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RBI द्वारा जमा चुनौतियों पर हिदायत तथा HFC के लिये तरलता संबंधी नियमों में सख्ती

  • 13 Aug 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक, आवास वित्त कंपनियाँ, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ, म्यूचुअल फंड, नकद आरक्षित अनुपात, तरलता कवरेज अनुपात (LCR) ढाँचा

मुख्य परीक्षा के लिये:

धीमी जमा वृद्धि पर चिंताएँ, बैंकिंग क्षेत्र की तरलता और जमा वृद्धि, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFC)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) के गवर्नर ने बैंकों से जमा वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये नवीन उत्पाद विकसित करने का आग्रह किया है।

  • यह ऋण मांग में वृद्धि की तुलना में जमा वृद्धि दर धीमी होने के कारण हुआ है, जिससे बैंकिंग क्षेत्र की तरलता के लिये संभावित जोखिम उत्पन्न हो गया है।
  • एक अन्य घटनाक्रम में, RBI ने आवास वित्त कंपनियों (Housing Finance Companies- HFC) के लिये तरलता मानदंडों को कड़ा कर दिया है, तथा उन्हें गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies- NBFC) के नियमों के अनुरूप कर दिया है, ताकि इन संस्थाओं की वित्तीय स्थिरता को मजबूत किया जा सके।

जमा वृद्धि के संबंध में चिंताएँ क्या हैं?

  • ऋण बनाम जमा वृद्धि: ऋण-जमा अनुपात 20 वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है, जिसमें बैंक जमा में वर्ष-दर-वर्ष 11.1% की वृद्धि हुई है, जबकि ऋण वृद्धि 17.4% रही है।
    • बैंक जमा की वृद्धि, ऋण मांग में वृद्धि के साथ तालमेल नहीं रख पाई है, जिससे ऋण और जमा वृद्धि के बीच अंतर बढ़ता जा रहा है।
  • अल्पावधि जमा पर निर्भरता: बैंक ऋण मांग को पूरा करने के लिये अल्पावधि जमा और अन्य देयता साधनों का उपयोग तेज़ी से कर रहे हैं, जिससे संरचनात्मक तरलता चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • वैकल्पिक निवेश की ओर रुख: परिवार अपनी बचत को बैंक जमा से हटाकर म्यूचुअल फंड, स्टॉक, बीमा और पेंशन फंड में लगा रहे हैं। यह बदलाव, शुद्ध वित्तीय परिसंपत्तियों में गिरावट (2020-21 में GDP के 11.5% से 2022-23 में 5.1% तक) और बढ़ती मुद्रास्फीति के साथ, जमा वृद्धि को धीमा करने में योगदान देता है।
    • भारतीय शेयर बाज़ारों के मज़बूत प्रदर्शन के कारण निवेशक पारंपरिक बैंक जमाओं की तुलना में इक्विटी को अधिक पसंद कर रहे हैं।
    • इस बदलाव ने जमा में धीमी वृद्धि में योगदान दिया है, जैसा कि म्यूचुअल फंड उद्योग की प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियों (Assets Under Management- AUM) के अप्रैल 2019 में 24.79 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर अप्रैल 2024 में 57.26 लाख करोड़ रुपए हो जाने से स्पष्ट है
  • विनियामक आवश्यकताएँ: जुटाई गई जमाराशियों का एक हिस्सा नकद आरक्षित अनुपात (CRR) और वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) जैसी विनियामक आवश्यकताओं में बँधा हुआ है, जिससे बैंकों के पास कम उधार देने योग्य निधियाँ रह जाती हैं और जमाराशियों के लिये प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है।
    • जमाराशि और ऋण वृद्धि के बीच बढ़ता हुआ अंतर बैंकिंग प्रणाली की स्थिरता को खतरे में डाल सकता है, यदि इसे सक्रिय उपायों से हल नहीं किया जाता है। 
  • बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा: बैंकों को न केवल एक-दूसरे से बल्कि उच्च-रिटर्न इक्विटी-लिंक्ड उत्पादों से भी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। मज़बूत प्रदर्शन और बढ़ती वित्तीय साक्षरता के कारण निवेशक तीव्रता से इक्विटी बाज़ारों की ओर रुख कर रहे हैं। 
  • तरलता जोखिम प्रबंधन पर प्रभाव: बैंकों ने जमा प्रमाणपत्रों (CD) पर अधिक विश्वास करके ऋण-जमा अंतर को कम करने का प्रयास किया है। हालांकि इससे ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के प्रति उनकी संवेदनशीलता बढ़ जाती है और तरलता जोखिम प्रबंधन जटिल हो जाता है, जिससे प्रणाली बाजार में उतार-चढ़ाव के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है। 
  • विवेकपूर्ण तरलता प्रबंधन की आवश्यकता: सक्रिय तरलता प्रबंधन आवश्यक है। आरबीआई इन उभरती चुनौतियों से निपटने के लिये तरलता कवरेज़ अनुपात (LCR) ढाँचे की समीक्षा कर रहा है, साथ ही दृष्टिकोण को परिष्कृत करने के लिये सार्वजनिक परामर्श की योजना बना रहा है।

