राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार (पंजीकरण और कल्याण) विधेयक, 2023 | 26 Jul 2023
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान विधानसभा ने गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से एक महत्त्वपूर्ण विधेयक पारित किया है।
- इस विधेयक का उद्देश्य गिग वर्कर्स के लिये सुरक्षा और लाभों की कमी को दूर करना है, जिन्हें पहले ओला, उबर, स्विगी, ज़ोमैटो और अमेज़न जैसी कंपनियों के कर्मचारियों के बजाय "साझेदार" के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
- इससे पूर्व सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 में गिग वर्कर्स के लिये जीवन, विकलांगता, स्वास्थ्य लाभ और अन्य सहित सामाजिक सुरक्षा निधि को अनिवार्य किया गया था।
राजस्थान प्लेटफॉर्म-आधारित गिग कर्मकार (पंजीकरण और कल्याण) विधेयक, 2023:
- परिचय:
- राजस्थान प्लेटफाॅर्म-आधारित गिग कर्मकार (पंजीकरण और कल्याण) विधेयक अर्थव्यवस्था में गिग वर्कर्स के महत्त्वपूर्ण योगदान को स्वीकार करता है एवं इसका उद्देश्य उन्हें आवश्यक सुरक्षा तथा सहायता प्रदान करना है।
- इस विधेयक का प्राथमिक उद्देश्य राज्य में काम करने वाले गिग वर्कर को सामाजिक सुरक्षा और कल्याण लाभ प्रदान करना है।
- मुख्य बिंदु:
- गिग वर्कर्स का पंजीकरण:
- विधेयक सभी गिग वर्कर्स को श्रम नियमों के अंतर्गत लाने के लिये राज्य सरकार के साथ पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है।
- राज्य सरकार राजस्थान में कार्य करने वाले सभी गिग वर्कर्स का एक व्यापक डेटाबेस बनाए रखेगी।
- प्रत्येक गिग वर्कर को एक विशिष्ट आईडी दी जाएगी जिससे उसके रोज़गार की जानकारी और अधिकारों पर नज़र रखने में सुविधा होगी।
- सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुँच:
- गिग वर्कर को अनेक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुँच प्रदान की जाएगी।
- इन योजनाओं में स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना कवरेज और आपात स्थिति के दौरान वित्तीय सहायता प्रदान करने के साथ-साथ अन्य कल्याणकारी उपाय शामिल हो सकते हैं।
- शिकायत निवारण तंत्र:
- यह विधेयक सुनिश्चित करता है कि गिग वर्कर को उसकी किसी भी शिकायत को सुनने और उसका समाधान करने का अधिकार है।
- यह प्रावधान गिग वर्कर्स के अधिकारों की रक्षा और उन्हें काम से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
- प्लेटफार्म-आधारित गिग वर्कर कल्याण बोर्ड की स्थापना:
- यह बोर्ड राज्य में गिग वर्कर के कल्याण और अधिकारों की देखरेख के लिये ज़िम्मेदार होगा।
- कल्याण बोर्ड में राज्य के अधिकारी, गिग वर्कर्स और एग्रीगेटर्स के प्रत्येक पाँच प्रतिनिधि और दो अन्य (एक सिविल सोसाइटी से और दूसरा जो किसी अन्य क्षेत्र में रुचि रखता है) शामिल हैं।
- नामांकित सदस्यों में कम-से-कम एक-तिहाई महिलाएँ होनी चाहिये।
- इस प्रतिनिधित्व का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कल्याण और विनियमन से संबंधित निर्णय लेते समय दोनों पक्षों के हितों पर विचार किया जाए।
- प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर कोष और कल्याण शुल्क:
- यह बिल गिग वर्कर्स के लिये सामाजिक सुरक्षा उपायों को वित्तपोषित करने हेतु "प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर कोष और कल्याण शुल्क" पेश करता है।
- इस कोष का उपयोग चुनौतीपूर्ण समय के दौरान गिग वर्कर को वित्तीय सहायता एवं कल्याण लाभ प्रदान करने के लिये किया जाएगा।
- एग्रीगेटर्स पर लगाया जाने वाला शुल्क:
- एग्रीगेटर्स को प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर से जुड़े प्रत्येक लेन-देन के लिये शुल्क का भुगतान करना होगा।
