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शासन व्यवस्था

आभासी डिजिटल परिसंपत्ति का विनियमन

  • 29 Apr 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

PMLA, VDA, क्रिप्टोकरेंसी, फिएट मुद्रा।

मेन्स के लिये:

आभासी डिजिटल परिसंपत्ति का विनियमन करना।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त मंत्रालय ने धन शोधन रोधी प्रावधानों (Anti-money Laundering provisions) का दायरा आभासी डिजिटल परिसंपत्ति (Virtual Digital Assets- VDA) व्यवसायों एवं सेवा प्रदाताओं तक बढ़ा दिया है।

  • मंत्रालय ने अधिनियम के तहत VDA और क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित गतिविधियों को शामिल कर धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act- PMLA), 2002 का दायरा बढ़ाया है।

PMLA 2002 के तहत VDA को शामिल करने की प्रक्रिया:

  • विस्तारित गतिविधियाँ:
    • VDA और फिएट मुद्राओं के बीच विनिमय (केंद्र सरकार द्वारा कानूनी निविदा)।
    • VDA के एक या अधिक रूपों के बीच आदान-प्रदान।
    • VDA का स्थानांतरण।
    • VDAs या VDAs पर नियंत्रण को सक्षम करने वाले उपकरणों की सुरक्षा या प्रशासन।
    • जारीकर्त्ता की पेशकश और VDA की बिक्री से संबंधित वित्तीय सेवाओं में भागीदारी एवं प्रावधान।
  • अब VDA को वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (Financial Intelligence Unit-India- FIU-IND) के साथ एक रिपोर्टिंग इकाई के रूप में पंजीकृत होना होगा।
    • FIU-IND संयुक्त राज्य अमेरिका में FinCEN के समान कार्य करती है। वित्त मंत्रालय के तहत इसे वर्ष 2004 में संदिग्ध वित्तीय लेन-देन से संबंधित जानकारी प्राप्त करने, विश्लेषण एवं प्रसारित करने हेतु नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया था।
    • उदाहरण के लिये CoinSwitch जैसे रिपोर्टिंग इकाई प्लेटफॉर्म अब नो योर कस्टमर, सभी लेन-देन रिकॉर्ड एवं निगरानी करने तथा किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता चलने पर FIU-IND को रिपोर्ट करने के लिये अधिकृत हैं।
  • वैश्विक दिशा-निर्देशों के अनुरूप: यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) द्वारा जोखिम को कम करने हेतु निर्देशित वैश्विक दिशा-निर्देशों के अनुरूप है।
    • FATF के पास वर्चुअल एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स (VASPs) की व्यापक परिभाषा के साथ-साथ बिचौलियों, दलालों, एक्सचेंजों, कस्टोडियन, हेज फंड और यहाँ तक कि खनन निकायों को सम्मिलित करने वाली एक व्यापक सूची है।
    • इस तरह के दिशा-निर्देश वर्चुअल डिजिटल एसेट इकोसिस्टम के नियमन और निरीक्षण में VASP की भूमिका को स्वीकार करते हैं।

पहल का महत्त्व और उससे संबंधित चिंताएँ:

  • महत्त्व:
    • इस तरह के नियम पहले से ही बैंकों, वित्तीय संस्थानों और प्रतिभूतियों तथा अचल संपत्ति संबंधी बाज़ारों में कुछ मध्यस्थों पर लागू होते हैं।
    • इसे वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों तक विस्तारित करने से इस प्लेटफॉर्म को अधिक सतर्कता से निगरानी करने और कदाचार के खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।
    • ऐसे मानदंडों का मानकीकरण भारतीय वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति क्षेत्र को पारदर्शी बनाने में काफी मदद करेगा।
    • यह पारिस्थितिकी तंत्र में विश्वास स्थापित करेगा और सरकार को वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति लेन-देन पर अधिक निगरानी करने में मदद करेगा जो सभी के लिये फायदेमंद होगा।
  • चिंताएँ:
    • एक केंद्रीकृत नियामक की अनुपस्थिति में VDA संस्थाओं को प्रवर्तन निदेशालय जैसे अभिकरणों के साथ सीधे व्यवहार करना पड़ सकता है।
    • वर्तमान कर व्यवस्था के कारण कई भारतीय VDA उपयोगकर्त्ता पहले ही घरेलू एक्सचेंजों से विदेशी समकक्ष विकल्प अपना चुके हैं, जिससे कर राजस्व में कमी आई है और लेन-देन के विषय में पता लगाना मुश्किल हो गया है। इससे अंतर्राष्ट्रीय निवेशक भी हतोत्साहित हो सकते है जिसके परिणामस्वरूप पूंजी बहिर्वाह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