बैंक जमा वृद्धि को बढ़ाने के लिये कौन-सी रणनीति अपना सकते हैं?

  • मुख्य व्यवसाय पर ध्यान दें: भारत के वित्त मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बैंकों को जमा जुटाने और उधार देने के अपने प्राथमिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये गतिविधियाँ बैंकिंग की "ब्रेड एंड बटर" हैं।
    • शाखा नेटवर्क का विस्तार, विशेष रूप से कम सेवा वाले या ग्रामीण क्षेत्रों में, बैंकों को नए ग्राहक खंडों तक पहुँचने में मदद कर सकता है, जिससे कुल जमा प्रवाह में वृद्धि हो सकती है।
  • नवीन जमा जुटाना: बैंकों को आकर्षक और अभिनव उत्पादों को प्रस्तुत करके जमा जुटाने में आक्रामक होने के लिये प्रोत्साहित किया गया, जिससे ब्याज दरों का प्रबंधन करने हेतु  RBI द्वारा दी गई स्वतंत्रता का लाभ उठाया जा सके।
    • वित्त मंत्री ने बैंकों से थोक जमा पर बहुत अधिक निर्भरता से बचने और इसके बजाय छोटे बचतकर्ताओं पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया, जो टिकाऊ बैंकिंग संचालन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • लचीले उत्पाद: बैंक कर-बचत वाली सावधि जमाओं के लिये लॉक-इन अवधि को पाँच वर्ष से घटाकर तीन वर्ष करने पर विचार कर सकते हैं, जिससे वे म्यूचुअल फंड और इक्विटी-लिंक्ड बचत योजनाओं (ELSS) जैसे वैकल्पिक निवेश विकल्पों के साथ अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकें। 
  • प्रोत्साहन और प्रोन्नति: ग्राहकों को आकर्षित करने हेतु नई जमाओं के लिये आकर्षक ब्याज दरें, बोनस या नकद प्रोत्साहन प्रदान करना।
    • बचत खातों और सावधि जमा पर उच्च ब्याज दर की पेशकश से अधिक जमा आकर्षित हो सकते हैं, विशेषकर जोखिम से बचने वाले ग्राहकों से, जो इक्विटी से संभावित रूप से उच्च, लेकिन अनिश्चित रिटर्न की तुलना में स्थिर रिटर्न पसंद करते हैं।
  • प्रौद्योगिकी: बैंक व्यक्तिगत बचत और जमा उत्पादों की पेशकश करने के लिये डेटा एनालिटिक्स का उपयोग कर सकते हैं, जिससे ग्राहकों के लिये अपनी बचत का प्रबंधन और वृद्धि करना आसान हो जाता है।
    • उपयोगकर्त्ता के अनुकूल इंटरफेस और वित्तीय नियोजन उपकरणों के साथ मोबाइल बैंकिंग ऐप अधिक जमा को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
  • ग्राहक जुड़ाव: लक्षित विपणन अभियानों और लॉयल्टी प्रोग्राम के माध्यम से ग्राहक संबंधों को सुदृढ़ करना मौजूदा ग्राहकों को अपनी जमा राशि बढ़ाने एवं नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिये प्रोत्साहित कर सकता है।
    • वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम आयोजित करना जो ग्राहकों को बचत के महत्त्व और बैंक जमा की सुरक्षा के बारे में शिक्षित करते हैं, जमा वृद्धि को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

HFC के लिये RBI के नए चलनिधि मानदंड क्या हैं?

