साइकेडेलिक पदार्थ | 03 May 2023
प्रिलिम्स के लिये:साइकेडेलिक पदार्थ, मनोचिकित्सा, NDPS अधिनियम 1985, अवसाद, नशीली दवाओं की तस्करी। मेन्स के लिये:साइकेडेलिक पदार्थ और उनके निहितार्थ। |
चर्चा में क्यों?
हाल के वर्षों में मनोचिकित्सा (Psychiatry) के नैदानिक और अनुसंधान क्षेत्र में साइकेडेलिक्स पदार्थ के उपयोग को फिर से महत्त्व दिया जा रहा है।
- भारत नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 साइकेडेलिक पदार्थों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है।
साइकेडेलिक:
- परिचय:
- साइकेडेलिक्स दवाओं का एक समूह है जो धारणा, मनोदशा और विचार प्रक्रिया को बदल देता है, जबकि व्यक्ति स्पष्ट रूप से सचेत होता है। सामान्यतः व्यक्ति की सूझबूझ या दृष्टिकोण भी अक्षुण्ण रहती है।
- साइकेडेलिक्स ज़हरीले पदार्थों या नशे की लत नहीं हैं। अवैध दवाओं की तुलना में साइकेडेलिक्स बहुत कम हानिकारक हैं।
- दो सबसे अधिक इस्तेमाल किये जाने वाले साइकेडेलिक्स डी-लिसेर्जिक एसिड डायथाइलैमाइड (LSD) और साइलोसाइबिन (psilocybin) हैं।
- मेस्केलिन कम इस्तेमाल किये जाने वाले साइकेडेलिक्स में से है जो उत्तर अमेरिकी पियोट कैक्टस (लोफोफोरा विलियम्सी) में पाया जाता है और एन, एन-डाइमिथाइलट्रिप्टामाइन, दक्षिण अमेरिकी धार्मिक अनुष्ठान अयाहुस्का का एक प्रमुख घटक है।
- उपभोग के बाद शरीर पर प्रभाव: साइकेडेलिक पदार्थों का उपयोग करने वालों में सोचने, समझने के तरीके में बदलाव, मनोदशा में परिवर्तन तथा मतिभ्रम जैसे अनुभव देखने को मिलते हैं:
- दृश्य क्षेत्र (Vision Domain) उन क्षेत्रों में से एक है जिसमें अवधारणात्मक बदलाव सबसे अधिक बार होता है।
- संवेदी तौर-तरीके में बदलाव की विचित्र घटना देखी जा सकती है जिसे सिनेस्थेसिया कहा जाता है, इसमें एक व्यक्ति को आवाजें दिखाई दे सकती हैं और वह रंगों को सुन सकता है।
- दैहिक अनुभवों में आंत्र संबंधी, स्पर्शनीय और इंटरओसेप्टिव (शरीर की आंतरिक स्थितियाँ) अनुभूतियाँ शामिल की जा सकती हैं।
- उत्साह, चिंता और व्यामोह मनोदशा परिवर्तन के अंतर्गत आते हैं।
- उत्साही अनुभवों में व्यक्ति को पारलौकिक आध्यात्मिक अनुभव भी हो सकता है।
- दृश्य क्षेत्र (Vision Domain) उन क्षेत्रों में से एक है जिसमें अवधारणात्मक बदलाव सबसे अधिक बार होता है।
- मुद्दे:
- ओवरडोज़ के लिये कम उद्दीपन और आश्वस्त वातावरण में कार्डियक मॉनिटरिंग तथा सहायक प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
- सिंथेटिक साइकेडेलिक्स (जैसे 25I-NBOMe) एक्यूट कार्डियक, सेंट्रल नर्वस सिस्टम और लिम्ब इस्किमिया के साथ-साथ सेरोटोनिन सिंड्रोम से जुड़े हुए हैं।
- सिंथेटिक साइकेडेलिक के उपयोग को सीधे तौर मौत के लिये ज़िम्मेदार ठहराए जाने की खबरें भी मिली हैं।
- अवसाद/डिप्रेशन का उपचार:
- नवंबर 2022 में साइलोसाइबिन चरण- II के परीक्षण के परिणाम न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुए थे। परीक्षण में पाया गया कि साइलोसाइबिन की 25 मिलीग्राम की एक एकल खुराक ने उपचार-प्रतिरोधी अवसाद वाले लोगों में तीन सप्ताह में अवसाद के स्तर को कम कर दिया।
- इन निष्कर्षों को हाल ही में एक चरण- IIB परीक्षण में दोहराया गया था, जिसमें पाया गया कि 25 मिलीग्राम साइलोसाइबिन की एक खुराक से अवसाद की गंभीरता, चिंता की स्थिति में सुधार देखा गया।
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट 1985:
- यह 1985 में अधिनियमित किया गया था और देश में ड्रग्स और उनकी तस्करी से संबंधित है।
- वर्ष 1988, 2001 और 2014 के बाद अधिनियम में तीन बार संशोधन किये गए हैं।
- अधिनियम भाँग, हेरोइन, अफीम आदि सहित अनेक मादक दवाओं या मन:प्रभावी पदार्थों के उत्पादन, निर्माण, बिक्री, खरीद, परिवहन तथा उपभोग पर प्रतिबंध लगाता है।
- हालाँकि अधिनियम के तहत भाँग प्रतिबंधित नहीं है।
- NDPS अधिनियम की धारा 20 के तहत अधिनियम में परिभाषित भाँग के उत्पादन, निर्माण, बिक्री, खरीद, आयात और अंतर-राज्य निर्यात के लिये दंड का प्रावधान है। निर्धारित सज़ा जब्त दवाओं की मात्रा पर आधारित है।
- यह कुछ मामलों में मौत की सज़ा का भी प्रावधान करती है जहाँ एक व्यक्ति बार-बार अपराध करता है।