बुजुर्गों के लिये जीवन का गुणवत्ता सूचकांक | 12 Aug 2021
प्रिलिम्स के लियेप्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद, सकल घरेलू उत्पाद, राष्ट्रीय बुजुर्ग नीति मेन्स के लियेबुजुर्गों के जीवन की गुणवत्ता की स्थिति एवं चुनौतियाँ, बुजुर्गों से संबंधित पहल |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने बुजुर्गों के लिये जीवन का गुणवत्ता सूचकांक जारी किया।
- देश में कुल आबादी के प्रतिशत के रूप में बुजुर्गों की हिस्सेदारी वर्ष 2001 में लगभग 7.5 प्रतिशत थी, जो बढ़कर वर्ष 2026 तक लगभग 12.5 प्रतिशत हो जाएगी तथा वर्ष 2050 तक 19.5 प्रतिशत से अधिक होने की उम्मीद है।
- प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) एक गैर-संवैधानिक, गैर-सांविधिक, स्वतंत्र निकाय है, जिसका गठन भारत सरकार, विशेष रूप से प्रधानमंत्री को आर्थिक और संबंधित मुद्दों पर सलाह देने के लिये किया गया है।
प्रमुख बिंदु
परिचय :
- EAC-PM के अनुरोध पर इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस द्वारा यह सूचकांक तैयार किया गया है, जो ऐसे मुद्दों पर प्रकाश डालता है जिनका अक्सर बुजुर्गों के सामने आने वाली समस्याओं में उल्लेख नहीं किया जाता है।
- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग, भारत में केंद्रित एक अंतर्राष्ट्रीय पहल है, जो प्रतिस्पर्द्धा और रणनीति पर अनुसंधान व ज्ञान के निकाय के विस्तार एवं उद्देश्यपूर्ण प्रसार के लिये समर्पित है।
- यह रिपोर्ट भारतीय राज्यों में आयु बढ़ने के क्षेत्रीय पैटर्न की पहचान करने के साथ-साथ देश में आयु बढ़ने की समग्र स्थिति का भी आकलन करती है।
- आयु एक सतत्, अपरिवर्तनीय, सार्वभौमिक प्रक्रिया है, जो गर्भाधान से शुरू होकर व्यक्ति की मृत्यु तक होती है।
- हालाँकि जिस आयु में किसी के उत्पादक योगदान में गिरावट आती है तथा वह आर्थिक रूप से निर्भर हो जाता है, उसे सामान्यत: जीवन के वृद्ध चरण की शुरुआत के रूप में माना जा सकता है।
- राष्ट्रीय बुजुर्ग नीति, 60+ आयु वर्ग के लोगों को बुजुर्ग के रूप में परिभाषित करती है।
- यह निष्पक्ष रैंकिंग के माध्यम से राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देगी तथा उन स्तंभों और संकेतकों पर प्रकाश डालेगी जिनमें वे सुधार कर सकते हैं।
सूचकांक के स्तंभ और उप-स्तंभ:
- चार स्तंभ:
- वित्तीय कल्याण, सामाजिक कल्याण, स्वास्थ्य प्रणाली और आय सुरक्षा
- आठ उप-स्तंभ:
- आर्थिक सशक्तीकरण, शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति और रोजगार, सामाजिक स्थिति, शारीरिक सुरक्षा, बुनियादी स्वास्थ्य, मनोवैज्ञानिक कल्याण, सामाजिक सुरक्षा तथा पर्यावरण को सक्षम बनाना।
प्रमुख निष्कर्ष:
- राज्यवार रैंकिंग:
- राजस्थान और हिमाचल प्रदेश क्रमशः वृद्ध और अपेक्षाकृत वृद्ध राज्यों में शीर्ष स्कोरर हैं।
- वृद्ध राज्य 5 मिलियन से अधिक की वृद्ध आबादी वाले राज्यों को संदर्भित करता है, जबकि अपेक्षाकृत वृद्ध राज्य 5 मिलियन से कम की वृद्ध आबादी वाले राज्यों को संदर्भित करता है।
- चंडीगढ़ और मिज़ोरम केंद्रशासित प्रदेश और उत्तर-पूर्वी राज्यों की श्रेणी में शीर्ष स्कोरर हैं।
- राजस्थान और हिमाचल प्रदेश क्रमशः वृद्ध और अपेक्षाकृत वृद्ध राज्यों में शीर्ष स्कोरर हैं।
- स्तंभवार प्रदर्शन:
- स्वास्थ्य प्रणाली स्तंभ का अखिल भारतीय स्तर पर उच्चतम राष्ट्रीय औसत 66.97 है, जिसके बाद सामाजिक कल्याण स्तंभ का स्कोर 62.34 है।
- वित्तीय कल्याण का स्कोर 44.7 है, जो शिक्षा प्राप्ति और रोज़गार स्तंभ में 21 राज्यों के निम्न प्रदर्शन से कम है, यह सुधार की संभावना को प्रदर्शित करता है।
- राज्यों ने आय सुरक्षा स्तंभ में विशेष रूप से खराब प्रदर्शन किया है क्योंकि आधे से अधिक राज्यों का आय सुरक्षा में राष्ट्रीय औसत से कम स्कोर है, जो सभी स्तंभों में सबसे कम है।
चुनौतियाँ:
- महिलाओं की अधिक आयु प्रत्याशा:
- जनसंख्या में लोगों की सामान्य आयु के उभरते मुद्दों में से एक "महिलाओं की अधिक आयु प्रत्याशा" है, जिसके परिणामस्वरूप वृद्धावस्था के कुल प्रतिशत में महिलाओं का अनुपात पुरुषों की तुलना में अधिक होता है।
- आय सुरक्षा:
- भारत में विश्व स्तर पर सबसे कमज़ोर सामाजिक सुरक्षा तंत्र है क्योंकि यह अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का केवल 1% पेंशन पर खर्च करता है।
- अर्थव्यवस्था में बुजुर्गों का एकीकरण:
