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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

बीसीजी वैक्सीन के प्रयोग पर WHO की चिंता

  • 04 May 2020
  • 10 min read

प्रीलिम्स के लिये

बीसीजी वैक्सीन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, COVID-19 

मेन्स के लिये

COVID-19 से निपटने हेतु वैश्विक प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organisation- WHO) महानिदेशक और कुछ अन्य विशेषज्ञों ने COVID-19 से बचाव हेतु स्वास्थ्य कर्मियों को बीसीजी वैक्सीन (BCG Vaccine) देने से पहले वैक्सीन पर चल रहे ‘यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण’ (Randomized Controlled Trial- RCT) के परिणामों के आने का इंतजार करने का सुझाव दिया है।

मुख्य बिंदु:

  • गौरतलब है कि 28 मार्च, 2020 को ‘medRxiv’ नामक ऑनलाइन मेडिकल वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि ‘सार्वभौमिक बीसीजी टीकाकरण’ (Universal BCG Vaccination) वाले देशों में COVID-19 संक्रमण और यहाँ तक मृत्युदर भी ‘गैर-सार्वभौमिक बीसीजी टीकाकरण’ वाले देशों की तुलना में काफी कम थी। 
  • हालाँकि अभी इस अध्ययन की वैधता की समीक्षा की जानी बाकी है और अभी यह किसी वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित नहीं किया गया है।    
  • 30 अप्रैल, 2020 को ‘लैसेंट’ (Lacent) नामक एक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक लेख के माध्यम से WHO महानिदेशक और कुछ अन्य विशेषज्ञों ने COVID-19 से बचाव हेतु स्वास्थ्य कर्मियों को बीसीजी वैक्सीन देने से पहले COVID-19 के संदर्भ में इसकी सुरक्षा और प्रभाव को जाँचने हेतु इस वैक्सीन पर चल रहे RCT परीक्षण के परिणामों के आने का इंतजार करने का सुझाव दिया है।
  • हालाँकि इस लेख में विशेषज्ञों ने यह संभावना व्यक्त की है कि बीसीजी वैक्सीन, जो भविष्य के संक्रमणों के लिये जन्मजात/प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाती है, संभवतः कोरोनावायरस संक्रमण की तीव्रता, शरीर पर COVID-19 के प्रभावों को कम करने और इस बीमारी से जल्दी ठीक होने में सहायक हो सकती है।
  • वर्तमान में स्वास्थ्य कर्मियों में कोरोनावायरस संक्रमण के मामलों और COVID-19 की गंभीरता को कम करने में बीसीजी वैक्सीन की भूमिका के संदर्भ में ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड में  यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षणों का संचालन किया जा रहा है।

बड़े पैमाने पर बीसीजी वैक्सीन में उपयोग को रोकने के कारण: 

  • RCT परीक्षण के परिणामों के आने तक बीसीजी वैक्सीन के उपयोग को बढ़ावा न दिये जाने के लिये विशेषज्ञों ने निम्नलिखित कारण बताए हैं:
    1. विशेषज्ञों के अनुसार, COVID-19 संक्रमण के कम मामलों वाले देशों में इसे सार्वभौमिक बीसीजी टीकाकरण से जोड़कर प्रस्तुत करने वाले आँकड़े व्यक्तिगत संख्या की बजाय आबादी के आधार पर लिये गए हैं।
    2. जन्म के समय हुए बीसीजी टीकाकरण के लाभकारी प्रभावों से दशकों बाद COVID-19 की गंभीरता को कम करने की संभावना बहुत ही कम है।
    3. यदि यह वैक्सीन सभी मरीज़ों में COVID-19 के खिलाफ प्रभावी नहीं होती तो टीकाकरण लोगों में झूठी/काल्पनिक सुरक्षा की भावना पैदा कर सकता है जो इस महामारी के समय काफी खतरनाक हो सकती है।
    4. बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के बड़े पैमाने पर वैक्सीन के प्रयोग से पहले से ही कम वैक्सीन की आपूर्ति और अधिक प्रभावित हो सकती है, जिससे तपेदिक की अधिकता वाले देशों में बच्चों के टीकाकरण में चुनौती उत्पन्न हो सकती है।

बीसीजी वैक्सीन: 