  • नई चलनिधि आवश्यकताएँ: सार्वजनिक जमा जुटाने वाली HFC को अब वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये अधिक चल परिसंपत्ति बनाए रखने की आवश्यकता होगी।
    • चल परिसंपत्ति की आवश्यकता को चरणों में 13% से बढ़ाकर 15% कर दिया गया है: HFC को 1 जनवरी 2025 तक चल परिसंपत्ति को 14% तक बढ़ाना होगा। जुलाई 2025 तक इस प्रतिशत को और बढ़ाकर 15% करना होगा।
    • HFC को अब सार्वजनिक जमा स्वीकार करना जारी रखने के लिये कम से कम एक वर्ष में न्यूनतम निवेश-ग्रेड क्रेडिट रेटिंग प्राप्त करना आवश्यक होगा।
      • यदि किसी HFC की क्रेडिट रेटिंग आवश्यक ग्रेड से नीचे आती है, तो उसे रेटिंग में सुधार होने तक मौजूदा जमा को नवीनीकृत करने या नए जमा स्वीकार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 
      • यह उपाय सुनिश्चित करता है कि केवल वित्तीय रूप से सुदृढ़ HFC ही सार्वजनिक जमा स्वीकार कर सकते हैं, जिससे जमाकर्त्ताओं के लिये जोखिम कम हो जाता है।
    • HFC में सार्वजनिक जमा के लिये अधिकतम अवधि दस वर्ष से घटाकर पाँच वर्ष कर दी गई है।
      • पाँच वर्ष से अधिक की परिपक्वता वाली मौजूदा जमा राशियों को उनकी मूल शर्तों के अनुसार परिपक्व होने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन नई  पाँच वर्ष की सीमा से अधिक नहीं हो सकतीं।
      • अवधि में यह कमी दीर्घकालिक चलनिधि जोखिमों को कम करने में मदद करती है। 
    • RBI ने HFC द्वारा रखी जाने वाली सार्वजनिक जमाराशि की अधिकतम सीमा को तीन गुना से घटाकर 1.5 गुना कर दिया है। इस नई सीमा से अधिक जमाराशि रखने वाली HFC को तब तक नई जमाराशि स्वीकार करने या मौजूदा जमाराशि को नवीनीकृत करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि वे संशोधित सीमा का अनुपालन नहीं करती हैं।
      • इस उपाय का उद्देश्य आवास वित्त कंपनियों द्वारा अत्यधिक ऋण लेने से रोकना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अपनी देनदारियों और परिसंपत्तियों के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाए रखें।
  • NBFC विनियमों के साथ संरेखण: पहले, HFC विशेष रूप से जमा स्वीकृति के संदर्भ में NBFC की तुलना में अधिक शिथिल विवेकपूर्ण मानदंडों के तहत कार्य करते थे।
    • RBI के नए दिशा-निर्देशों का उद्देश्य HFC को जमा स्वीकार करने वाली NBFC के समान मानते हुए इन विसंगतियों को दूर करना है। यह संरेखण सभी NBFC श्रेणियों में जमा स्वीकृति से जुड़ी एक समान विनियामक चिंताओं को संबोधित करता है।

आवास वित्त कंपनियाँ 

  • HFC कंपनी अधिनियम 1956 के तहत स्थापित विशेष संस्थाएँ हैं, जिन्हें शुरू में नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB) द्वारा विनियमित किया जाता था। हालाँकि, वर्ष 2019 में HFC पर विनियामक प्राधिकरण RBI को हस्तांतरित कर दिया गया था।
  • इन कंपनियों को विभिन्न आय समूहों में आवास ऋण की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये बनाया गया था। समय के साथ, HFC होम लोन का एक प्रमुख स्रोत बन गए हैं और प्रायः अपने अधिक लचीले ऋण देने की पद्धति के कारण ऋण वितरण मात्रा में पारंपरिक बैंकों से आगे निकल जाते हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. पारंपरिक बैंक जमा से वैकल्पिक निवेश की पद्धति में बदलाव का भारतीय वित्तीय प्रणाली पर प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये। बैंक जमा को बनाए रखने और आकर्षित करने के लिये क्या उपाय कर सकते हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. केंद्र सरकार द्वारा रिज़र्व बैंक (आर.बी.आई.) के गवर्नर की नियुक्ति की जाती है।
  2. भारतीय संविधान के कतिपय प्रावधान केंद्र सरकार को जनहित में आर.बी.आई. को निर्देश देने का अधिकार देते हैं।
  3. आर.बी.आई. का गर्वनर अपना अधिकार (पावर) आर.बी.आई. अधिनियम से प्राप्त करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2            
(b)  केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3  
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

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