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भारतीय अर्थव्यवस्था

RBI ने 2,000 रुपए के नोट को प्रचलन से हटाया

  • 23 May 2023
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), विमुद्रीकरण, भ्रष्टाचार, सिक्का निर्माण अधिनियम, 2011, RBI अधिनियम, 1934, वित्त अधिनियम, 2017

मेन्स के लिये:

RBI की क्लीन नोट पॉलिसी, 2,000 रुपए के नोट को प्रचलन से हटाने का प्रभाव, भारत में कानूनी निविदा के प्रकार, विमुद्रीकरण

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने 19 मई, 2023 को घोषणा की कि वह 2000 रुपए मूल्यवर्ग के नोटों को प्रचलन से वापस ले लेगा।

  • हालाँकि मौजूदा नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे। RBI ने एक उदार समय-सीमा प्रदान की है, जिससे व्यक्ति 30 सितंबर, 2023 तक नोट जमा या विनिमय कर सकते हैं।
  • यह कदम RBI की क्लीन नोट पॉलिसी का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य जनता को बेहतर सुरक्षा सुविधाओं के साथ उच्च गुणवत्ता वाले करेंसी नोट एवं सिक्के प्रदान करना है

RBI का 2,000 रुपए के नोट को प्रचलन से हटाने का कारण: 

  • 2000 रुपए के नोट की निकासी:  
    • RBI के अनुसार, 2000 रुपए के नोटों को प्रचलन से हटाना उसके मुद्रा प्रबंधन कार्यों का हिस्सा है।
    • विमुद्रीकरण के दौरान 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को वापस लेने के बाद तत्काल मुद्रा आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु वर्ष 2016 में 2000 रुपए के नोट का प्रचलन शुरू किया गया था।
      • उपलब्ध अन्य मूल्यवर्ग के नोटों की पर्याप्त आपूर्ति के साथ वर्ष 2018-19 में 2000 रुपए के नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी, क्योंकि मुद्रा की आवश्यकता का प्रारंभिक उद्देश्य प्राप्त किया जा चुका था।
    • 31 मार्च, 2023 तक प्रचलन में शामिल 2000 रुपए के नोटों का कुल मूल्य घटकर 3.62 लाख करोड़ रुपए हो गया, जो प्रचलन में कुल नोटों का केवल 10.8% है।
      • अंतिम बार भारत ने नवंबर 2016 में विमुद्रीकरण किया था, जब सरकार ने जाली नोटों को चलन से हटाने के उद्देश्य से  500 और 1000 रुपए के नोट वापस ले लिये थे।
      • इस कदम ने रातोंरात अर्थव्यवस्था की 86% मूल्य मुद्रा को प्रचलन से हटा दिया था।
  • 2000 रुपए के नोटों को बदलना और जमा करना:
    • 2000 रुपए के नोटों को बदलने और जमा करने की सीमा एक समय में 20,000 रुपए निर्धारित की गई है। गैर-खाताधारक भी इन नोटों को किसी भी बैंक शाखा में बदल सकते हैं।
    • नो योर कस्टमर (KYC) अर्थात् (अपने ग्राहक को जानिये) मानदंडों और अन्य लागू नियमों के अनुपालन के अधीन बिना किसी सीमा के ये नोट बैंक खातों में जमा किये जा सकते हैं।
  • प्रभाव:  
    • RBI गवर्नर ने कहा कि 2000 रुपए के नोटों को वापस लेने का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर "बहुत मामूली" होगा क्योंकि प्रचलित कुल मुद्रा में इनका हिस्सा केवल 10.8 प्रतिशत है
      • इन नोटों को प्रचलन से हटाए जाने से “सामान्य जीवन या अर्थव्यवस्था” में व्यवधान उत्पन्न नहीं होगा क्योंकि अन्य मूल्यवर्गों में बैंक नोटों का पर्याप्त भंडार है
    • कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि उच्च मूल्यवर्ग के नोट वापस लेना "विमुद्रीकरण का एक उचित कदम" है और उच्च ऋण वृद्धि के समय बैंक जमा को बढ़ावा दे सकता है।
      • इन नोटों को प्रचलन से हटाए जाने से जमा दर में वृद्धि पर दबाव कम हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप अल्पकालिक ब्याज दरों में कमी आ सकती है एवं इससे काले धन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी

RBI की क्लीन नोट पॉलिसी क्या है? 

