सामाजिक न्याय
त्वरित सुधार जल प्रबंधन
- 25 Jul 2023
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:अमृत सरोवर मिशन, अटल भूजल योजना, त्वरित सुधार जल समाधान मेन्स के लिये:जल का अभाव और संबंधित कदम, जल संसाधन, संसाधनों का संरक्षण |
चर्चा में क्यों?
भारत में बढ़ते जल संकट की समस्या को हल करने में गैर-लाभकारी और नागरिक समाज संगठनों द्वारा त्वरित-सुधार समाधानों के तहत अहम भूमिका निभाई जा रही है।
- हालाँकि ये त्वरित सुधार लंबे समय तक स्थायी नहीं हो सकते हैं। इन त्वरित सुधारों की सावधानीपूर्वक जाँच करना तथा यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हम ऐसी रणनीतियाँ अपनाएँ जो भविष्य में स्थायी बनी रह सकें।
त्वरित-सुधार जल समाधान:
- परिचय:
- त्वरित-सुधार जल समाधान से तात्पर्य विशेष रूप से जल की कमी या जल प्रबंधन में चुनौतियों का सामना करने वाले क्षेत्रों में जल से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिये लागू किये गए तत्काल और अक्सर अस्थायी उपायों से है।
- विभिन्न हस्तक्षेप:
- नदियों को चौड़ा और गहरा करना: जल-वहन क्षमता बढ़ाने के लिये प्राकृतिक जलस्रोतों को संशोधित करना।
- जल संचयन प्रतियोगिताएँ: विभिन्न समुदायों को वर्षा जल संचयन और जल-बचत प्रथाओं को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना।
- व्यापक जल प्रबंधन रणनीतियों के बिना सीमित प्रभाव।
- नदी किनारे वृक्षारोपण: यह विधि मिट्टी को स्थिर रखती है और कटाव को रोकती है।
- बड़े जल प्रबंधन मुद्दों को पूरी तरह से संबोधित नहीं किया जा सकता है।
- त्वरित अवसंरचना विकास: सीवेज उपचार संयंत्रों और जल ग्रिड जैसी जल सुविधाओं का तेज़ी से निर्माण करना।
- जलभृतों का कृत्रिम पुनर्भरण: भूजल स्तर की पुनः प्राप्ति हेतु भूमिगत जलभृतों में जल भरना।
- इससे निपटने के लिये सतत् स्थायी प्रबंधन की आवश्यकता है।
- अलवणीकरण संयंत्र: जल की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये समुद्री जल को मीठे जल में परिवर्तित करना।
- ऊर्जा-गहन और महँगा होने के कारण यह कुछ क्षेत्रों में कम व्यवहार्य हो जाता है।
- त्वरित सुधार जल समाधान पहल:
- जलयुक्त शिवार अभियान:
- महाराष्ट्र सरकार की पहल (2014) का उद्देश्य नदी को चौड़ा करने, गहरा करने,बाँधों की जाँच करने और गाद निकालने के माध्यम से वर्ष 2019 तक राज्य को सूखा मुक्त बनाना है।
- विशेषज्ञ इसे अवैज्ञानिक, पारिस्थितिक रूप से हानिकारक होने के कारण इसकी आलोचना करते हैं, जिससे अपरदन, जैवविविधता हानि और बाढ़ के जोखिम में वृद्धि होती है।
- वाटर कप:
- वर्ष 2016 में एक गैर-लाभकारी संगठन द्वारा शुरू की गई एक प्रतियोगिता ने महाराष्ट्र के गाँवों को सूखे से बचाव हेतु जल संचयन के लिये प्रोत्साहित किया।
- आलोचक वैधता और स्थिरता पर सवाल उठाते हैं, क्योंकि इसमें जल की गुणवत्ता, भूजल प्रभाव, सामाजिक समानता तथा रखरखाव तंत्र की अनदेखी की गई है।
- जलयुक्त शिवार अभियान:
जल प्रबंधन के त्वरित समाधान में चुनौतियाँ:
- पर्यावरणीय प्रभाव:
- नदी को चौड़ा और गहरा करने जैसे तीव्र हस्तक्षेप से पारिस्थितिक क्षति हो सकती है।
- जल्दबाजी वाली परियोजनाओं के कारण अपरदन, अवसादन और जैवविविधता का नुकसान हो सकता है।
- सीमित सामुदायिक सहभागिता:
- त्वरित सुधार दृष्टिकोण में हितधारकों के साथ पर्याप्त भागीदारी और परामर्श की कमी हो सकती है।
- सामाजिक आयाम की उपेक्षा से प्रतिरोध और संघर्ष की स्थिति हो सकती है।
- फंडिंग निर्भरता:
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) फंडिंग पर भरोसा करने से निर्णय लेने की स्वतंत्रता सीमित हो सकती है।
- सामुदायिक आवश्यकताओं के बजाय दाताओं के हितों से प्रभावित परियोजनाओं को प्राथमिकता देना।
- भूजल प्रबंधन की उपेक्षा:
- सतही जल समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने से भूजल की महत्त्वपूर्ण भूमिका की अनदेखी हो सकती है।
- सतत् जल आपूर्ति के लिये भूजल पुनर्भरण और प्रबंधन महत्त्वपूर्ण है।
- परस्पर विरोधी कार्यक्रम:
- कुछ राज्य परियोजनाएँ सामुदायिक और पर्यावरणीय हितों के अनुरूप नहीं हो सकती हैं।
- उदाहरण: नदी तट विकास, केंद्रीकृत सीवेज ट्रीटमेंट, विशाल जल ग्रिड।
- महत्त्वपूर्ण भागीदारी से बदलाव:
