पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल | 15 Sep 2022
प्रिलिम्स के लिये:भारत निर्वाचन आयोग, मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल, पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951, चिह्न आदेश 1968 मेन्स के लिये:राजनीतिक दलों का विनियमन, भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
भारत के निर्वाचन आयोग ने 86 गैर-मौजूद पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (Registered Unrecognized Political Parties-RUPPs) को असूचीबद्ध कर दिया है और अतिरिक्त 253 दलों को निष्क्रिय RUPPs के रूप में घोषित किया है।
RUPPs को निर्वाचन आयोग द्वारा असूचीबद्ध करने का कारण:
- निष्क्रिय RUPPs:
- 253 RUPPs ने निर्वाचन आयोग दारा दिये गए पत्र/नोटिस का जवाब नहीं दिया है और न ही किसी राज्य की आम सभा या वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा अथवा राज्यसभा चुनाव में भाग लिया है।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के अनुसार, प्रत्येक राजनीतिक दल को अपने नाम, प्रधान कार्यालय, पदाधिकारियों, पते, पैन में किसी भी बदलाव के बारे में बिना किसी देरी के आयोग को सूचित करना होता है।
- असूचीबद्ध:
- संबंधित राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा किये गए भौतिक सत्यापन के बाद या संबंधित RUPPs के पंजीकृत पते पर डाक प्राधिकरण से भेजे गए पत्रों/नोटिस की रिपोर्ट के आधार पर 86 RUPPs से कोई जवाब नही मिला।
- इसके अतिरिक्त वे निर्वाचन चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के तहत लाभ प्राप्त करने के हकदार नहीं होंगे।
- संबंधित राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा किये गए भौतिक सत्यापन के बाद या संबंधित RUPPs के पंजीकृत पते पर डाक प्राधिकरण से भेजे गए पत्रों/नोटिस की रिपोर्ट के आधार पर 86 RUPPs से कोई जवाब नही मिला।
राजनीतिक दलों से संबंधित प्रमुख बिंदु:
पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPP):
- परिचय:
- ऐसे नए पंजीकृत दल जो राज्य स्तरीय दल बनने के लिये विधानसभा या आम चुनावों में पर्याप्त प्रतिशत वोट हासिल नहीं कर पाए हैं अथवा जिन्होंने पंजीकृत होने के बाद से कभी चुनाव नहीं लड़ा है, उन्हें गैर-मान्यता प्राप्त दल माना जाता है।
- ऐसे दलों को मान्यता प्राप्त दलों को दी जाने वाली सभी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता है।
- प्रतीक/ चिह्न आवंटन:
- चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के तहत RUPP को सामान्य चिह्न प्रदान किये जाते हैं।
- किसी राज्य के उक्त विधानसभा चुनाव के संबंध में कुल उम्मीदवारों में से कम-से-कम 5% उम्मीदवारों को खड़ा करने के लिये वचन के आधार पर RUPP को एक समान चिह्न का विशेषाधिकार दिया जाता है।
- चुनाव लड़े बिना स्वीकार्य अधिकारों का लाभ उठाकर चुनाव पूर्व उपलब्ध राजनीतिक स्थान पर कब्जा करने वाली ऐसी पार्टियों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
- यह वास्तव में चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दलों की भीड़ को भी बढ़ाता है और मतदाताओं के लिये भ्रमित करने वाली स्थिति भी पैदा करता है।
- मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल:
- एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल या तो राष्ट्रीय दल या राज्यस्तरीय दल होगा यदि वह कुछ निर्धारित शर्तों को पूरा करता है।
- राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल बनने के लिये एक दल को पिछले चुनाव के दौरान राज्य विधानसभा या लोकसभा में मतदान के वैध वोटों का एक निश्चित न्यूनतम प्रतिशत या निश्चित संख्या में सीटें हासिल करनी होती हैं।
- राजनीतिक दलों को आयोग द्वारा दी गई मान्यता उन्हें प्रतीकों के आवंटन, राज्य के स्वामित्व वाले टेलीविज़न और रेडियो स्टेशनों पर राजनीतिक प्रसारण के लिये समय का प्रावधान तथा मतदाता सूची तक पहुँच जैसे कुछ विशेषाधिकारों को निर्धारित करती है।
राजनीतिक दलों के रूप में मान्यता हेतु निर्धारित शर्तें:
राष्ट्रीय दलों की मान्यता के लिये शर्तें |
राज्य स्तरीय दल के रूप में मान्यता के लिये शर्तें |
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चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 द्वारा ECI को प्राप्त शक्तियाँ:
- आदेश के पैरा 15 के तहत चुनाव आयोग प्रतिद्वंद्वी समूहों या किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के वर्गों के बीच विवादों का फैसला कर सकता है और इसके नाम तथा चुनाव चिह्न पर दावा कर सकता है।
- आदेश के तहत विवाद या विलय के मुद्दों का फैसला करने के लिये निर्वाचन आयोग एकमात्र प्राधिकरण है। सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने वर्ष 1971 में सादिक अली और एक अन्य बनाम ECI मामले में इसकी वैधता को बरकरार रखा।
- यह मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य पार्टियों के विवादों पर लागू होता है।
- पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों में विभाजन के मामलों में चुनाव आयोग आमतौर पर विवाद में शामिल गुटों को अपने मतभेदों को आंतरिक रूप से हल करने या अदालत जाने की सलाह देता है।
- चुनाव आयोग द्वारा अब तक लगभग सभी विवादों में पार्टी के प्रतिनिधियों/ पदाधिकारियों, सांसदों और विधायकों के स्पष्ट बहुमत ने एक गुट का समर्थन किया है।
- वर्ष 1968 से पहले चुनाव आयोग ने चुनाव नियम, 1961 के संचालन के तहत अधिसूचना और कार्यकारी आदेश जारी किये।
- जिस दल को पार्टी का चिह्न मिला था, उसके अलावा पार्टी के अलग हुए समूह को खुद को एक अलग पार्टी के रूप में पंजीकृत कराना पड़ा।
- वे पंजीकरण के बाद राज्य या केंद्रीय चुनावों में अपने प्रदर्शन के आधार पर ही राष्ट्रीय या राज्य पार्टी की स्थिति का दावा कर सकते थे।
जनप्रतिनिधित्त्व अधिनियम (RPA), 1951:
- मुख्य प्रावधान:
- यह चुनाव और उप-चुनावों के वास्तविक संचालन को नियंत्रित करता है।
- यह चुनाव कराने के लिये प्रशासनिक मशीनरी प्रदान करता है।
- यह राजनीतिक दलों के पंजीकरण से संबंधित है।
- यह सदनों की सदस्यता के लिये अर्हताओं और अयोग्यताओं को निर्दिष्ट करता है।
- इसमें भ्रष्ट आचरण और अन्य अपराधों पर अंकुश लगाने के प्रावधान किये गए हैं।
- इसमें चुनावों से उत्पन्न संदेहों और विवादों को निपटाने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
- राजनीतिक दलों से संबंधित प्रावधान:
- राजनीतिक दल बनने के लिये प्रत्येक संघ या निकाय को ECI के साथ पंजीकृत होना चाहिये जिसका निर्णय पंजीकरण के संबंध में अंतिम होगा।
- पंजीकृत राजनीतिक दल, समय के साथ 'राज्य पार्टी' या राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त कर सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। |