आदि की कीमतों में बढ़ोतरी ने थोक मूल्य मुद्रास्फीति की वृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
- खाद्य मुद्रास्फीति: फरवरी माह में खाद्य उत्पादों के मामले में 1.36 प्रतिशत मुद्रास्फीति देखी गई, जो कि जनवरी माह में (-) 2.80 प्रतिशत थी।
- खुदरा मुद्रास्फीति: उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर फरवरी माह में यह 5.03 प्रतिशत पर थी।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI)
- यह व्यापारियों द्वारा थोक में बेचे गए सामानों की कीमतों में बदलाव को मापता है।
- इसे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार कार्यालय द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
- यह भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला मुद्रास्फीति संकेतक है।
- हालाँकि कई आलोचक यह तर्क देते हैं कि आम जनता थोक मूल्य पर उत्पाद नहीं खरीदती है, इसलिये यह सूचकांक आम भारतीय नागरिक का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।
- वर्ष 2017 में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आधार वर्ष को संशोधित कर वर्ष 2004-05 से वर्ष 2011-12 कर दिया गया था।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)
- यह सूचकांक खुदरा खरीदार के दृष्टिकोण से मूल्य परिवर्तन को मापता है। इसे राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किया जाता है।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के तहत भारतीय उपभोक्ताओं द्वारा खरीदे जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं जैसे- खाद्य, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद आदि की कीमत में परिवर्तन की गणना करता है।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के तहत खाद्य एवं पेय पदार्थ, ईंधन एवं प्रकाश, आवास एवं कपड़े, बिस्तर एवं जूते सहित कई उप-समूह शामिल हैं।
- CPI के निम्नलिखित चार प्रकार हैं:
- औद्योगिक श्रमिकों (IW) के लिये CPI
- कृषि मज़दूर (AL) के लिये CPI
- ग्रामीण मज़दूर (RL) के लिये CPI
- CPI (ग्रामीण/शहरी/संयुक्त)
- इनमें से प्रथम तीन को श्रम और रोज़गार मंत्रालय में ‘श्रम ब्यूरो’ द्वारा संकलित किया जाता है, जबकि CPI के चौथे प्रकार को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा संकलित किया जाता है।
- वर्ष 2012 को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार वर्ष के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- मौद्रिक नीति समिति (MPC) मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक संबंधी डेटा का उपयोग करती है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अप्रैल 2014 में मुद्रास्फीति के प्रमुख उपाय के रूप में CPI को अपनाया था।
थोक मूल्य सूचकांक बनाम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
- WPI, उत्पादक स्तर पर मुद्रास्फीति को ट्रैक करता है, जबकि CPI उपभोक्ता स्तर पर कीमतों में परिवर्तन को मापता है।
- WPI सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन को नहीं मापता, जबकि CPI में सेवाओं को भी ध्यान में रखा जाता है।
मुद्रास्फीति
- मुद्रास्फीति का तात्पर्य दैनिक या आम उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं जैसे- भोजन, कपड़े, आवास, मनोरंजन और परिवहन इत्यादि की कीमतों में होने वाली वृद्धि से है।
- मुद्रास्फीति के तहत समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं के औसत मूल्य में होने वाले परिवर्तन को मापा जाता है।
- मुद्रास्फीति किसी देश की मुद्रा की एक इकाई की क्रय शक्ति में कमी का संकेत होती है।
- इससे अंततः आर्थिक विकास में कमी आ सकती है।
- हालाँकि अर्थव्यवस्था में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये मुद्रास्फीति का एक आवश्यक स्तर बनाये रखना आवश्यक होता है।
- भारत में मुद्रास्फीति को मुख्य रूप से दो मुख्य सूचकांकों- थोक मूल्य सूचकांक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा मापा जाता है जो कि क्रमशः थोक और खुदरा स्तर के मूल्य परिवर्तन को मापते हैं।