भारतीय राजनीति
पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (आरयूपीपी)
- 23 Jun 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:चुनाव आयोग, मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल, जनप्रतिनिधित्त्व अधिनियम, 1951। मेन्स के लिये:जनप्रतिनिधित्त्व अधिनियम का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
चुनाव आयोग ने 111 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को हटाने का आदेश दिया, जो "अस्तित्वहीन" पाए गए और तीन दलों को "गंभीर वित्तीय अनियमितता" के लिये कानूनी कार्रवाई हेतु राजस्व विभाग को संदर्भित किया। हाल के दिनों में यह पंजीकृत पार्टियों के खिलाफ इस तरह की दूसरी कार्रवाई थी जो जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम, 1951 का उल्लंघन करते पाए गए हैं।
- इससे पहले चुनाव आयोग ने 87 गैर-मौज़ूद पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को हटा दिया था।
- चुनाव आयोग ने कहा कि विचाराधीन 111 दलों ने अधिनियम की उन धाराओं का उल्लंघन किया है जिनके लिये उन्हें अपने संचार का पता और चुनाव आयोग को पते में किसी भी बदलाव को प्रस्तुत करना आवश्यक है।
राजनीतिक दलों से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPP):
- या तो नए पंजीकृत दल या वे जो राज्यस्तरीय दल बनने के लिये विधानसभा या आम चुनावों में पर्याप्त प्रतिशत वोट हासिल नहीं कर पाए हैं, या जिन्होंने पंजीकृत होने के बाद से कभी चुनाव नहीं लड़ा है, उन्हें गैर-मान्यता प्राप्त दल माना जाता है।
- ऐसे दलों को मान्यता प्राप्त दलों को दी गई सभी सुविधाओं का लाभों नहीं मिलता है।
- मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल:
- एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल या तो राष्ट्रीयदल या राज्यस्तरीय दल होगा यदि वह कुछ निर्धारित शर्तों को पूरा करता है।
- राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल बनने के लिये एक दल को पिछले चुनाव के दौरान राज्य विधान सभा या लोकसभा में मतदान के वैध वोटों का एक निश्चित न्यूनतम प्रतिशत या निश्चित संख्या में सीटें हासिल करना होता है।
- राजनीतिक दलों को आयोग द्वारा दी गई मान्यता उन्हें प्रतीकों के आवंटन, राज्य के स्वामित्त्व वाले टेलीविज़न और रेडियो स्टेशनों पर राजनीतिक प्रसारण के लिये समय का प्रावधान तथा मतदाता सूची तक पहुँच जैसे कुछ विशेषाधिकारों को निर्धारित करती है।
राजनीतिक दलों की मान्यता के लिये शर्तें:
- राष्ट्रीय राजनीतिक दल के रूप में मान्यता के लिये शर्तें:
- किसी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल के रूप में तब मान्यता दी जाएगी जब वह निम्नलिखित अहर्ताओं में से किसी एक को पूरा करता हो-
- लोकसभा या राज्यों के विधानसभा चुनावों में 4 अलग-अलग राज्यों से कुल वैध मतों के 6 प्रतिशत मत प्राप्त करे तथा इसके अतिरिक्त 4 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करे। या
- लोकसभा चुनावों में कुल लोकसभा सीटों की 2 प्रतिशत (11 सीट) सीटों पर जीत हासिल करता हो तथा ये सीटें कम-से-कम तीन अलग-अलग राज्यों से हों। या
- यदि कोई दल चार या इससे अधिक राज्यों में राज्य स्तरीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त करे।
- किसी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल के रूप में तब मान्यता दी जाएगी जब वह निम्नलिखित अहर्ताओं में से किसी एक को पूरा करता हो-
- राज्य स्तरीय राजनीतिक दल के रूप में मान्यता के लिये शर्तें:
- किसी राजनीतिक दल को राज्य स्तरीय दल के रूप में तब मान्यता दी जाएगी जब वह निम्नलिखित अहर्ताओं में से किसी एक को पूरा करता हो-
- यदि यह संबंधित राज्य की विधानसभा के आम चुनाव में राज्य में डाले गए वैध मतों का 6% प्राप्त करता है और इसके अलावा, यह संबंधित राज्य की विधानसभा में 2 सीटें जीतता है या
- यदि यह संबंधित राज्य से लोकसभा के आम चुनाव में राज्य में डाले गए वैध वोटों का 6% हासिल करता है और इसके अलावा, यह संबंधित राज्य से लोकसभा में 1 सीट जीतता है या
- दल ने राज्य की विधानसभा के लिये हुए चुनावों में कुल सीटों का 3 प्रतिशत या 3 सीटें, जो भी अधिक हो, प्राप्त किया हो।
- यदि वह प्रत्येक 25 सीटों के लिये लोकसभा में 1 सीट या संबंधित राज्य से लोकसभा के लिये आम चुनाव में राज्य को आवंटित उसके किसी भी अंश के लिये जीतता है।
- यदि यह राज्य या राज्य की विधानसभा से लोकसभा के आम चुनाव में राज्य में डाले गए कुल वैध वोटों का 8% प्राप्त करता है। यह शर्त 2011 में जोड़ी गई थी।
- किसी राजनीतिक दल को राज्य स्तरीय दल के रूप में तब मान्यता दी जाएगी जब वह निम्नलिखित अहर्ताओं में से किसी एक को पूरा करता हो-
जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम (RPA)
- परिचय:
- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का आयोजन लोकतंत्र का अनिश्चित-शून्य है। स्वतंत्र, निष्पक्ष और निष्पक्ष तरीके से चुनाव के संचालन को सुनिश्चित करने के लिये संविधान निर्माताओं ने संविधान में भाग XV (अनुच्छेद 324-329) को शामिल किया और संसद को चुनावी प्रक्रिया को विनियमित करने के लिये कानून बनाने का अधिकार दिया।
- इस संदर्भ में संसद ने जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम (RPA), 1950 और जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम, 1951 अधिनियमित किया है।
- जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम (RPA), 1950
- मुख्य प्रावधान:
- निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिये प्रक्रियाएँ निर्धारित करता है।
- लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं और विधान परिषदों में सीटों के आबंटन का प्रावधान करता है।
- मतदाता सूचियों को तैयार करने और सीटों को भरने के तरीके के लिये प्रक्रिया निर्धारित करता है।
- मतदाताओं की योग्यता निर्धारित करता है।
- मुख्य प्रावधान:
- जन प्रतिनिधित्त्व अधिनियम (RPA), 1951
- मुख्य प्रावधान:
- यह चुनाव और उप-चुनावों के वास्तविक संचालन को नियंत्रित करता है।
- यह चुनाव कराने के लिये प्रशासनिक मशीनरी प्रदान करता है।
- यह राजनीतिक दलों के पंजीकरण से संबंधित है।
- यह सदनों की सदस्यता के लिये अर्हताओं और अयोग्यताओं को निर्दिष्ट करता है।
- इसमें भ्रष्ट आचरण और अन्य अपराधों पर अंकुश लगाने के प्रावधान किये गए हैं।
- इसमें चुनावों से उत्पन्न संदेहों और विवादों को निपटाने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
- मुख्य प्रावधान:
यूपीएससी सिविल सेवा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर:(b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। |