- वर्तमान वृद्ध व्यक्ति की विशिष्ट ज़रूरतों, प्रेरणाओं और वरीयताओं को पूरा करने तथा सक्रिय आयु को बढ़ावा देने के साथ उन्हें समाज में योगदान करने का मौका देने की आवश्यकता है।
- स्वास्थ्य देखभाल और सेवाएँ:
- स्वस्थ आयु में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिये अच्छा स्वास्थ्य समाज के मूल में है। जैसे-जैसे भारत में वृद्ध लोगों की जीवन प्रत्याशा बढ़ती है, हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि लोग अधिक आयु तक जीवित रहें, स्वस्थ जीवन जिएँ, जो वृद्ध व्यक्तियों, उनके परिवारों और समाज के लिये अधिक महत्त्वपूर्ण है।
संबंधित प्रयास:
- सीनियर केयर एजिंग ग्रोथ इंजन (SAGE): सेज पोर्टल (SAGE Portal) विश्वसनीय स्टार्टअप्स के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों की देखरेख में उपयोगी उत्पादों तथा सेवाओं को प्रदान करने वाला ‘वन-स्टॉप एक्सेस’ होगा।
- वृद्ध व्यक्तियों के लिये एकीकृत कार्यक्रम (IPOP): योजना का मुख्य उद्देश्य आश्रय, भोजन, चिकित्सा देखभाल और मनोरंजन के अवसर आदि जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करके वृद्ध व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
- राष्ट्रीय वयोश्री योजना (RVY): इसका उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे (BPL) की श्रेणी के वरिष्ठ नागरिकों को शारीरिक सहायता और जीवन यापन के लिये आवश्यक उपकरण प्रदान करना है, जो कम दृष्टि, श्रवण दोष, दाँतों की हानि तथा चलने में अक्षमता जैसी आयु से संबंधित अक्षमताओं से पीड़ित हैं।
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना: इस योजना के तहत भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों और गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन करने वाले परिवारों से संबंधित व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसमें 60-79 वर्ष आयु वर्ग के व्यक्तियों को 200 रुपए प्रतिमाह तथा 80 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों को 500 रुपए प्रतिमाह की केंद्रीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है।
- प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY): यह वरिष्ठ नागरिकों के लिये एक पेंशन योजना है, जिसके तहत मासिक, त्रैमासिक, अर्द्ध-वार्षिक या वार्षिक आधार पर 10 वर्षों की अवधि के लिये गारंटीड रिटर्न की व्यवस्था की गई है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिये उपलब्ध है जिनकी आयु 60 वर्ष और उससे अधिक है।
- वयोश्रेष्ठ सम्मान: 1 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (International Day of Older Person) पर वरिष्ठ नागरिकों की सराहनीय सेवा करने वाले संस्थानों और वरिष्ठ नागरिकों को उनकी उत्तम सेवाओं तथा उपलब्धियों के लिये यह राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया जाता है।
- माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण (MWPSC) अधिनियम, 2007: इसका मुख्य उद्देश्य माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों तथा उनके कल्याण के लिये आवश्यकता-आधारित रखरखाव या देखभाल सुनिश्चित करना है।
वैश्विक प्रयास (Global Initiatives):
- स्वस्थ आयु में वृद्धि का दशक (2020-2030): स्वस्थ आयु में वृद्धि के दशक को 73वें विश्व स्वास्थ्य सभा (विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्णय लेने वाली संस्था) द्वारा 2020 में समर्थन दिया गया था।
- सतत् विकास के लिये एजेंडा 2030 किसी को पीछे नहीं छोड़ने और यह सुनिश्चित करने हेतु तत्पर है कि सतत् विकास लक्ष्य (SDG) समाज के सभी वर्गों के लिये हर आयु में वृद्ध व्यक्तियों सहित सबसे कमज़ोर लोगों का समावेश करेगा।
आगे की राह
- भारत को अक्सर एक युवा समाज के रूप में चित्रित किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त होता है। लेकिन हर देश जो जनसांख्यिकीय परिवर्तन की प्रक्रिया से गुजरता है, की तरह भारत में भी आयु बढ़ने के कारण समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- वृद्ध व्यक्तियों के कल्याण और देखभाल के लिये हमें पहले से मौजूद सामाजिक समर्थन प्रणालियों/पारंपरिक सामाजिक संस्थानों जैसे- परिवार तथा रिश्तेदारी, पड़ोसियों से बेहतर संबंध, सामुदायिक संबंध व सामुदायिक भागीदारी को पुनर्जीवित करने पर ध्यान देना चाहिये और परिवार के लोगों को बुजुर्गों के प्रति संवेदनशीलता दिखानी चाहिये।