  • क्लीन नोट पॉलिसी नागरिकों को मुद्रा नोट और सिक्के प्रदान करने पर केंद्रित है, जिसमें खराब, गंदे या पुराने नोटों को प्रचलन से वापस लेते समय सुरक्षा सुविधाओं को बढ़ाया जाता है।
    • 'खराब नोट' का आशय ऐसे नोट से है जो सामान्य लेन-देन के कारण गंदा या क्षतिग्रस्त  हो गया है और इसके अंतर्गत एक साथ चिपके हुए फटे नोट भी शामिल हैं जिसमें फटे हुए नोट के टुकड़े एक ही नोट के होते हैं और बिना किसी आवश्यक विशेषता के पूरे नोट को आकर देते हैं।
  • वर्ष 2005 के बाद छपे बैंक नोटों की तुलना में कम सुरक्षा सुविधाओं के कारण वर्ष 2005 से पहले जारी किये गए सभी बैंक नोटों को RBI ने वापस ले लिया था। हालाँकि ये पुराने नोट अभी भी कानूनी निविदा हैं और अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं के साथ संरेखित करने के लिये वापस ले लिये गए हैं। 

भारत में विमुद्रीकरण:

  • परिचय:  
    • विमुद्रीकरण कानूनी मुद्रा के रूप में मौजूद एक मुद्रा इकाई को प्रचलन से बाहर करने का कार्य है। मुद्रा के वर्तमान रूप या रूपों को प्रचलन से वापस ले लिया जाता है और सेवानिवृत्त कर दिया जाता है, जिसे सामान्यतः नए नोटों या सिक्कों से परिवर्तित कर दिया जाता है।
  • भारत में वैधता:  
    • भारत में विमुद्रीकरण का कानूनी आधार भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26(2) है, जो RBI की सिफारिश पर केंद्र सरकार को आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बैंक नोटों की किसी भी शृंखला को कानूनी निविदा नहीं घोषित करने का अधिकार देती है।
    • भारत की विभिन्न अदालतों में दायर कई याचिकाओं में विमुद्रीकरण की वैधता को चुनौती दी गई थी।
      • हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने विमुद्रीकरण को वैध ठहराया और कहा कि 500 रुपए तथा 1,000 रुपए के करेंसी नोटों का विमुद्रीकरण आनुपातिकता के परीक्षण को सुनिश्चित करता है।
        • आनुपातिकता का परीक्षण यह दर्शाता है कि क्या विमुद्रीकरण के लाभ लागत से अधिक हैं।
        • आनुपातिकता का परीक्षण सुनिश्चित करने हेतु विमुद्रीकरण के लाभ पर्याप्त रूप से महत्त्वपूर्ण होने चाहिये जो इसके कारण होने वाली लागतों और व्यवधानों को उचित ठहरा सकें।
  • लाभ:  
    • मुद्रा का स्थिरीकरण: विमुद्रीकरण का उपयोग मुद्रा को स्थिर करने और मुद्रास्फीति से लड़ने, व्यापार को सुविधाजनक बनाने, जालसाज़ी पर अंकुश लगाने, बाज़ारों तक पहुँच बनाने तथा अनौपचारिक आर्थिक गतिविधियों को अधिक पारदर्शिता एवं काले और ग्रे बाज़ारों से दूर करने के लिये एक उपकरण के रूप में उपयोग किया गया है। 
    • काले धन पर अंकुश लगाना: सरकार ने तर्क दिया कि विमुद्रीकरण कर चोरी करने वालों, भ्रष्ट अधिकारियों, अपराधियों और आतंकवादियों द्वारा नकद के रूप में रखे गए काले धन या बेहिसाब आय को उजागर कर देगा।
      • इससे सरकार के कर आधार और राजस्व में वृद्धि होगी और देश में भ्रष्टाचार तथा अपराध कम होंगे।
    • डिजिटलीकरण को बढ़ावा देता है: यह वाणिज्यिक लेन-देन के डिजिटलीकरण को भी प्रोत्साहित करता है, अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाता है तथा इस प्रकार सरकार के कर राजस्व में वृद्धि करता है। यह भुगतान प्रणाली में पारदर्शिता, दक्षता के साथ ही  सुविधाजनक है एवं मुद्रा की छपाई और प्रबंधन की लागत को कम करता है।
      • अर्थव्यवस्था के औपचारिकीकरण का अर्थ है कंपनियों को सरकार के नियामक शासन के अंतर्गत लाने के साथ विनिर्माण और आयकर से संबंधित कानूनों के अधीन करना।
  • कमियाँ:
    • अस्थायी मंदी: विमुद्रीकरण के दौरान रूपांतरण प्रक्रिया आर्थिक गतिविधियों में अस्थायी मंदी का कारण बन सकती है।
      • पुरानी मुद्रा की एकाएक वापसी और नई मुद्रा की सीमित उपलब्धता के कारण होने वाला व्यवधान व्यापार लेन-देन, उपभोक्ता खर्च और समग्र आर्थिक उत्पादकता में बाधा उत्पन्न कर सकता है
    • प्रशासनिक लागत: विमुद्रीकरण को लागू करने में पर्याप्त प्रशासनिक लागतें शामिल हैं। नए करेंसी नोटों की छपाई, ATMs की पुनर्गणना और परिवर्तनों के बारे में जानकारी का प्रसार करना महँगा हो सकता है।
      • ये लागतें आमतौर पर सरकार द्वारा वहन की जाती हैं, जो सार्वजनिक वित्त को प्रभावित कर सकती हैं तथा अन्य आवश्यक क्षेत्रों या सार्वजनिक कल्याण कार्यक्रमों से संसाधनों को हटा सकती हैं।
    • नकदी संचालित क्षेत्रों पर प्रभाव: खुदरा, आतिथ्य और छोटे व्यवसायों जैसे नकदी संचालित क्षेत्रों को विमुद्रीकरण के दौरान अधिक हानि हो सकती है
      • छोटे व्यवसाय, विशेष रूप से जो कम लाभ अधिशेष पर काम कर रहे हैं, नई भुगतान प्रणालियों के अनुकूल होने के लिये संघर्ष कर सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप बिक्री कम हो सकती है, छंँटनी हो सकती है और अत्यधिक मामलों में व्यापार बंद हो सकता है। 

