भारतीय अर्थव्यवस्था
विद्युत वितरण कंपनियों का निजीकरण
- 15 Jan 2025
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, विद्युत वितरण कंपनियाँ (DISCOM), समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक (AT&C) घाटे, UDAY योजना, एकीकृत विद्युत विकास योजना (IPDS) मेन्स के लिये:विवेकपूर्ण राजकोषीय व्यवस्था के लिये विद्युत वितरण कंपनियों (DISCOMs) में सुधार का महत्त्व |
स्रोत: फाइनेंशियल एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
दिसंबर 2024 में, सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार दारा चंडीगढ़ में विद्युत वितरण कंपनियों (DISCOM) का निजीकरण किये जाने की योजना का समर्थन करते हुए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखा।
विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण की क्या आवश्यकता है?
- उच्च AT&C घाटा: किये गए सुधारों के बावजूद भी भारत का कुल तकनीकी और वाणिज्यिक (AT&C) घाटा वित्त वर्ष 2024 में 17.6% के उच्च स्तर पर बना रहा, जो विद्युत चोरी और बिना बिल की विद्युत आपूर्ति जैसे मुद्दों को दर्शाता है जो लंबे समय से बने हुए हैं।
- ये घाटे DISCOMs की वित्तीय स्थिति को कमज़ोर करते हैं और बुनियादी ढाँचे में निवेश करने की उनकी क्षमता भी सीमित होती है।
- प्रणालीगत अक्षमताएँ: 87% की बिलिंग दक्षता और 97.3% की संग्रहण दक्षता निरंतर बनी परिचालन अक्षमता को दर्शाता है।
- इस अंतराल से राजस्व सृजन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे DISCOM पर वित्तीय दबाव बढ़ता है।
- निरंतर बढ़ता वित्तीय दबाव: आपूर्ति की औसत लागत (ACS) और औसत प्राप्ति योग्य राजस्व (ARR) के बीच का अंतर वित्त वर्ष 2022 में 33 पैसे प्रति यूनिट से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 55 पैसे प्रति यूनिट हो गया।
- इस अंतराल से कंपनियों का ऋण बढ़ता है जिससे वे राज्य सब्सिडी पर निर्भर हो जाते हैं।
- राज्यों पर सब्सिडी का बोझ: भारत के विद्युत वितरण क्षेत्र में वित्तीय घाटा वित्त वर्ष 2022 में 44,000 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में लगभग 79,000 करोड़ रुपए हो गया।
- यह निर्भरता विद्युत क्षेत्र में अस्थिर वित्तीय प्रबंधन को दर्शाती है।
- विद्युत की बढ़ती मांग और लागत: वित्त वर्ष 23 में विद्युत की मांग में 8% की तीव्र वृद्धि, महंगे कोयले के आयात पर निर्भरता और उच्च विनिमय मूल्यों के कारण औसत विद्युत खरीद लागत 71 पैसे/किलोवाट घंटा बढ़ गई।
- संरचनात्मक परिवर्तनों के बिना, इन बढ़ती लागतों से सार्वजनिक क्षेत्र की DISCOM के लिये वित्तीय अस्थिरता और बढ़ सकती है।
- निजी मॉडलों की प्रमाणित सफलता: दिल्ली में, निजीकरण के कारण AT&C घाटे में उल्लेखनीय कमी आई, जो वर्ष 2002 में 50% से अधिक था और बाद में एकल अंक के स्तर पर आ गया, जिससे यह उजागर हुआ कि परिचालन में सुधार हो सकता है।
- निजीकरण के कारण दिल्ली सरकार को वार्षिक रूप से लगभग 1,200 करोड़ रुपए की बचत हुई, जो पूर्व में दिल्ली विद्युत बोर्ड पर खर्च होता था।
- वर्तमान सार्वजनिक क्षेत्र सुधारों की अप्रभावीता: UDAY योजना जैसी सरकारी पहलों से घाटे में कमी लाने या परिचालन दक्षता में सुधार करने में सीमित सफलता प्राप्त हुई है।
- पेशेवर प्रबंधन, आधुनिक प्रौद्योगिकियों और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये निजी क्षेत्र की भागीदारी को आवश्यक माना जाता है।