- कल्याण कोष में योगदान के लिये शुल्क का विशिष्ट प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
- गैर-अनुपालन के लिये दंड:
- विधेयक में एग्रीगेटर्स द्वारा अनुपालन न करने की स्थिति में दंड का प्रावधान शामिल है।
- समय पर कल्याण शुल्क का भुगतान करने में विफल रहने वाले एग्रीगेटर्स से नियत तिथि से 12% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज लिया जाएगा।
- राज्य सरकार एग्रीगेटर्स द्वारा अधिनियम के पहली बार उल्लंघन के लिये 5 लाख रुपए तक और बाद के उल्लंघन के लिये 50 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना लगा सकती है।
- गिग वर्कर्स का पंजीकरण:
गिग वर्कर:
- एक 'गिग वर्कर' को वर्तमान में ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो "पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों के बाहर ऐसी गतिविधियों से आय अर्जित करता है जैसे- स्विगी, ज़ोमैटो, ओला, उबर, अर्बन कंपनी आदि विभिन्न प्लेटफॉर्मों या एग्रीगेटर्स के लिये अनुबंध पर कार्य करता है"।
- गिग वर्कर नियमित कर्मचारियों से भिन्न होते हैं, क्योंकि उनके पास लचीले काम के घंटे तथा आय के विभिन्न स्रोत होते हैं।
- उन्हें मासिक या घंटे के आधार पर नहीं, बल्कि उनके द्वारा पूर्ण किये गए कार्यों या सेवाओं के आधार पर भुगतान किया जाता है।
- गिग वर्कर विभिन्न सेवाएँ प्रदान करते हैं, जैसे- भोजन वितरण, राइड-हेलिंग, घरेलू सेवाएँ, ई-कॉमर्स, सामग्री निर्माण, ग्राफिक डिज़ाइन, वेब के विकास आदि।
- वे अपना कार्य करने के लिये अपने स्वयं के उपकरणों, वाहनों तथा औजारों का उपयोग करते हैं।
- बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और माइकल एंड सुसान डेल फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गिग वर्कर्स की संख्या लगभग 15 मिलियन होने का अनुमान है। इनके वर्ष 2028 तक बढ़कर 90 मिलियन होने की उम्मीद है।
- गिग इकॉनमी एक मुक्त बाज़ार प्रणाली है जिसमें सामान्यतः अस्थायी पद होते हैं और संगठन अल्पकालिक कार्यों के लिये स्वतंत्र वर्कर के साथ अनुबंध करते हैं।
- सामाजिक सुरक्षा पर संहिता, 2020:
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 का उद्देश्य संगठित या असंगठित क्षेत्रों के सभी कर्मचारियों और वर्कर्स तक इसे विस्तारित करने के लिये सामाजिक सुरक्षा से संबंधित कानूनों में संशोधन तथा समेकित करना है।
- संहिता को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना के माध्यम से आकार-सीमा के अधीन प्रतिष्ठानों पर लागू किया जा सकता है।
- असंगठित वर्कर्स, गिग वर्कर्स एवं प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिये केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अलग-अलग सामाजिक सुरक्षा कोष स्थापित किये जाएंगे।
- असंगठित वर्कर्स, गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिये पंजीकरण प्रावधान निर्दिष्ट हैं।
- इन श्रेणियों के वर्कर्स के लिये योजनाओं की सिफारिश और निगरानी के लिये एक राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की स्थापना की जाएगी।
- गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स की योजनाओं के लिये धनराशि केंद्र तथा राज्य सरकारों के साथ-साथ प्रवर्तकों के योगदान से प्राप्त की जा सकती है।
- कुछ अपराधों के लिये दंड कम कर दिया गया है, जिसमें निरीक्षकों के कार्य में बाधा डालना और गैर-कानूनी तरीके से वेतन काटना शामिल है।
- महामारी के दौरान केंद्र सरकार नियोक्ता और कर्मचारी योगदान [कर्मचारी राज्य बीमा (ESI) और भविष्य निधि (PF) के तहत] को तीन महीने तक के लिये स्थगित या कम कर सकती है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत में महिलाओं के सशक्तीकरण की प्रक्रिया में 'गिग इकॉनमी' की भूमिका का परीक्षण कीजिये। (2021) |