आभासी डिजिटल परिसंपत्ति:

  • सरकार ने केंद्रीय बजट 2022-23 में आभासी डिजिटल परिसंपत्ति (Virtual Digital Assets) पर टैक्स लगाने और उन पर नज़र रखने के उद्देश्य से नए प्रावधान पेश किये हैं। कराधान के ढाँचे के साथ बजट ने पहली बार आभासी डिजिटल परिसंपत्ति को परिभाषित किया।
  • इसने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2 के तहत नए सम्मिलित खंड (47A) में आभासी डिजिटल संपत्ति को परिभाषित किया है।
  • प्रस्तावित नए खंड के अनुसार, एक आभासी डिजिटल परिसंपत्ति का अर्थ क्रिप्टोग्राफिक माध्यमों से किसी भी जानकारी, कोड, संख्या या टोकन (न तो भारतीय मुद्रा में या न किसी विदेशी मुद्रा में) उत्पन्न करना है।
  • आभासी डिजिटल परिसंपत्ति का अर्थ है क्रिप्टोकरेंसी, DeFi (विकेंद्रीकृत वित्त) और नॉन-फंजिबल टोकन (NFT)।
  • अप्रैल 2022 से भारत में क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन से होने वाली आय पर 30% आयकर लागू हुआ।
  • जुलाई 2022 से क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित स्रोतों पर 1% कर कटौती के नियम लागू हुए।

आगे की राह

  • भारत को आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों पर उच्च कर की दरों पर पुनर्विचार करना चाहिये, जो वर्तमान में अन्य परिसंपत्ति वर्गों की तुलना में अधिक हैं।
  • मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) और टेरर फाइनेंसिंग (आतंकी वित्तपोषण) के जोखिमों को कम करने वाली नवीन PMLA अधिसूचना के साथ आभासी डिजिटल परिसंपत्ति करों को अन्य परिसंपत्ति वर्गों के साथ संरेखित करने का अवसर देना चाहिये।
  • ऐसा करने हेतु मनमाने करों (टैक्स आर्बिट्रेज) को न्यूनतम करना होगा, जो देश की आतंरिक पूंजी, उपभोक्ताओं, निवेश एवं प्रतिभा को बनाए रखने में मदद करेगा तथा आभासी डिजिटल परिसंपत्ति के लिये अनौपचारिक क्षेत्र या ग्रे अर्थव्यवस्था के आकार को कम करेगा।
  • एशिया में जापान और दक्षिण कोरिया ने VASP को लाइसेंस देने के लिये एक ढाँचा स्थापित किया है, जबकि यूरोप में क्रिप्टो-एसेट्स (MiCA) में बाज़ार यूरोपीय संसद द्वारा पारित किया गया है। आगे बढ़ते हुए एक प्रगतिशील नियामक ढाँचा भारत में नवोन्मेषी अर्थव्यवस्था की भावना उत्त्पन्न करेगा और भारत के आभासी डिजिटल संपत्ति नेतृत्त्व को स्थापित करेगा।
  • परिभाषा के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियाँ सीमाहीन हैं और नियामक मध्यस्थता को रोकने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। इसलिये विनियमन या प्रतिबंध लगाने के लिये कोई भी कानून जोखिमों एवं लाभों के मूल्यांकन तथा सामान्य वर्गीकरण व मानकों के विकास पर महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ ही प्रभावी हो सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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