DISCOM के निजीकरण से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- निजीकरण के प्रति कर्मचारियों का प्रतिरोध: सार्वजनिक क्षेत्र की DISCOM कंपनियों के कर्मचारी प्रायः नौकरी छूटने, प्रतिकूल सेवा शर्तों और छंटनी के डर से निजीकरण का विरोध करते हैं।
- दिल्ली की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना जैसे अनुभव नौकरी की सुरक्षा और वित्तीय स्थिति को लेकर कर्मचारियों की चिंताओं को उजागर करते हैं।
- जटिल विधिक और विनियामक परिवेश: विद्युत अधिनियम, 2003 के अनुपालन, पूर्ण निजीकरण पर अनिश्चितता और अस्पष्ट सुधार विकल्पों के कारण चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
- उदाहरण के लिये, चंडीगढ़ में विधिक चुनौतियों के कारण यह चिंता उत्पन्न हुई कि क्या निजी बोलीदाता ने सभी वैधानिक आवश्यकताओं की पूर्ति की, जिसके कारण प्रक्रिया में देरी हुई।
- उपभोक्ताओं के लिये टैरिफ संबंधी चिंताएँ: निजीकरण के बाद, परिचालन लागत और बुनियादी ढाँचे में निवेश को कवर करने के लिये प्रायः टैरिफ बढ़ाना आवश्यक हो जाएगा, जिससे उपभोक्ताओं के विरोध की संभावना बढ़ जाती है।
- लागत वसूली की आवश्यकता और सामर्थ्य के बीच संतुलन स्थापित करना नियामकों और निजी क्षेत्र के लिये एक गंभीर चुनौती है।
- संक्रमणकालीन समर्थन का अभाव: 1990 के दशक में ओडिशा की निजीकरण विफलता एक उदाहरण है, जहाँ पर्याप्त वित्तीय और परिचालन संक्रमणकालीन समर्थन के अभाव के कारण वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हुए।
- ओडिशा के विपरीत, दिल्ली की सफलता का श्रेय 3,450 करोड़ रुपए की संक्रमणकालीन निधि को दिया जा सकता है, जिससे DISCOM को प्रारंभिक परिचालन संबंधी बाधाओं का प्रबंधन करने में सहायता मिली।
राज्य DISCOM की सहायता हेतु सरकार की क्या कार्यनीति है?
- योजनाएँ:
- उज्ज्वल DISCOM एश्योरेंस योजना (UDAY): वित्तीय रूप से संकटग्रस्त DISCOM को संरक्षण प्रदान करने के लिये वर्ष 2015 में शुरू की गई UDAY योजना से राज्यों को कम ब्याज़ वाले बॉन्ड के रूप में 75% देनदारियाँ लेने की अनुमति प्रदान कर उनके ऋण में कमी आई है।
- इसका लक्ष्य स्मार्ट मीटरिंग और चोरी में कमी जैसे उपायों के माध्यम से AT&C घाटे और बिलिंग दक्षता में सुधार करना था।
- संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (RDSS): 5 वर्ष की अवधि (वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26) के लिये 3,03,758 करोड़ रुपए के बजट के साथ प्रस्तुत की गई।
- इस योजना का उद्देश्य समग्र देश में AT&C घाटे में 12 से 15% की कमी लाना और 2024-25 तक ACS और ARR के बीच के अंतर को खत्म करना है।
- एकीकृत विद्युत विकास योजना (IPDS): शहरी विद्युत वितरण अवसंरचना को मज़बूत करने के लिये शुरू की गई इस योजना का लक्ष्य विश्वसनीयता में सुधार, तकनीकी घाटे को कम करना और शहरी क्षेत्रों में बेहतर ग्राहक सेवा सुनिश्चित करना है
- उज्ज्वल DISCOM एश्योरेंस योजना (UDAY): वित्तीय रूप से संकटग्रस्त DISCOM को संरक्षण प्रदान करने के लिये वर्ष 2015 में शुरू की गई UDAY योजना से राज्यों को कम ब्याज़ वाले बॉन्ड के रूप में 75% देनदारियाँ लेने की अनुमति प्रदान कर उनके ऋण में कमी आई है।
- अन्य उपाय:
- एकीकृत रेटिंग: DISCOM की एकीकृत रेटिंग, जो प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है, से परिचालन और वित्तीय मापदंडों का मूल्यांकन किया जाता है, जिससे अकुशलताओं की पहचान करने और जवाबदेही को प्रोत्साहित करने में मदद मिलती है।
- DISCOM की एकीकृत रेटिंग के 12वें संस्करण में AT&C घाटे में कमी और बेहतर भुगतान चक्र जैसे सुधारों पर प्रकाश डाला गया।