भारत में कानूनी निविदा: 

  • परिचय:  
    • एक कानूनी निविदा मुद्रा का एक रूप है जिसे कानून द्वारा ऋण या दायित्वों के निर्वहन के लिये स्वीकार्य साधन के रूप में मान्यता प्राप्त है।
      • RBI यह निर्धारित करने के लिये ज़िम्मेदार है कि लेन-देन के लिये मुद्रा के किस रूप को वैध माना जाए। 
    • इसमें सिक्का अधिनियम, 2011 की धारा 6 के तहत भारत सरकार द्वारा जारी किये गए सिक्के और RBI अधिनियम, 1934 की धारा 26 के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये गए बैंक नोट शामिल हैं। 
      • सरकार 1,000 रुपए तक के सभी सिक्के और 1 रुपए का नोट जारी करती है।
      • RBI 1 रुपए  के नोट के अलावा अन्य करेंसी नोट जारी करता है।
  • प्रकार:  
    • कानूनी निविदा प्रकृति में सीमित या असीमित हो सकती है।
      • भारत में सिक्के सीमित वैध मुद्रा के रूप में कार्य करते हैं। एक रुपए के बराबर या उससे अधिक मूल्यवर्ग के सिक्कों को एक हज़ार रुपए तक की राशि के लिये कानूनी निविदा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
        • इसके अतिरिक्त पचास पैसे के सिक्कों को दस रुपए तक की राशि के लिये कानूनी निविदा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
      • बैंक नोट उन पर बताई गई किसी भी राशि के लिये असीमित कानूनी निविदा के रूप में कार्य करते हैं।
  • हालाँकि काले धन पर अंकुश लगाने के लिये वित्त अधिनियम 2017 द्वारा किये गए उपायों के परिणामस्वरूप आयकर अधिनियम में एक नई धारा 269ST जोड़ी गई थी।
  • एक नकद लेन-देन धारा 269ST द्वारा प्रतिबंधित था और प्रतिदिन केवल 2 लाख रुपए तक के मूल्य की अनुमति थी। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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