  • बीसीजी अर्थात् ‘बैसिल कैल्मेट-गुएरिन’ (Bacille Calmette-Guérin'-BCG) वैक्सीन के आविष्कार का श्रेय दो फ्राँसीसी वैज्ञानिकों अल्बर्ट कैल्मेट (Albert Calmette) और  ‘कैमिल गुएरिन’(Camille Guérin) को जाता है। 
  • बीसीजी वैक्सीन का पहला मानव परीक्षण वर्ष 1921 में शुरू हुआ। 
  • बहुत से विकसित देशों के तपेदिक मुक्त होने के कारण इन देशों में नियमित रूप से बच्चों को बीसीजी वैक्सीन का टीका नहीं दिया जाता। परंतु विकासशील देशों में, जहाँ तपेदिक का प्रसार आज भी जारी है, यह वैक्सीन बड़े पैमाने पर प्रयोग की जाती है।    
  • बीसीजी वैक्सीन तपेदिक रोग में कुछ सीमित सुरक्षा प्रदान करती है, हालाँकि यह बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं को संक्रमण स्थापित करने से नहीं रोक सकती परंतु शिशुओं और छोटे बच्चों में तपेदिक के गंभीर मामलों को रोकने में सहायता करती है।       
  • हालाँकि बीसीजी वैक्सीन के सुरक्षात्मक प्रभावों के लाभ तपेदिक के अतिरिक्त कुछ अन्य रोगों के संदर्भ में भी देखने को मिले हैं।  
  • उदाहरण के लिये जब वर्ष 1927 में स्वीडन के उत्तरी प्रांत में इस वैक्सीन का टीकाकरण शुरू किया गया तो एक चिकित्सक ने पाया कि जन्म के समय बीसीजी वैक्सीन प्राप्त करने वाले बच्चों की मृत्युदर, गैर-टीकाकरण वाले बच्चों की तुलना में एक -तिहाई (⅓)  थी। 
  • साथ ही 1940-50 के दशक के दौरान अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (UK) में बच्चों और किशोरों में इस वैक्सीन के नियंत्रित परीक्षण के दौरान बीसीजी के कारण तपेदिक के अतिरिक्त अन्य गैर-दुर्घटना से जुड़ी मौतों में 25% की गिरावट देखी गई।
  • कुछ वर्षों पहले पश्चिमी अफ्रीका में हुए परीक्षणों में देखा गया कि बीसीजी टीकाकरण से बच्चों में सेप्सिस (Sepsis) और श्वसन संक्रमण (Respiratory Infection) के मामलों में कमी हुई जिससे जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों में मृत्युदर में 40% तक की गिरावट देखी गई। 

बीसीजी बैक्सीन के सकारात्मक परिणाम का कारण: 

  • विशेषज्ञों के अनुसार, प्रतिरक्षा विज्ञान के क्षेत्र में सामान्य अवधारणा यह है कि अनुकूल प्रतिरक्षा के विपरीत जन्मजात प्रतिरक्षा स्थिर रहती है और किसी बढ़ी हुई कार्यात्मक स्थिति के अनुरूप इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता है।
  • यह देखा गया है कि जब किसी व्यक्ति को बीसीजी वैक्सीन दी जाती है तो यह जन्मजात प्रतिरक्षा प्रणाली के कुछ हिस्सों का निर्माण करने वाले ‘मोनोसाइट्स’ (Monocytes) नामक कोशिकाओं को रिप्रोग्राम (Reprogram) कर प्रतिरक्षा क्षमता में वृद्धि करती है। 
  • इसके कारण इन मोनोसाइट्स में कई तरह के रोगजनकों के समक्ष प्रतिक्रिया में वृद्धि देखी गई, इस प्रक्रिया में ‘साइटोकाइंस’ (Cytokines) नामक रसायन का उत्सर्जन होता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को हानिकारक रोगाणुओं से लड़ने के लिये प्रेरित करते हैं। 

आगे की राह:  

  • हालाँकि अलग-अलग-रोगों के मामले में बीसीजी वैक्सीन के कई सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं परंतु वर्तमान में बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के इसके प्रयोग को बढ़ावा नहीं न दिया जाना चाहिये। 
  • विश्व के कई विकासशील देशों की ही तरह भारत भी अभी तक तपेदिक को समाप्त करने में सफल नहीं रहा है, अतः बड़े पैमाने पर बीसीजी वैक्सीन की कमी से यह समस्या और भी बढ़ सकती है।
  • COVID-19 के मामले में बीसीजी के साथ ही पहले से उपस्थित अन्य संभावित दवाओं पर शोध को बढ़ावा दिया जाना चाहिये जिससे शीघ्र ही इस बीमारी का इलाज़ संभव हो सके।

स्रोत: द हिंदू

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