- एकीकृत रेटिंग: DISCOM की एकीकृत रेटिंग, जो प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है, से परिचालन और वित्तीय मापदंडों का मूल्यांकन किया जाता है, जिससे अकुशलताओं की पहचान करने और जवाबदेही को प्रोत्साहित करने में मदद मिलती है।
- वित्तीय सहायता और सब्सिडी: वित्त वर्ष 2023 के दौरान, राज्य सरकारों ने बुक की गई टैरिफ सब्सिडी का 108% वितरित किया, जिससे DISCOM द्वारा घाटे की स्थिति में भी परिचालन जारी रखना सुनिश्चित किया गया।
- दिल्ली जैसे मामलों में, निजीकरण के बाद परिचालन को स्थिर करने में 3,450 करोड़ रुपए का संक्रमणकालीन वित्तपोषण सहायक रहा।
- विनियामक सुधार: विलंबित भुगतान अधिभार नियमों के अंतर्गत देय दिनों की संख्या घटाकर 126 दिन और प्राप्य दिनों की संख्या घटाकर 119 दिन कर दिया है, जिससे DISCOM पर चलनिधि संबंधी दबाव कम हो गया है।
- ये नियम उत्पादन एवं पारेषण कंपनियों को समय पर भुगतान के लिये प्रोत्साहित करते हैं।
- केंद्र शासित प्रदेशों (UT) में निजीकरण: केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेशों की DISCOM के निजीकरण की पहल की, जिसमें दादरा और नागर हवेली और दमन और दीव 2022 में पहले राज्य रहे।
- चंडीगढ़ और पुद्दुचेरी में हुई प्रगति, प्रतिरोध और मुकदमों के बावजूद जारी प्रयासों को दर्शाती है।
आगे की राह
- सहयोगात्मक हितधारक सहभागिता: सरकारों को चिंताओं का समाधान करने और आम सहमति बनाने के लिये कर्मचारियों, उपभोक्ताओं और राजनीतिक समूहों को शामिल करना चाहिये, ताकि सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित हो सके।
- पेंशन देयता साझाकरण जैसे सुरक्षा उपायों के बारे में स्पष्ट संचार से प्रतिरोध को कम किया जा सकता है।
- नियामक सुदृढ़ीकरण: राज्य विद्युत नियामक आयोगों को पारदर्शी टैरिफ निर्धारण लागू करने, दक्षता को प्रोत्साहित करने और उपभोक्ता हितों की रक्षा करने के लिये सशक्त बनाया जाना चाहिये।
- क्रमिक टैरिफ युक्तिकरण: टैरिफ समायोजन की विधि चरणबद्ध होनी चाहिये तथा लागत वसूली सुनिश्चित करते हुए सुभेद्य उपभोक्ताओं का सामर्थ्य बनाए रखने के लिये के लिये सब्सिडी प्रदान की जानी चाहिये।
- बुनियादी ढाँचे का उन्नयन: सेवा वितरण में सुधार और घाटे को कम करने के लिये ग्रिडों का आधुनिकीकरण, स्मार्ट मीटरिंग शुरू करना और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
- चरणबद्ध विधि से खुदरा प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करना: यद्यपि पूर्ण निजीकरण प्रभावी है, लेकिन चरणबद्ध तरीके से खुदरा प्रतिस्पर्द्धा की संभावना खोजने से उपभोक्ताओं को विकल्प मिल सकता है और समय के साथ सेवा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
- सर्वोत्तम प्रथाओं से सीख लेना: सफल (दिल्ली) और असफल (ओडिशा) दोनों मॉडलों से सीख लेकर सर्वोत्तम प्रथाओं का क्रियान्वन करने से निजीकरण के लिये प्रभावी नीतियाँ और रूपरेखा तैयार करने में मदद मिल सकती है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में DISCOM के निजीकरण को आवश्यक बनाने वाले प्रमुख कारक और चुनौतियाँ क्या हैं और प्रणालीगत सुधार से किस प्रकार इनका समाधान किया जा सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा सरकार की एक योजना 'उदय'(UDAY) का उद्देश्य है? (2016) (a) ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के क्षेत्र में स्टार्टअप उद्यमियों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करना। उत्तर: (d) |