सेबी ने ‘कमोडिटी ऑप्शन’ के लिये ट्रेडिंग नियम निर्धारित किये
संदर्भ
हाल ही में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ऑप्शन ट्रेडिंग के लिये कमोडिटी एक्सचेंजों को मंज़ूरी दी है। उल्लेखनीय है कि यह नियामक ढाँचा सेबी बोर्ड के कमोडिटी ऑप्शन को मंजूरी देने के लगभग दो महीने बाद आया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- यह भी सुनिश्चित किया कि ऐसे अनुबंध केवल उन वस्तुओं पर पेश किये जा सकते हैं, जो वर्तमान में वायदा खंड में उच्च मात्रा में पंजीकृत हैं।
- आरंभिक तौर पर प्रत्येक एक्सचेंज़ को केवल एक कमोडिटी पर ही इस तरह के ऑप्शन शुरू करने की अनुमति दी जाएगी।
- सेबी ने कहा कि केवल उन फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट पर ही विकल्प लॉन्च किये जा सकते हैं, जो पिछले 12 महीनों के कुल कारोबार के मामले में शीर्ष पाँच अनुबंधों में से एक है।
- ऑप्शन के लिये तभी कमोडिटी के फ्यूचर कांट्रेक्ट को चुना जा सकेगा, यदि पिछले एक साल के दौरान उसका दैनिक औसत टर्न-ओवर एग्री कमोडिटी के मामले में कम-से-कम-200 करोड़ रुपए और नॉन एग्री कमोडिटी के मामले में 1000 करोड़ रुपए हो।
- मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज़ ऑफ इंडिया (MCX), कच्चा तेल, सोना, रजत, जस्ता और ताँबा जैसी वस्तुओं को ऑप्शन अनुबंध के लिये चुन सकता है।
- इस प्रकार के ऑप्शनों से कमोडिटी बाज़ार की समग्र भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा तथा कमोडिटी बाज़ार को अधिक मज़बूत और कुशल बनाने में सहयोग करेगा।
- वायदा और ऑप्शन के संयोजन से बाज़ार सहभागियों को वायदा की कीमतों को विकसित करने और ऑप्शनों के सरल जोखिम प्रबंधन का लाभ प्रदान करेगा।
सेबी
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यह भारतीय प्रतिभूति बाज़ार की नियामक संस्था है, जिसकी स्थापना 1988 में हुई थी। सेबी अधिनियम, 1992 के माध्यम से 30 जनवरी 1992 को सेबी को वैधानिक शक्तियाँ प्रदान की गई थी।
- सेबी अर्द्ध-विधायी, अर्द्ध-न्यायिक और अर्द्ध-कार्यकारी तीनों प्रकार के कार्य संपादित करता है।