RBI ने FEMA नियमों को सरल बनाया | 11 May 2024
स्रोत: बिज़नेस लाइन
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने डेरिवेटिव में विदेशी निवेश की सुविधा के लिये विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) नियमों को सरल बना दिया है।
- डेरिवेटिव एक प्रकार की वित्तीय सुरक्षा है जो दो या दो से अधिक पक्षों के बीच निर्धारित की जाती है। डेरिवेटिव स्टॉक और बॉण्ड डेरिवेटिव से लेकर आर्थिक संकेतक डेरिवेटिव तक कई रूप ले सकते हैं।
हाल के FEMA विनियम क्या हैं?
- परिचय:
- हालिया संशोधनों का उद्देश्य भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह अनुमत डेरिवेटिव में व्यापार के लिये मार्जिन प्रबंधन की सुविधा प्रदान करना है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा FEMA नियमों में संशोधन के बाद विदेशी निवेशकों के लिये डेरिवेटिव उपकरणों में निवेश करना सरल हो जाएगा।
- वर्तमान तंत्र:
- RBI ब्याज दर डेरिवेटिव (ब्याज दर स्वैप, फॉरवर्ड रेट समझौता, ब्याज दर भविष्य और विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव, विदेशी मुद्रा फॉरवर्ड, मुद्रा स्वैप एवं मुद्रा विकल्प) को अनुमत डेरिवेटिव अनुबंधों के रूप में सूचीबद्ध करता है।
- क्रमानुसार इक्विटी में, चार प्रकार के डेरिवेटिव में वायदा अनुबंध, विकल्प अनुबंध और स्वैप अनुबंध शामिल हैं।
- हालिया परिवर्तन:
- प्राधिकृत डीलर (AD) को ब्याज वाले खातों को स्वीकार करने की अनुमति: भारत में अधिकृत डीलर (AD) भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों को अनुमत व्युत्पन्न अनुबंधों से भारत में मार्जिन एकत्र करने के लिये भारतीय रुपए या विदेशी मुद्रा में ब्याज आधारित खाते खोलने, रखने और बनाए रखने की अनुमति दे सकता है।
- मौजूदा व्यवस्था में भी RBI ने अनुमत डेरिवेटिव (व्युत्पन्न) अनुबंधों को पिछले प्रावधानों के समान ही रखा है।
- अनिवासियों के लिये लाभ:
- अनिवासी मार्जिन-संबंधित उद्देश्यों के लिये भारत में AD के साथ ब्याज आधारित खाते खोल सकते हैं और उन्हें बनाए रख सकते हैं तथा इन खातों को निष्क्रिय रखने के बजाय उन पर ब्याज अर्जित कर सकते हैं।
- मार्जिन आवश्यकताओं के लिये समर्पित खाता होने से गैर-निवासियों के लिये भारत में अनुमत डेरिवेटिव अनुबंधों से संबंधित अपने मार्जिन दायित्वों तथा फंडों का प्रबंधन करना सरल हो जाता है।
- प्राधिकृत डीलर (AD) को ब्याज वाले खातों को स्वीकार करने की अनुमति: भारत में अधिकृत डीलर (AD) भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों को अनुमत व्युत्पन्न अनुबंधों से भारत में मार्जिन एकत्र करने के लिये भारतीय रुपए या विदेशी मुद्रा में ब्याज आधारित खाते खोलने, रखने और बनाए रखने की अनुमति दे सकता है।
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 क्या है?
- भारत में विदेशी मुद्रा लेनदेन के प्रशासन के लिये कानूनी ढाँचा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 द्वारा प्रदान किया गया है।
- FEMA के तहत, विदेशी मुद्रा से जुड़े सभी लेनदेन को पूंजी या चालू खाता लेनदेन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- चालू खाता लेन-देन:
- भारत के बाहर किसी निवासी द्वारा किये गए सभी लेन-देन जो उसकी संपत्ति या देनदारियों में बदलाव नहीं करते हैं, चालू खाता लेनदेन हैं।
- उदाहरण: विदेशी व्यापार के संबंध में भुगतान, विदेश यात्रा, शिक्षा आदि के संबंध में व्यय।
- पूंजी खाता लेन-देन:
- इसमें वे लेन-देन शामिल होते हैं जो भारत के निवासी द्वारा किये जाते हैं जैसे कि भारत के बाहर किसी नागरिक की संपत्तियों या देनदारियों का परिवर्तित होना।
- उदाहरण: विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश, भारत के बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण आदि।
- चालू खाता लेन-देन:
- निवासी भारतीय:
- FEMA, 1999 की धारा 2(v) में 'भारत में निवासी व्यक्ति' को इस प्रकार परिभाषित किया गया है।
- पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 182 दिनों से अधिक समय तक भारत में रहने वाला व्यक्ति।
- भारत में पंजीकृत या निगमित कोई भी व्यक्ति या निकाय।
- FEMA, 1999 की धारा 2(v) में 'भारत में निवासी व्यक्ति' को इस प्रकार परिभाषित किया गया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में निम्नलिखित में से कौन-सा एक मद समूह सम्मिलित है? (2013) (a) विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, विशेष आहरण अधिकार (एस.डी.आर.) तथा विदेशों से ऋण उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न. चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये। (2021) प्रश्न. विश्व के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उत्पादक राज्यों से भारत की निकटता ने भारत की आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। नशीली दवाओं के अवैध व्यापार एवं बंदूक बेचने, गुपचुप धन विदेश भेजने और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियों को स्पष्ट कीजिये। इन गतिविधियों को रोकने के लिये क्या-क्या प्रतिरोधी उपाय किये जाने चाहिये? (2018) |