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कृषि

कृषि में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देना

  • 24 Jan 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन (SMAM)

मेन्स के लिये:

प्रौद्योगिकी का विकास और उनके अनुप्रयोग तथा दैनिक जीवन पर इसका  प्रभाव, कृषि मशीनीकरण की आवश्यकता एवं इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने किसानों के लिये ड्रोन को अधिक सुलभ बनाने के उद्देश्य से "कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन" (Sub-Mission on Agricultural Mechanization- SMAM) योजना के संशोधित दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

  • ये वित्तपोषण दिशा-निर्देश कृषि ड्रोन को खरीदने, किराए पर लेने और उनके निरूपण  में सहायता करके इस तकनीक को किफायती बनाएंगे।
  • वित्तीय सहायता और अनुदान 31 मार्च 2023 तक लागू रहेंगे।
  • SMAM योजना वर्ष 2014-15 में लघु और सीमांत किसानों तथा दुर्गम क्षेत्रों (जहाँ कृषि बिजली की उपलब्धता कम है) में कृषि मशीनीकरण की पहुंँच बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।

प्रमुख बिंदु 

  • 40-100% सब्सिडी:
    • ड्रोन की खरीद हेतु अनुदान या सब्सिडी के रूप में कृषि ड्रोन की लागत का 100% या 10 लाख रुपए जो भी कम हो, सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
  • कृषि स्नातकों को सब्सिडी:
    • कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHCs) स्थापित करने वाले कृषि स्नातक ड्रोन और उसके संलग्नकों की मूल लागत का 50% या ड्रोन खरीद के लिये 5 लाख रुपए तक का अनुदान तक प्राप्त करने हेतु पात्र होंगे।
  • एफपीओ या किसानों की सहकारी समिति को सब्सिडी:
    • मौजूदा या नए CHCs पहले से स्थापित या किसानों की सहकारी समिति द्वारा स्थापित किये जाने वाले किसान उत्पादक संगठन (FPOs) और ग्रामीण उद्यमी ड्रोन की मूल लागत पर अनुदान के रूप में 4% (अधिकतम 4 लाख रुपए) प्राप्त करने के हकदार हैं।
      • कृषि यंत्रीकरण को लोकप्रिय बनाने के लिये CHCs ज़मीनी स्तर की मुख्य एजेंसियाँ ​​हैं और जब तक उन्हें प्रोत्साहन नहीं दिया जाता, ड्रोन के उपयोग में तेज़ी नहीं आएगी।
      • ग्रामीण उद्यमियों को उन लोगों के रूप में परिभाषित किया जाता है जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से दसवीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की है और जिनके पास नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से रिमोट पायलट लाइसेंस है।
  • प्रदर्शन के उद्देश्य:
    • FPOs ड्रोन की लागत का 75% सब्सिडी प्राप्त करने के पात्र होंगे यदि उनका उपयोग केवल प्रदर्शन उद्देश्यों के लिये किया जाता है।
    • इसके अतिरिक्त, ऐसी कार्यान्वयन एजेंसियों को 6,000 रुपए/हेक्टेयर दिया जाएगा जो तकनीक प्रदर्शनों हेतु CHCs, हाई-टेक हब, ड्रोन निर्माताओं और स्टार्ट-अप से ड्रोन किराये पर लेती हैं।
    • लेकिन, यदि वे केवल प्रदर्शनों के लिये ड्रोन खरीदती हैं, तो उन्हें 3,000 रुपए प्रति हेक्टेयर ही मिलेगा।
  • महत्त्व
    • CHCs/हाई-टेक हब के लिये कृषि ड्रोन की सब्सिडी के माध्यम से खरीद इस प्रौद्योगिकी को सस्ती बना देगी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें व्यापक रूप से अपनाया जा सकेगा।
    • यह भारत में आम आदमी के लिये ड्रोन को अधिक सुलभ बना देगा और घरेलू ड्रोन उत्पादन को भी काफी प्रोत्साहित करेगा।
  • अन्य संबंधित पहलें

कृषि मशीनीकरण

  • परिचय:
    • मशीनीकृत कृषि, कृषि कार्य को यंत्रीकृत करने के लिये कृषि मशीनरी का उपयोग करने की एक प्रक्रिया है।
    • कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिये उन्नत कृषि उपकरण और मशीनरी आवश्यक इनपुट हैं।
  • कृषि मशीनीकरण का स्तर:
    • भारत में लगभग 40-45% के साथ उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में मशीनीकरण का स्तर बहुत अधिक है, लेकिन उत्तर-पूर्वी राज्यों में मशीनीकरण नगण्य है।
    • कृषि यंत्रीकरण का यह स्तर अभी भी अमेरिका (95%), ब्राज़ील (75%) और चीन (57%) जैसे देशों की तुलना में कम है।
  • महत्त्व:
    • यह उपलब्ध कृषि योग्य क्षेत्र की उत्पादकता को अधिकतम करने और ग्रामीण युवाओं के लिये कृषि को अधिक लाभदायक एवं आकर्षक पेशा बनाने हेतु भूमि, जल ऊर्जा संसाधनों, जनशक्ति तथा अन्य इनपुट जैसे बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि के उपयोग को अनुकूलित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह कृषि क्षेत्र के सतत् विकास हेतु प्रमुख चालकों में से एक है।
  • नकारात्मक प्रभाव:
    • कार्यबल कम होने के कारण कृषि रोज़गार में कमी होती है।
    • मशीनरी का प्रयोग प्रदूषण को बढ़ावा देता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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