- गहन विश्लेषण और समझ से "तकनीकी-प्रबंधकीय दृष्टिकोण" की ओर मानसिकता में बदलाव।
- इसका अर्थ है तकनीकी ज्ञान और समस्या-समाधान पर बहुत अधिक ज़ोर देना, जिससे जल प्रबंधन से संबंधित महत्त्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक तथा पारिस्थितिक पहलुओं की अनदेखी हो सकती है।
- गहन विश्लेषण और समझ से "तकनीकी-प्रबंधकीय दृष्टिकोण" की ओर मानसिकता में बदलाव।
भारत में जल संकट से निपटने के लिये सरकारी योजनाएँ:
- अमृत सरोवर मिशन:
- अमृत सरोवर मिशन 24 अप्रैल, 2022 को लॉन्च किया गया, इस मिशन का लक्ष्य आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूप में प्रत्येक ज़िले में 75 जल निकायों को विकसित और पुनर्जीवित करना है।
- मिशन का उद्देश्य स्थानीय जल निकायों की जल भंडारण क्षमता और गुणवत्ता में सुधार करना, बेहतर जल उपलब्धता और पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य में योगदान देना है।
- अटल भू-जल योजना:
- यह योजना गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ जल-तनावग्रस्त क्षेत्रों को लक्षित करती है।
- अटल भू-जल योजना का प्राथमिक उद्देश्य स्थायी भू-जल प्रबंधन के लिये स्थानीय समुदायों को शामिल करते हुए वैज्ञानिक तरीकों से भू-जल की मांग का प्रबंधन करना है।
- केंद्रीय भू-जल प्राधिकरण (CGWA):
- CGWA देश भर में उद्योगों, खनन परियोजनाओं और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं द्वारा भू-जल के उपयोग को नियंत्रित और विनियमित करता है।
- CGWA और राज्य दिशा-निर्देशों के अनुरूप भू-जल निकासी के लिये अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी करते हैं, जिससे जल का उत्तरदायित्वपूर्ण उपयोग सुनिश्चित होता है।
- राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण कार्यक्रम (NAQUIM):
- केंद्रीय भूजल बोर्ड देश में 25.15 लाख वर्ग किमी. के क्षेत्र को शामिल करने वाले जलभृतों के मानचित्रण के लिये NAQUIM लागू कर रहा है।
- सूचित हस्तक्षेप की सुविधा के लिये अध्ययन रिपोर्ट और प्रबंधन योजनाएँ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा की जाती हैं।
- भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिये मास्टर प्लान- 2020:
- इस योजना में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के सहयोग से तैयार मास्टर प्लान में लगभग 1.42 करोड़ रुपए की लागत से वर्षा जल संचयन और कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण की रूपरेखा है।
- योजना का लक्ष्य 185 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) जल का उपयोग करना, जल संरक्षण और पुनर्भरण को बढ़ावा देना है।
आगे की राह
- तात्कालिक ज़रूरतों और दीर्घकालिक चुनौतियों, दोनों का हल करने वाली व्यापक और धारणीय जल प्रबंधन रणनीतियों को अपनाया जाना।
- जल प्रबंधन संबंधी निर्णयों में समुदायों के दृष्टिकोण को शामिल करते हुए प्रभावी सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- भविष्य में जल संकट से निपटने के लिये जल संबंधी बुनियादी ढाँचे और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में निवेश को प्राथमिकता देना।
- जल प्रबंधन पहल की प्रभावशीलता और प्रभाव का आकलन करने के लिये ठोस निगरानी एवं मूल्यांकन तंत्र की स्थापना करना।
- भावी पीढ़ियों हेतु पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार भू-जल प्रबंधन और संरक्षण प्रथाओं को बढ़ावा देना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राचीन नगर उन्नत जल संचयन और प्रबंधन प्रणाली के लिये सुप्रसिद्ध है, जहाँ बाँधों की एक शृंखला का निर्माण किया गया था और संबद्ध जलाशयों में नहर के माध्यम से जल को प्रवाहित किया जाता था? (2021) (a) धोलावीरा उत्तर: (a) प्रश्न. 'वाटर क्रेडिट' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. जल संरक्षण एवं जल सुरक्षा हेतु भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित जल शक्ति अभियान की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? (2020) प्रश्न. रिक्तीकरण परिदृश्य में विवेकी जल उपयोग के लिये जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपायों को सुझाइये। (2020) |