जैव विविधता और पर्यावरण
रेड सैंड बोआ
- 02 Sep 2023
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:रेड सैंड बोआ, वन्यजीव संरक्षण सोसायटी (WCS)-भारत मेन्स के लिये:अवैध वन्यजीव व्यापार को संबोधित करने का महत्त्व |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन सोसाइटी (WCS)-इंडिया की 'भारत में रेड सैंड बोआ का अवैध व्यापार 2016-2021' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट ने रेड सैंड बोआ के व्यापार का खुलासा किया है।
- यह चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन रेड सैंड बोआ के अवैध व्यापार के विषय में गंभीर चिंता और संरक्षण प्रयासों की तात्कालिकता को रेखांकित करता है।
रिपोर्ट के मुख्य तथ्य:
- रिपोर्ट में वर्ष 2016 और वर्ष 2021 के बीच रेड सैंड बोआ से जुड़ी ज़ब्ती की कुल 172 घटनाओं का दस्तावेज़ीकरण किया गया है, जिससे अवैध व्यापार की चिंताजनक सीमा का पता चलता है।
- अवैध व्यापार 18 भारतीय राज्यों, 1 केंद्रशासित प्रदेश और 87 ज़िलों तक फैला है; महाराष्ट्र तथा यूपी में सबसे ज़्यादा घटनाएँ दर्ज की गईं।
- 59 मामलों के साथ महाराष्ट्र का दबदबा है, जिसमें पुणे, ठाणे, मुंबई उपनगरीय जैसे शहरी क्षेत्र भी शामिल हैं।
- उत्तर प्रदेश 33 घटनाओं पर बारीकी से नज़र रखता है, जो अक्सर नेपाल की सीमा के पास, जैसे कि बहराइच और लखीमपुर-खीरी जैसे ज़िलों में होती हैं।
- सोशल मीडिया, विशेष रूप से यूट्यूब, वर्ष 2021 में 200 बिक्री-प्रचार वीडियो के साथ अवैध व्यापार में सहायक है।
- रिपोर्ट के निष्कर्ष रेड सैंड बोआ की आबादी में और गिरावट को रोकने तथा भारत की जैवविविधता की रक्षा के लिये संरक्षण प्रयासों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
रेड सैंड बोआ से संबंधित मुख्य तथ्य:
- परिचय:
- रेड सैंड बोआ (Eryx johnii), जिसे आमतौर पर इंडियन सैंड बोआ कहा जाता है, एक गैर विषैली प्रजाति है।
- यह मुख्य रूप से लाल-भूरे रंग का साँप है जो औसतन 75 सेमी. लंबा होता है।
- अधिकांश साँपों के विपरीत इसकी पूँछ लगभग इसके शरीर जितनी मोटी होती है जिससे यह "दो सिरों" वाला लगता है।
- रेड सैंड बोआ विश्व के सैंड बोआ में सबसे बड़ा है। यह रात्रिचर होने के साथ अपना अधिकांश समय ज़मीन के नीचे बिताता है।
- वितरण:
- यह उत्तर-पूर्वी राज्यों और उत्तरी-बंगाल को छोड़कर पूरे भारत में पाया जाता है लेकिन भारत के द्वीपों पर नहीं पाया जाता है।
- स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: निकट संकटग्रस्त
- वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट II।
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972: अनुसूची IV।
- रेड सैंड बोआ को खतरा:
- मानव बस्तियों का विस्तार एवं मानवीय गतिविधियाँ।
- व्यापार के साथ-साथ काले जादू में उपयोग हेतु मांग में वृद्धि।
- कथित औषधीय लाभों के लिये शिकार किया जाना।
वन्यजीव संरक्षण सोसायटी (WCS)- भारत:
- WCS-इंडिया (वाणिज्य, कला, विज्ञान, धर्म, दान या किसी अन्य उपयोगी उद्देश्य को बढ़ावा देने वाला संगठन और जिसका कोई लाभ का उद्देश्य नहीं है) भारत में गैर-लाभकारी संगठन है, जो संरक्षण के प्रति एक मज़बूत प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है।
- यह भारतीय नियमों के पूर्ण अनुपालन में संचालित होता है, जो देश के प्राकृतिक पर्यावरण और इसकी समृद्ध जैवविविधता के संरक्षण के प्रति समर्पण पर ज़ोर देता है।
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